अर्थो हि कन्या परकीय एव तामद्य सम्प्रेष्य परिग्रहीतुःजातो ममायं विशदः प्रकामं प्रत्यर्पितन्यास इवान्तरात्मा

शाकुन्तलम् ४ अंक है। यह श्लोक महाकवि कालिदास के नाटक अभिज्ञान शाकुंतलम् से लिया गया है। जिसमें शकुंतला विदाई के समय का वर्णन है।

वृत्तं = इन्द्रवज्रा छन्दस् = त्रिष्टुप्