अन्त्येष्टि क्रिया

हिंदुओं के मृतकों का अंतिम संस्कार

अंतिम संस्कार या अन्त्येष्टि क्रिया हिन्दुओं के प्रमुख संस्कारों में से एक है। संस्कार का तात्पर्य हिन्दुओं द्वारा जीवन के विभिन्न चरणों में किये जानेवाले धार्मिक कर्मकांड से है। यह हिंदू मान्यता के अनुसार सोलह संस्कारों में से एक संस्कार है। अंतिम संस्कार हिन्दुओं के पृथ्वी पर बिताये गये जीवन का आखिरी संस्कार होता है जिसे व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात मृतक के परिजनों द्वारा संपन्न किया जाता है। आमतौर पर हिंदुओं को मरने के बाद अग्नि की चिता पर जलाया जाता है जिसमें शव को लकड़ी के ढेर पर रखकर पहले मृतात्मा को मुखाग्नि दी जाती है और तत्पश्चात उसके शरीर को अग्नि को समर्पित किया जाता है। शवदाह के बाद मृतक की अस्थियाँ जमा की जाती है और उसे किसी जलस्त्रोत में, आमतौर पर गंगा में प्रवाहित की जाती है। जिसके बाद लगभग तेरह दिनों तक श्राद्धकर्म किया जाता है। मृतात्मा की शांति के लिये दान दिये जाते हैं और ब्राम्हण समुदाय को भोजन कराया जाता है। बाद में लोग पिंडदान के लिये काशी या गया में जाकर पिंडदान की प्रक्रिया पूरी करते हैं।