अवस्ताई एक पूर्वी ईरानी भाषा है जिसका ज्ञान आधुनिक युग में केवल पारसी धर्म के ग्रंथों, यानि अवस्ता, के द्वारा पहुँच पाया है। इतिहासकारों का मानना है के मध्य एशिया के बॅक्ट्रिया और मार्गु क्षेत्रों में स्थित याज़ संस्कृति में यह भाषा या इसकी उपभाषाएँ 1500-1100 ईसापूर्व के काल में बोली जाती थीं। क्योंकि यह एक धार्मिक भाषा बन गई, इसलिए इस भाषा के साधारण जीवन से लुप्त होने के पश्चात भी इसका प्रयोग नए ग्रंथों को लिखने के लिए होता रहा।[1]

अवस्ताई भाषा में अनुहावैती गाथा का यस्न 28.1

मूल संपादित करें

सन् 1500 ईसापूर्व के युग की ईरानी भाषाओँ की लिखित केवल दो रचनाएँ मिली हैं। एक "प्राचीन अवस्ताई" है जो उत्तर-पूर्व ईरान में बोली जाती थी और एक "प्राचीन फ़ारसी" है जो दक्षिण-पश्चिम में बोली जाती थी। ईरानी भाषाओँ में यह पूर्वी ईरानी भाषाओँ और पश्चिमी ईरानी भाषाओँ का एक बहुत बड़ा विभाजन है।

आरम्भ में केवल एक "आदिम हिन्द-ईरानी भाषा" थी - इसी से हिन्द-ईरानी भाषा परिवार की सभी भाषाएँ जन्मी हैं, जिनमें संस्कृत, हिंदी, कश्मीरी, फ़ारसी, पश्तो सभी शामिल हैं। प्राचीन अवस्ताई उस युग की भाषा है जब पूर्वी ईरानी भाषाएँ और वैदिक संस्कृत बहुत मिलती-जुलती थीं। पश्चिमी ईरानी भाषाओं में कुछ बदलाव आ रहे थे जिस से वह वैदिक संस्कृत से थोड़ी भिन्न हो चुकी थी। कहा जा सकता है के प्राचीन अवस्ताई इन दोनों के बीच थी - यह वैदिक संस्कृत से बहुत मिलती-जुलती है और यह प्राचीन (पश्चिमी) फ़ारसी से भी मिलती जुलती है। अवस्ताई भाषा में रचनाएँ कम हैं इसलिए अवस्ताई शब्द-व्याकरण समझने के लिए भाषावैज्ञानिक वैदिक संस्कृत का पहले अध्ययन कर उसकी सहायता लेते हैं क्योंकि अवस्ताई और वैदिक संस्कृत में इस क्षेत्र में निकट का सम्बन्ध है।[2]

तुलनात्मक उदाहरण संपादित करें

19वीं शताब्दी में अवस्ताई और वैदिक संस्कृत दोनों पर पश्चिमी विद्वानों की दृष्टि नई-नई पड़ी थी और इन दोनों के गहरे सम्बन्ध का तथ्य उनके सामने जल्दी ही आ गया। उन्होंने देखा के अवस्ताई फ़ारसी और वैदिक संस्कृत के शब्दों में कुछ सरल नियमों के साथ एक से दूसरे में अनुवाद किया जा सकता था और व्याकरण की दृष्टि से यह दोनों बहुत निकट थे। 1892 में प्रकाशित अपनी पुस्तक "अवस्ताई व्याकरण की संस्कृत से तुलना और अवस्ताई वर्णमाला और उसका लिप्यन्तरण" में भाषावैज्ञानिक और विद्वान एब्राहम जैक्सन ने उदाहरण के लिए एक अवसताई के धार्मिक श्लोक का वैदिक संस्कृत में सीधा अनुवाद किया[3] -

मूल अवस्ताई
वैदिक संस्कृत अनुवाद
तम अमवन्तम यज़तम
सूरम दामोहु सविश्तम
मिथ़्रम यज़ाइ ज़ओथ़्राब्यो
तम् आमवन्तम् यजताम्
शूरम् धामसू शाविष्ठम्
मित्राम् यजै होत्राभ्यः

अर्थ : उस शक्तिमान देवता, शूरों में शूर मित्र को मैं अपना होत्र प्रस्तुत करता हूँ।

मिलते-जुलते शब्द संपादित करें

संस्कृत -- अवेस्ता भाषा
एक -- aèuua-
द्व -- duua-
त्रि -- थ्राई
चतुर -- catur-
पञ्च -- पंच
सस् -- xšuuaš
सप्त -- hapta
अष्ट -- ašta
नव -- nauua
दश -- dasa
हिरण्य -- zaranya
सेना -- haena
ऋष्टि -- arsti
क्षत्र -- xsaθra
असुर -- ahura
यज्ञ -- यस्न
होतार -- zaotar
सोम -- haoma
आर्यमान् --airyaman
देव -- daeva

य -- ज

द्वार -- दर

सागर -- जाग्रोस

अश्व -- अस्प

विश्व -- विस्प

मर्त्य -- मास्य (मानव)

स्वप्न -- क़फ़्न

अस्मै -- अह्मै (उसको)

कस्मै -- कह्मै (किसको)

येषाम् -- यएशाम्

श्वान -- स्पान [4]

पथिन -- पथन

कृणोमि -- करनौमि (मै बनाता हूँ)

गमति -- जमैति (वह जाता है)

गच्छति -- गरवनामि

गृह्णामि -- गृभनामि

लिपि संपादित करें

अवस्ताई की अपनी "पहलवी" लिपि थी और उसका इस्तेमाल अब पारसी धार्मिक प्रयोगों को छोड़कर लुप्त हो चुका है। इसे फ़ारसी और प्राचीन भारतीय लिपि खरोष्ठी की तरह दाएँ से बाएँ लिखा जाता है। इसमें 13 मूल अक्षर थे जिनके अवस्ताई में 53 भिन्न रूप प्रयोग होते थे। यह अक्षर आरामाई लिपि पर आधारित थे। भारत स्थित पारसी समुदाय के लोग प्राचीनकाल में अवस्ताई को ब्राह्मी पर आधारित लिपियों में भी लिखते थे।

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Mallory, J P (1997). Encyclopedia of Indo-European culture. page 653. London: Fitzroy Dearborn Publishers. ISBN 978-1-884964-98-5. entry "Yazd culture".
  2. Hoffmann, K. Encyclopaedia Iranica. AVESTAN LANGUAGE. III. The grammar of Avestan.: "The morphology of Avestan nouns, adjectives, pronouns, and verbs is, like that of the closely related Old Persian, inherited from Proto-Indo-European via Proto-Indo-Iranian (Proto-Aryan), and agrees largely with that of Vedic, the oldest known form of Indo-Aryan. The interpretation of the transmitted Avestan texts presents in many cases considerable difficulty for various reasons, both with respect to their contexts and their grammar. Accordingly, systematic comparison with Vedic is of much assistance in determining and explaining Avestan grammatical forms."
  3. Abraham Valentine Williams Jackson. "An Avesta grammar in comparison with Sanskrit and The Avestan alphabet and its transcription". AMS Press, 1892. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780404090104. मूल से 9 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 जुलाई 2011.
  4. [http://www.zoroastrian.org.uk/vohuman/Article/Languages of the Parsi Scriptures.htm Languages of The Parsi scriptures][मृत कड़ियाँ]