जब किसी पुरुष के वीर्य में शुक्राणु इतने कम होते हैं कि उन्हे गिनना ही सम्भव न हो तो उसकी इस चिकित्सकीय स्थिति को अशुक्राणुता (Azoospermia) कहते हैं। इसके कारण पुरुष की जनन क्षमता अत्यन्त कम होती है या लगभग शून्य हो सकती है। किन्तु अशुक्राणुता के कई रूप हैं जिन्हें ठीक किया जा सकता है। मानवों में लगभग १ प्रतिशत पुरुष अशुक्राणुता से ग्रस्त होते हैं और पुरुष नपुंषकता के लगभग २० प्रतिशत मामलों में अशुक्राणुता ही मुख्य कारण होती है।

वीर्य परीक्षण का दृष्य जिसमें शुक्राणु कोशिकाएँ नहीं दिख रही हैं बल्कि कुछ श्वेत रक्त कणिकाएं नज़र आ रही हैं।

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