आत्महत्या का तरीका ऐसी किसी भी विधि को कहते हैं जिसके द्वारा एक या अधिक व्यक्ति जान बूझकर अपनी जान ले लेते हैं। आत्महत्या के तरीकों को जानकर उनसे बचाव के बेहतर तरीकों को खोजा जाता है। इसको जीवन लीला समाप्त करने की दो विधियों के अनुसार वर्गीकृत किया जा सकता है: शारीरिक या रासायनिक. शारीरिक विधि में इस कृत्य को सामान्यतः श्वसन प्रणाली या केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र को बेबस करके अंजाम दिया जाता है, जिसमें आम तौर पर एक या अधिक मुख्य घटकों को नष्ट करना शामिल होता है। रासायनिक विधि में कोशिकीय श्वसन या प्रसार क्षमता जैसी जैविक रूप से महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को बाधित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। आत्महत्या के रासायनिक तरीके इस कृत्य के अदृश्य साक्ष्य देते हैं जबकि शारीरिक तरीके प्रत्यक्ष साक्ष्य उपलब्ध कराते हैं।

आत्महत्या का विचार अक्सर आवेग होता है जिसे इन माध्यमों की पहुंच को सीमित करके रोका जा सकता है। आत्महत्या के तरीकों का अध्ययन आत्महत्या से बचाव के तरीके अपनाने के लिए किया जाता है।

आत्महत्या के तरीकों का अध्ययन करने का उद्देश्य

आत्महत्या के तरीकों के अध्ययन का उद्देश्य आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले आत्महत्या के तरीके और जोखिम वाले समूहों की पहचान करना है; तरीकों को कम सुलभ बनाना आत्महत्या की रोकथाम में उपयोगी हो सकता है।[1][2][3] आत्महत्या और इसकी रोकथाम पर विश्व स्वास्थ्य रिपोर्ट द्वारा कीटनाशकों और अग्निशस्त्रों जैसे साधनों की उपलब्धता को सीमित करने की सलाह दी गई है। मानसिक विकारों और मादक द्रव्यों के सेवन संबंधी विकारों की शीघ्र पहचान, आत्महत्या का प्रयास करने वालों के लिए अनुवर्ती देखभाल, और मीडिया द्वारा जिम्मेदार रिपोर्टिंग सभी को आत्महत्या से होने वाली मौतों की संख्या को कम करने में महत्वपूर्ण माना जाता है।[4] आत्महत्या की रोकथाम के लिए व्यापक और समन्वित प्रतिक्रिया का उपयोग करके राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीतियों की भी सलाह दी जाती है। इसमें आत्महत्या और आत्महत्या के प्रयास का पंजीकरण और निगरानी, ​​उम्र, लिंग और विधि के आधार पर आंकड़ों को जांचना शामिल है।[4]

इस तरह की जानकारी सार्वजनिक स्वास्थ्य संसाधनों को उन समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करती है जो किसी स्थान, या आबादी या उप-जनसंख्या के लिए प्रासंगिक हैं।[5] उदाहरण के लिए, यदि अग्निशस्त्रों का उपयोग एक ही स्थान पर बड़ी संख्या में आत्महत्याओं में किया जाता है, तो वहां की सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियां बंदूक सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित कर सकती हैं, जैसे कि बंदूकों को बंद रखना, और जोखिम वाले परिवार के सदस्यों के लिए दुर्गम बनाना। यदि युवा लोगों का कोई विशेष दवाओं का अधिक मात्रा में सेवन करने से आत्महत्या का खतरा बढ़ता है, तो इसके लिये उस दवा का एक विकल्प निर्धारित किया जा सकता है, कोई सुरक्षा योजना या उस दवा की निगरानी की जा सकती है, और माता-पिता को इस बारे में शिक्षित किया जा सकता है कि कैसे भविष्य में आत्महत्या के प्रयास के लिए दवा की जमाखोरी को रोकें।[3]

रक्तस्राव

रक्तस्राव द्वारा आत्महत्या करने में बहुत अधिक खून बहाकर शरीर में रक्त की मात्रा और दबाव को खतरनाक स्तर तक कम कर दिया जाता है। आम तौर पर धमनियों को नुकसान पहुँचाकर ऐसा किया जाता है। इसके लिए कैरोटिड, रेडियल, उलनार या फेमोरल धमनियों को लक्ष्य बनाया जा सकता है। मौत सीधे तौर पर शरीर की रक्ताल्पता के कारण या हाइपोवोलेमिया के माध्यम से हो सकती है, जिसमें परिसंचरण तंत्र में रक्त की मात्रा बहुत ही कम हो जाने के परिणाम स्वरुप शरीर निष्प्राण हो जाता है।

कलाई काटना

कलाई काटने का कारण आम तौर पर आत्महत्या का प्रयास करने की बजाय जान-बूझकर स्वयं को नुकसान पहुँचाना होता है। व्यक्ति उल्लेखनीय मात्रा में एड्रिनलिन और एंडोर्फिन के स्राव का अनुभव कर भी सकता है और नहीं भी. निरंतर खून बहने के साथ हृदय अतालता (कार्डियक एरिथमिया) की संभावना पैदा हो जाती है क्योंकि अंत में शरीर रक्त की क्षतिपूर्ति करने में असमर्थ हो जाता है। अगर रक्त स्राव को जारी रहने दिया गया तो इसके परिणाम स्वरूप गंभीर हाइपोवोलेमिया आधात का कारण बनेगा जिसके बाद हृदय वाहिनियाँ काम करना बंद कर देंगी, हृदय गति रुक जायेगी और मौत हो जायेगी.

आत्महत्या के असफल प्रयास के मामले में व्यक्ति की बाहरी फ्लेक्सर मांसपेशियों के टेंडन (स्नायु) या हाथ की मांसपेशियों को नियंत्रित करने वाली उलनार और मीडियन तंत्रिकाओं में नुकसान का अनुभव हो सकता है; इन दोनों के ही परिणाम स्वरूप पीड़ित व्यक्ति की संवेदना और/अथवा चलने-फिरने पर नियंत्रण की क्षमता अस्थायी या स्थायी रूप से कम हो सकती है और/अथवा शरीर में तेज दर्द या ऑटोनोमिक दर्द भी उत्पन्न हो सकता है।[6] जैसा कि किसी क्लास IV रक्त स्राव के मामले में होता है, रोगी की मौत को रोकने के लिए आक्रामक रूप से उसे पुनः होश में लाना आवश्यक होता है; अस्पताल-पूर्व उपचार के लिए मानक आकस्मिक रक्तस्राव नियंत्रण संबंधी उपाय करना जरूरी होता है।

धमनी से रक्त स्राव की पहचान रक्त की लयबद्ध धार से होती है (दिल की धड़कन के साथ सामंजस्य करते हुए) जिसका रंग चमकीला लाल होता है। दूसरी ओर शिराओं से रक्तस्राव गहरे लाल रंग के रक्त की एक निरंतर धार पैदा करता है। धमनी से होने वाले रक्त स्राव को रोकना कहीं अधिक कठिन होता है और इससे आम तौर पर जीवन को अधिक खतरा रहता है। इसके अलावा रक्त स्राव को धमनी के अप्रत्यक्ष दबाव के जरिये नियंत्रित किया जा सकता है - उदाहरण के लिए, बाहु धमनी (ब्रैकियल आर्टरी) पर दबाव डालने से हाथ के रक्त स्राव को रोका जा सकता है; हालांकि दबाव के बिन्दुओं का इस्तेमाल सावधानी पूर्वक किया जाना चाहिए क्योंकि अपर्याप्त रक्त का प्रवाह बाजुओं को गंभीर नुकसान पहुँचा सकता है।

डूब कर मरना

 
एक बेघर लड़की स्वयं को डुबाकर मारने के बारे में सोचती हुई

डूबकर आत्महत्या करना जान-बूझकर अपने आपको पानी या किसी अन्य द्रव्य में डुबाना है जिससे कि सांस रुक जाए और मस्तिष्क को ऑक्सीजन मिलना बंद हो जाए. हवा के लिए ऊपर आने की शरीर की स्वाभाविक प्रवृत्ति पर काबू पाने के लिए डूबकर मरने की कोशिशों में अक्सर किसी भारी चीज का इस्तेमाल किया जाता है। डूबकर मरने में शारीरिक और मानसिक पीड़ा होती है।[7]

डूबना आत्महत्या के सबसे कम आम तरीकों में से एक है, इनकी संख्या संयुक्त राज्य अमेरिका में आत्महत्या के रिपोर्ट किये गए सभी मामलों में 2% से भी कम होती है।[8]

घुटन (दम घुटना)

घुटन के जरिये आत्महत्या करना अपनी सांस लेने की क्षमता को बाधित करना या सांस लेते समय ऑक्सीजन अंदर लेने की क्रिया को सीमित करना है जिससे श्वासावरोध पैदा हो जाता है और अंततः सांस बंद होने से प्राण निकल जाते हैं। इस तरीके में एक एग्जिट बैग शामिल होता है (सिर को एक प्लास्टिक के बैग से ढंकना) या एक बंद स्थान में ऑक्सीजन के बगैर खुद को कैद कर लिया जाता है। इन प्रयासों में अवसादक औषधि का उपयोग शामिल होता है ताकि उपयोगकर्ता स्वाभाविक दहशत और हाइपरकैप्निक ही ऑक्सीजन के अभाव के कारण बेहोश हो जाए.

घुटन के जरिये आत्महत्या करने में सामान्यतः हीलियम, आर्गन और नाइट्रोजन का इस्तेमाल किया जाता है। अक्रिय गैस को तेजी से सांस के जरिये अंदर लेने से व्यक्ति तुरंत बेहोश हो जाता है और कुछ ही मिनटों में उसकी मौत हो जाती है।[9]

हाइपोथर्मिया

हाइपोथर्मिया या ठंड से आत्महत्या एक धीमी मौत है जो कई चरणों से होकर गुजरती है। हाइपोथर्मिया के शुरुआती लक्षण हल्के होते हैं जो धीरे-धीरे मध्यम और गंभीर रूप धारण कर लेते हैं। इसमें कांपना, उन्माद, मतिभ्रम समन्वय का अभाव, गर्मी महसूस होना और अंत में मौत शामिल हो सकती है। व्यक्ति के अंग काम करना बंद कर देते हैं हालांकि चिकित्सकीय तौर पर मस्तिष्क की मृत्यु में काफी समय लग सकता है।

बिजली से मौत (इलेक्ट्रोक्यूशन)

इलेक्ट्रोक्यूशन के जरिये आत्महत्या में अपने आपको ख़त्म करने के लिए घातक बिजली के झटके का इस्तेमाल किया जाता है। यह हृदय की अतालता (एरिथमिया) का कारण बन जाता है जिसका अर्थ है कि हृदय के विभिन्न चेम्बरों के बीच तालमेल के साथ संकुचन नहीं होता है और रक्त का प्रवाह पूरी तरह रुक जाता है। इसके अलावा विद्युत धारा की मात्रा के अनुसार शरीर झुलस भी सकता है।

"यहाँ मौजूद सबूत से पता चलता है कि इलेक्ट्रोक्यूशन के कारण तेज दर्द और अत्यधिक कष्ट होता है," (जस्टिस विलियम एम. कोनोली, नेब्रास्का सुप्रीम कोर्ट)[10]

ऊँचाई से कूदना

ऊँचाई से कूदने का मतलब है ऊँचे स्थानों से छलांग लगाना, उदाहरण के लिए किसी बहुत ऊँची इमारत की खिड़की (सेल्फ-डिफेनेस्ट्रेशन या ऑटो-डिफेनेस्ट्रेशन), बालकनी या छत, ऊँची चट्टान, बाँध या पुल से कूद जाना.

संयुक्त राज्य अमेरिका में छलांग लगाना, आत्महत्या करने के कम सामान्य तरीकों में से एक है (2005 में संयुक्त राज्य अमेरिका में आत्महत्या के सभी सूचित किये गए मामलों में 2% से भी कम)। [8]

हांगकांग में छलांग लगाना आत्महत्या करने का सबसे आम तरीका है, 2006 में आत्महत्या के सभी सूचित मामलों में से 52.1% ने यही तरीका अपनाया था और इससे पहले के साल में भी आंकड़ा यही था।[11] हांगकांग विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर सुसाइड रिसर्च एंड प्रिवेंशन का मानना है कि हांगकांग में गगनचुम्बी इमारतों की सुलभ बहुतायत के कारण ऐसा हो सकता है।[12]

आग्नेयास्त्र (बंदूक)

आत्महत्या का एक आम तरीका है आग्नेयास्त्र का उपयोग करना। आम तौर पर बंदूक की गोली का निशाना प्वाइंट-ब्लैंक रेंज पर, अक्सर सिर पर या कम सामान्य रूप से मुँह के अंदर, ठोड़ी के नीचे या छाती में सटाकर लगाया जाता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में आग्नेयास्त्र आत्महत्या का सबसे आम तरीका है, 2003 में आत्महत्या के सभी सूचित मामलों में 53.7% ने यह तरीका अपनाया था।[13]

किसी इंसान को गोली लगने पर उसकी स्थिति गोली के वेग, प्रक्षेपित गोली में उपलब्ध ऊर्जा और ऊतक की अंतःक्रिया पर निर्भर करेगी। एक उच्च ऊर्जा का अग्नेयास्त्र और बन्दूक की नली का सिर की ओर उपयुक्त दिशात्मक झुकाव काफी विध्वंसक नुकसान पहुँचा सकता है; काफी अधिक रक्तस्राव (हेमरेज), मस्तिष्क को गंभीर क्षति के साथ स्थायी रूप से आंशिक या पूर्ण बहु-भागीय उतक विध्वंस, तंत्रिका क्षति और हड्डियों के टुकड़ों के दिमाग़ में धंसने के साथ स्पष्ट रूप से खोपड़ी की हड्डी का टूटना; प्रभावित होने वाली संभावी संरचनाओं में अन्तः कपाल, नाड़ियाँ, मध्य या आतंरिक कान, कपाल तंत्रिका और वाह्य नलिका संरचनाएं शामिल हो सकती हैं। कम क्षमता और कम शक्ति वाले अस्त्र नली के उपयुक्त दिशात्मक झुकाव के बावजूद संभवतः शिकार की जान लेने में सफल नहीं होते हैं।[उद्धरण चाहिए]

आग्नेयास्त्र के ज़रिये आत्महत्या का एक असफल प्रयास रोगी के लिए गंभीर स्थायी दर्द की वजह बन सकता है, साथ ही घटी हुई संज्ञानात्मक क्षमताएँ और पेशीय क्रियाएं मस्तिष्क की सतह पर रक्त का जमाव, सिर में बाहरी तत्वों का प्रवेश, कपालीय कोष में गैस या वायुजन्य और दिमाग़ और रीढ़ में द्रव के रिसाव का भी कारण बन सकता है। कनपटी की ओर निर्देशित गोली की स्थिति में कनपटी के किसी अंश पर फोड़ा बन जाना, मस्तिष्क ज्वर (मेनिन्जाइटिस), बोलने की शक्ति का ह्रास, किसी एक दिशा में देखने की क्षमता का खोना और शरीर के एक तरफ की मांसपेशियों को हिलाने की क्षमता खोना, सामान्य परवर्ती अंतराकपालीय जटिलताएँ हैं। करीब-करीब 50% लोग जो कनपटी की ओर निर्देशित बन्दूक की गोली की चोट के बाद जीवित बचते हैं, आम तौर पर क्षतिग्रस्त तंत्रिका के कारण चेहरे की तंत्रिका क्षति से पीड़ित होते हैं।[14][15]

न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन और नेशनल अकेडमी ऑफ साइंस के शोध में घरेलू अग्नेयास्त्रों के स्वामित्त्व और आत्महत्या दर के बीच संबंध पाया गया,[16][17] हालांकि एक अनुसंधानकर्ता द्वारा किये गए अध्ययन में घरेलू अग्नेयास्त्रों के स्वामित्त्व और आत्महत्या दर के बीच,[18] 5-14 साल के बच्चों में आत्महत्या के अलावा सांख्यिकी दृष्टि से कोई महत्त्वपूर्ण संबंध नहीं मिला। [18] 1980 के दशक और आरंभिक 1990 के दशक में बन्दूक द्वारा किशोरावस्था में आत्महत्या में तेज़ बढ़ोत्तरी की प्रवृत्ति,[19] साथ ही 75 साल और उससे ज़्यादा की उम्र वाले लोगों में कुल मिलाकर तीव्र वृद्धि देखी गयी।[20]

कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में अधिक प्रतिबंधात्मक अग्नेयास्त्र कानूनों के संबंध में किये गए दो अलग-अलग अध्ययनों ने दिखाया कि हालांकि बताए गए कानून के कारण अग्नेयास्त्रों से आत्महत्या में गिरावट दर्ज हुई, दूसरे तरीकों जैसे फांसी लगाकर आत्महत्या करने में वृद्धि हुई। ऑस्ट्रलिया में तो आत्महत्या की कुल दर में वृद्धि दर्ज की गयी (कुछ समय से ऊपर बढ़ने की प्रवृत्ति का अनुसरण करते हुए) और आत्महत्या के संभावी पीड़ितों को मदद उपलब्ध कराने के विशेष उपायों को लागू करने तक इसमें कोई कमी नहीं आई।[21][22][23]

शोध में यह भी संकेत हैं कि स्वामित्त्व वाली बंदूकों को सुरक्षा पूर्वक रखने के कानून बनाम बन्दूक से आत्महत्या दर में कोई संबंध नहीं है और बन्दूक के स्वामित्त्व को संभावी पीड़ितों से जोड़ने का प्रयास करने वाले अध्ययन अक्सर दूसरे लोगों द्वारा बन्दूक के स्वामित्त्व की उपस्थिति का पता लगाने में असफल रहते हैं।[24][25] शोधकर्ताओं ने दिखाया है कि बंदूकों को सुरक्षा पूर्वक रखने के कानून किशोरों की बन्दूक दुर्घटना से मृत्यु को प्रभावित करते नहीं दिखाई देते हैं।[24][25]

बन्दूक की गोली से की गयी आत्महत्या काफी भयावह हो सकती है और कमरे के अंदर किये जाने पर शरीर के हिस्सों के चीथड़े भी उड़ सकते हैं। खोखली नोंक वाली गोली से की गयी आत्महत्या निश्चित रूप से सिर के फटने की वजह बन सकती है।[26] '

फांसी

 
फांसी लगाकर आत्महत्या करना.

इस तकनीक के साथ रोगी गले के चारों ओर कुछ ऐसे उपकरण का इस्तेमाल करने की कोशिश करता है जिससे कि गला घोंट दिया जाए और/या गर्दन टूट जाए. मृत्यु की स्थिति में मौत का वास्तविक कारण फांसी लगाने के लिए इस्तेमाल किये गए उपकरण के प्रकार पर निर्भर करता है, जहाँ प्रकार आम तौर पर रस्सी की लंबाई को दर्शाता है।

छोटी रस्सी में पीड़ित व्यक्ति की मौत गला घोंटे जाने के कारण हो सकती है - जिसमें मस्तिष्क को कम ऑक्सीजन मिलने के कारण दम घुटकर मौत हो सकती है; अगर पहली स्थिति सही है तो रोगी को दम घुटना, त्वचा में झनझनाहट, चक्कर आना, धुंधला दिखाई पड़ना, आक्षेप, सदमा और श्वसन संबंधी तीव्र अम्लरक्तता का अनुभव होने की संभावना रहती है; अगर दूसरी स्थिति सही है तो एक या दोनों कैरोटिड धमनियों और/या जुगुलर नस में काफी दबाव पैदा हो सकता है जिसके कारण मस्तिष्क में सेरेब्रल इस्चेमिया और एक हाइपोक्सिक स्थिति उत्पन्न हो सकती है जो अंत में मौत में सहयोग दे सकता है या मौत का कारण बन सकता है। एक पर्याप्त लंबी रस्सी के मामले में रोगी के दूसरे एवं तीसरे और/या चौथे एवं पाँचवें सर्वाइकल वर्टिब्रा के टूट जाने की संभावना रहती है जो पक्षाघात या मौत का कारण बन सकता है।

फांसी लगाना पूर्व-औद्योगिक समाजों में आत्महत्या का प्रचलित माध्यम रहा है और यह शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक सामान्य है।[27] यह उन परिस्थियों में आत्महत्या का एक सामान्य माध्यम है जहाँ सामग्रियां आसानी से उपलब्ध नहीं होती हैं (जैसे कि जेलों में)।

वाहनों का प्रभाव

कुछ लोग जान-बूझकर खुद को एक बड़े और तेजी से चलने वाले वाहन के रास्ते में रखकर आत्महत्या कर लेते हैं जिसका परिणाम घातक हो सकता है।

रेल

मुख्य लाइन सिस्टम

कुछ लोग सीधे तौर पर एक सामने से चली आ रही ट्रेन के आगे कूद जाते हैं या ट्रेन के आने की प्रतीक्षा करते हुए अपनी गाड़ी में बैठकर इसे पटरियों पर चलाते हुए आगे बढ़ते हैं।[28] किसी ट्रेन से टकराकर आत्महत्या की कोशिश में जीवित बचने की दर 10% है, इस तरह की एक नाकाम कोशिश का परिणाम गंभीर चोटों के साथ-साथ बुरी तरह से घायल होने, अंगविच्छेद और सिर की गंभीर चोट, संभवतः मस्तिष्क को स्थायी क्षति और शारीरिक अपंगता का कारण बन सकता है। यहाँ तक कि जब मौत होती है, यह हमेशा पीड़ारहित और तत्काल नहीं होती है।[29]

कुछ यूरोपीय देशों में जहाँ रेल नेटवर्क बहुत ही विकसित है और बंदूक नियंत्रण क़ानून बहुत सख्त हैं जैसे कि जर्मनी और स्वीडन में रेलवे से संबंधित आत्महत्या एक सामाजिक समस्या मानी जाती है और इस प्रकार की आत्महत्या पर गहन शोधकार्य किये जा रहे हैं। इन अध्ययनों के अनुसार ज्यादातर आत्महत्याएं घनी आबादी वाले क्षेत्रों में नहीं होती हैं बल्कि रेलवे स्टेशनों से दूर और टर्मिनल प्वाइंटों में होती हैं। इस तरह की घटनाएं लकड़ी (पुल) वाले क्षेत्रों, मोड़ों और सुरंगों में विशेष रूप से होती हैं। ज्यादातर आत्महत्याएं शाम को या रात में होती हैं जब चालक की दृश्यता कम हो जाती है जिससे नाकाम आत्महत्या की संभावना भी घट जाती है। [उद्धरण चाहिए]

जो लोग इस तरीके से आत्महत्या करते हैं वे आम तौर पर आत्महत्या के वास्तविक समय से पहले काफी देर पहले से आत्महत्या की जगह पर या इसके आसपास मौजूद रहते हैं।[उद्धरण चाहिए] भूमिगत रेलवे के विपरीत जमीन के ऊपर बनी रेलवे लाइनों पर व्यक्ति सीधे तौर पर पटरियों पर खड़ा हो जाता है या लेट जाता है और ट्रेन के आने की प्रतीक्षा करता है। चूंकि ट्रेन आम तौर पर काफी तेज रफ़्तार से दौड़ रही होती है (सामान्यतः 80 से 200 किलोमीटर प्रति घंटा), इसका चालक आम तौर पर टक्कर होने से पहले ट्रेन को रोक पाने में नाकाम रहता है। इस प्रकार की आत्महत्या ट्रेन ड्राइवर के लिए काफी सदमे- भरी होती है और सदमा-पश्चात तनाव संबंधी विकार को जन्म दे सकती है।[30]

जर्मनी में सभी आत्महत्याओं में से 7% इसी तरीके से की जाती हैं और देश में की जाने वाली कुल आत्महत्याओं में सबसे अधिक योगदान इसी तरीके का होता है।[31]

रेल से संबंधित आत्महत्याओं की संख्या को कम करने के तरीकों में सीसीटीवी के जरिये उन मार्गों की निगरानी करना शामिल है जहाँ अक्सर आत्महत्या की घटनाएं होती हैं, इसके लिए अक्सर स्थानीय पुलिस या निगरानी कंपनियों के सीधे संपर्क का इस्तेमाल किया जाता है। यह पुलिस या गार्ड को अतिक्रमण की जानकारी प्राप्त होने के बाद कुछ ही मिनटों के अंदर घटना स्थल पर पहुँचने में सक्षम बनाता है। बाड़ लगाकर पटरियों पर सार्वजनिक पहुँच को भी अधिक मुश्किल बनाया गया है। चालक की दृश्यता बढ़ाने के क्रम में पटरियों के आसपास पेड़ों और झाड़ियों को काटा जाता है।

फेडरल रेलरोड एडमिनिस्ट्रेशन के अनुसार अमेरिका में एक साल में 300 से 500 आत्महत्याएं ट्रेन के जरिये होती हैं।[32]

मेट्रो प्रणालियाँ

सामने से आ रही एक भूमिगत ट्रेन के आगे छलांग लगाने में जीवित बचने की दर 67% रहती है जो रेल-संबंधी आत्महत्याओं में 10% की जीवित बचने की दर से बहुत अधिक है। इसकी संभावना सबसे अधिक रहती है क्योंकि खुली पटरियों पर ट्रेनें अपेक्षाकृत तेज रफ़्तार से चलती हैं जबकि एक भूमिगत स्टेशन पर पहुँचने वाली ट्रेनों की रफ़्तार कम हो जाती है ताकि ये आराम से रुक सकें और यात्रियों को उतार सकें.

भूमिगत मार्ग में आत्महत्या के प्रयासों की संख्या में कमी के लिए कई तरीकों का प्रयोग किया गया है: एक गहरा जल निकासी का नाला घातकता की संभावना को आधा कर देता है। कुछ स्टेशनों में सरकने वाले दरवाजों की आड़ के जरिये पटरियों से यात्रियों को अलग रखने की व्यवस्था शुरू की गयी है लेकिन यह काफी महंगी है।[33]

ट्रैफिक की टक्कर

कुछ कार दुर्घटनाएं वास्तव में आत्महत्याएं होती हैं। यह विशेष रूप से एकल-सवारी, एकल-वाहन दुर्घटनाओं पर लागू होता है। "ऑटोमोबाइल अपने बहुत अधिक उपयोग, ड्राइविंग के आम तौर पर स्वीकार्य निहित खतरे और यह तथ्य कि यह व्यक्ति के अपने आत्महत्या के इरादे के साथ विवेकपूर्ण तरीके से विरोध का मौक़ा दिए बगैर उसकी जिंदगी को संकट में डालने या इसे समाप्त करने का अवसर प्रदान करता है, इनकी वजह से होने वाली आत्मघाती दुर्घटनाओं की कोशिशों के लिए स्वयं जिम्मेदार होते हैं।[34] कार दुर्घटना में अन्य सड़क उपयोगकर्ताओं के प्रभावित होने का जोखिम हमेशा बना रहता है, उदाहरण के लिए किसी आत्मघाती पैदल यात्री को बचाने की कोशिश में एक कार अचानक या झटके से मुड़ जाती है और सड़क पर मौजूद किसी अन्य चीज से जाकर टकरा जाती है।

कार दुर्घटनाओं में होने वाली आत्महत्याओं का वास्तविक प्रतिशत विश्वसनीय रूप से ज्ञात नहीं है; आत्महत्या पर शोधकर्ताओं के अध्ययन यह बताते हैं कि "घातक वाहन दुर्घटनाएं जो आत्महत्याएं होती है उनमें 1.6% से 5% तक का अंतर होता है।"[35] कुछ आत्महत्याओं को दुर्घटनाओं के रूप में त्रुटिपूर्ण तरीके से वर्गीकृत किया जाता है क्योंकि आत्महत्या साबित होना अनिवार्य होता है; "यह उल्लेखनीय है कि ऐसी स्थिति में भी जब कि आत्महत्या की संभावना बहुत अधिक होती है लेकिन कोई सुसाइड-नोट नहीं पाया जाता है तो इस मामले को एक 'दुर्घटना' के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।"[35][35]

कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि यातायात दुर्घटनाओं के रूप में आवृत आत्महत्याएं, पहले की सोंच के मुकाबले कहीं अधिक प्रचलित हैं। आत्मघाती लोगों के बीच बड़े-पैमाने पर किये गए एक सामुदायिक सर्वेक्षण (ऑस्ट्रेलिया में) ने निम्नलिखित आंकड़े प्रदान किया: "आत्मह्त्या की योजना बनाने वाले लोगों की सूचित संख्या में से 14.8% (19.1% पुरुष योजनाकार और 11.8% महिला योजनाकार) लोगों ने एक मोटर वाहन "दुर्घटना" की कल्पना की थी।.. सभी आत्मघाती लोगों में से 8.3% (13.3% पुरुष आत्मघाती) ने पहले मोटर वाहन की टक्कर के जरिये आत्महत्या की कोशिश की थी।[36]

विमान

1983 और 2003 के बीच संयुक्त राज्य अमेरिका में 36 पायलटों ने विमान के जरिये आत्महत्या की थी।[37] विमान को जान-बूझकर दुर्घटनाग्रस्त कर आत्महत्या करने की कई घटनाएं हुई हैं:

  • इजिप्टएयर फ्लाइट 990
  • सिल्कएयर फ्लाइट 185
  • 2010 ऑस्टिन विमान दुर्घटना

जहर देना

तेजी से असर करने वाले जहर जैसे कि हाइड्रोजन सायनाइड या ऐसी चीजें जो मनुष्य के प्रति अपनी उच्च-स्तरीय विषाक्तता के लिए जानी जाती हैं, इनके द्वारा आत्महत्या की जा सकती है।[38] उदाहरण के लिए, पश्चिमोत्तर गयाना में एक धार्मिक संप्रदाय के नेता जिम जोन्स द्वारा 1978 में डाइजीपाम और सायनाइड का कॉकटेल पीकर सामूहिक आत्महत्या करने के कार्यक्रम के आयोजन के बाद जोन्सटाउन के ज्यादातर लोग मारे गए थे।[39] कुछ पौधे जैसे कि बैलाडोना परिवार, अरंडी के बीज, जैट्रोफा करकास और अन्य की पर्याप्त मात्राएं भी विषाक्त हो सकती हैं। हालांकि विषाक्त पौधों के जरिये जहर देना आम तौर पर कम तीव्र और अपेक्षाकृत दर्दनाक होता है।[40]

कीटनाशक का जहर

दुनिया भर में 30% आत्महत्याएं कीटनाशक के जहर से होती हैं। हालांकि दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में इस विधि में प्रयोग में स्पष्ट रूप से भिन्नता होती है जो यूरोप में 4% से लेकर प्रशांत क्षेत्र में 50% से अधिक हो सकती है।[41] चीन के ग्रामीण इलाकों में महिलाओं द्वारा खेत के रसायनों के जहर से आत्महत्या करना बहुत आम है और यह देश में प्रमुख सामाजिक समस्या मानी जाती है।[42] फिनलैंड में 1950 के दशक में आत्महत्या के लिए आम तौर पर अत्यधिक घातक कीटनाशक पैराथियोन का इस्तेमाल किया जाता था। जब रसायन तक पहुँच को प्रतिबंधित कर दिया गया तो इसकी जगह अन्य तरीकों का इस्तेमाल किया जाने लगा जिससे शोधकर्ताओं ने यह नतीजा निकाला कि आत्महत्या के कुछ तरीकों पर प्रतिबंध लगाने से समग्र आत्महत्या दर पर कोई ख़ास प्रभाव नहीं पड़ता है।[43]

दवा की अत्यधिक खुराक

दवा की अत्यधिक खुराक लेना आत्महत्या का एक ऐसा तरीका है जिसमें निर्धारित स्तर से कहीं अधिक मात्रा में दवाई लेना या दवाओं के ऐसे मिश्रण को लेना शामिल है जो आपस में क्रिया करके नुकसानदेह प्रभाव पैदा करता है या एक या अधिक तत्वों की शक्ति को बढ़ा देता है।

मरने के अधिकार की पक्षकार सोसायटियों के सदस्यों के बीच सम्मानपूर्ण मृत्यु के लिए शांतिपूर्वक अधिक मात्रा में दवाइयां लेना सर्वाधिक पसंदीदा तरीका है। मृत्यु के अधिकार की सोसायटी एग्जिट इंटरनेशनल के सदस्यों के बीच करवाए गए एक जनमत सर्वेक्षण ने दिखाया कि 89% लोग एक प्लास्टिक एग्जिट बैग, कार्बन मोनो ऑक्साइड (CO) जनरेटर या धीमी इच्छा-मृत्यु के बजाय गोली (पिल) खाना पसंद करते हैं।[44]

इस तरीके की विश्वसनीयता चुनी हुई दवाई पर और अन्य उपाय जैसे कि उल्टी रोकने के लिए एंटीएमेटिक्स के प्रयोग पर निर्भर करती है। अमेरिका में दवा की अधिक मात्रा द्वारा औसत मृत्यु दर केवल 1.8% ही अनुमानित की गयी है।[45] इसी के साथ आत्महत्या में सहायता देने वाले समूह डिग्निटास ने 840 मामलों में एक भी नाकामी न होने की जानकारी दी (मृत्यु दर 100%), जिसमें पहले नींद की गोली में इस्तेमाल किये जाने वाले सक्रिय तत्त्व नेम्ब्युटॉल की अधिक मात्रा को उल्टी रोकने वाली दवाओं के साथ मिलाकर दिया गया था।[46]

हालांकि बार्बीचुरेट्स (जैसे सेकोनॉल या नेम्ब्युटॉल) को लंबे समय से आत्महत्या का एक सुरक्षित विकल्प समझा जाता रहा है, भावी आत्महत्या पीड़ितों के लिए इन्हें हासिल करना काफी मुश्किल होता जा रहा है। मृत्यु के अधिकार की फ्रांसीसी सोसायटी डब्ल्यूओज़ेडज़ेड (WOZZ) ने इच्छा-मृत्यु में इस्तेमाल के लिए बार्बीचुरेट्स के स्थान पर कई अन्य सुरक्षित विकल्पों को सुझाया है।[47] द पीसफुल पिल हैंडबुक अब भी मेक्सिको में आसानी से उपलब्ध पेंटोबार्बिटल की मौजूदगी वाले मिश्रणों का हवाला देती है जहाँ ये जानवरों की इच्छा-मृत्यु के लिए पशु चिकित्सकों के पास काउंटर पर उपलब्ध रहती हैं।

हालांकि आम तौर पर दवा की अत्यधिक खुराक के मामले में अनियमित नुस्खा (रैंडम प्रेस्क्रिप्शन) और काउंटर पर मिलने वाली चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। इस मामले में मौत अनिश्चित होती है और इस तरह का एक प्रयास व्यक्ति को जीवित रख सकता है लेकिन उसके कई अंगों को गभीर क्षति पहुँच सकती है, हालांकि बाद में यह स्वयं घातक साबित हो सकता है। मुँह से ली गयी दवाओं को अवशोषित होने से पहले वापस उल्टी करवा कर बाहर निकाला जा सकता है। बहुत अधिक खुराक की जरूरत को ध्यान में रखते हुए, सक्रिय एजेंट की ज्यादा मात्रा लेने से पहले उल्टी करना या होश खोना अक्सर इस तरह के प्रयास करने वाले लोगों के लिए एक बड़ी समस्या बन जाती है।

काउंटर पर आसानी से उपलब्ध होने के कारण दर्द निवारक (एनाल्जेसिक) की अत्यधिक खुराक से किये जाने वाले आत्महत्या के प्रयास सबसे आम हैं।[48] अत्यधिक खुराक (ओवरडोजिंग) के प्रयास को एक कॉकटेल की दवाओं को दूसरे में मिलाकर या शराब अथवा अवैध दवाओं के जरिये अंजाम दिया जा सकता है। इस विधि में यह संदेह रह सकता है कि क्या यह मौत एक आत्महत्या थी या दुर्घटना, विशेषकर जब शराब या निर्णय को प्रभावित करने वाली अन्य चीजों का भी इस्तेमाल किया जाता है और कोई सुसाइड नोट पीछे नहीं छोड़ा गया होता है।

कार्बन मोनोऑक्साइड द्वारा विषाक्तीकरण

एक विशेष प्रकार की विषाक्तता में कार्बन मोनोऑक्साइड का उच्च-स्तरीय अन्तः-श्वसन शामिल होता है। मृत्यु आम तौर पर शरीर में ऑक्सीजन की कमी (हाइपॉक्सिया) के कारण होती है। ज़्यादातर मामलों में कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) का प्रयोग किया जाता है क्योंकि यह अपूर्ण दहन का उत्पाद होने के कारण आसानी से उपलब्ध है; उदाहरण के लिए, यह गाड़ियों और कुछ प्रकार के हीटरों द्वारा निकली जाती है।

कार्बन मोनोऑक्साइड एक रंगहीन और गंधहीन गैस है, इसलिए देखकर और सूंघकर इसकी उपस्थिति का पता नहीं लगाया जा सकता है। यह पीड़ित व्यक्ति के रक्त के हीमोग्लोबिन से प्राथमिक रूप से संयोजित होकर, ऑक्सीजन अणुओं को प्रतिस्थापित करके और क्रमशः रक्त को ऑक्सीजन रहित करके क्रिया करती है, जिसके परिणामस्वरूप अंततः कोशिकीय श्वसन असफल हो जाता है और मृत्यु हो जाती है।

अतीत में वायु-गुणवत्ता नियमन और केटलेटिक कन्वर्टर से पहले, कार्बन मोनोऑक्साइड विषाक्तता द्वारा आत्महत्या एक बंद स्थान जैसे गैरेज में कार का इंजन चलता हुआ छोड़कर या चलते हुई इंजन की धुँआ निकासी को एक लंबे पाइप के ज़रिये कार के केबिन में पहुंचाकर की जाती थी। मोटर कार से निकलने वाले धुंए में 25% तक कार्बन मोनोऑक्साइड सम्मिलित हो सकती है। हालांकि सभी आधुनिक वाहनों में लगाया जाने वाला केटलेटिक कन्वर्टर उत्पादित होने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड की 99% से अधिक मात्रा को हटा देता है।[49] एक और जटिलता के रूप में उत्सर्जन में बिना दहन को प्राप्त हुई गैसोलीन व्यक्ति के चेतना शून्य होने से पहले ही धुआं निकासी को साँस लेने के लिए असहनीय बना सकती है।

कोयला जलाकर जैसे कि एक हवारहित कमरे में सींक पर मांस भूनने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली अंगीठी जलाकर, कार्बन मोनोऑक्साइड की विषाक्तता के ज़रिये होने वाली आत्महत्या की घटनाएं बढ़ती हुई प्रतीत हो रहीं हैं। इसे कुछ लोगों द्वारा "हिबाची से मृत्यु" के रूप में संदर्भित किया गया है।[50]

कार्बन मोनोऑक्साइड आसपास खड़े लोगों और लाश का पता लगाने वाले लोगों के लिए अत्यंत खतरनाक होती है, इसलिए फिलिप निस्च्के जैसे "मृत्यु के अधिकार" के पक्षधर नाइट्रोजन जैसे अन्य सुरक्षित विकल्पों के प्रयोग की सलाह देते हैं, जैसे कि उनकी एग्जिट (EXIT) इच्छा-मृत्यु उपकरण में.

अन्य विषाक्त पदार्थ

डिटर्जेंट-संबंधी आत्महत्या में घरेलू रसायन मिलाकर हाइड्रोजन सल्फाइड और दूसरी विषैली गैसें उत्पादित करना शामिल होता है।[51][52][53][54] 1960 और 1980 के बीच घरेलू गैसों से आत्महत्या करने की दर में गिरावट आई थी।[55]

कई प्रकार के जंतुओं जैसे मकड़ियों, साँपों, बिच्छुओं में ज़हर होता है जो आसानी और शीघ्रता से किसी व्यक्ति की जान ले सकता है। इन चीजों का इस्तेमाल आत्महत्या करने में किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, माना जाता है कि मार्क एंटोनी की मौत की खबर सुनकर क्लियोपेट्रा ने अपने आप को एक ज़हरीले सांप से कटवा लिया था।

आत्मदाह

आत्मदाह को सामान्य रूप से आग के जरिये आत्महत्या के सन्दर्भ में देखा जाता है। इसका एक विरोध की रणनीति के रूप में प्रयोग किया जा चुका है, इनमें सबसे प्रसिद्ध हैं, थिच कुआंग डुक (Thích Quảng Đức) द्वारा 1963 में दक्षिण वियतनामी सरकार का विरोध करने के लिए; और 2006 में मलाची रिश्चेर द्वारा इराक युद्ध में संयुक्त राज्य अमेरिका के जुड़ाव का विरोध करने के लिए हैं।[उद्धरण चाहिए]

भारत के कुछ हिस्सों में आत्मदाह कर्मकांड के रूप में किया जाता था जिसे सती प्रथा के नाम से जाना जाता है, जिसमें एक पत्नी "अपनी इच्छा से" अपने मृत पति की चिता पर खुद को अग्नि के हवाले कर देती थी।[उद्धरण चाहिए]

"इमोलेट" के लैटिन मूल का अर्थ होता है "बलि" और यह आग के प्रयोग के लिए सीमित नहीं है, हालांकि मीडिया में आम तौर पर इस शब्द का प्रयोग आग द्वारा आत्महत्या के सन्दर्भ में किया जाता है।

आत्महत्या का यह तरीका मौत आने से पहले व्यक्ति के लम्बे और दुखदाई अनुभव के कारण अपेक्षाकृत असामान्य है। इस तथ्य में हमेशा मौजूद रहने वाला यह खतरा भी सहयोग करता है कि मरने से पहले आग बुझा दी जाएगी और इस तरह यह उस व्यक्ति के लिए जलने के विकट घावों, दाग़दार ऊतकों और ऐसे गंभीर ज़ख्मों के भावनात्मक दुष्प्रभावों के साथ जीवित रहने की वजह बनता है।

सेप्पुकू

सेप्पुकू (आम बोलचाल में हारा-किरि "पेट चीरना") आत्महत्या का एक जापानी कर्मकांडीय तरीका है जो मुख्य रूप से मध्य काल में प्रचलित था, हालांकि आधुनिक समय में भी कुछ छिटपुट मामले दिखते हैं। उदाहरण के लिए युकिओ मिशिमा ने 1970 में जापानी सम्राट की पूर्ण शक्ति की पुनर्स्थापना के उद्देश्य से किये गए असफल तख्ता पलट (coup d'état) के बाद सेप्पुकू किया था।[उद्धरण चाहिए]

आत्महत्या के अन्य तरीकों के विपरीत यह अपने सम्मान को संरक्षित करने का एक मार्ग समझा जाता था। यह कर्मकांड सामुराई की संहिता बुशिदो का एक हिस्सा है।

मूल रूप से जिस तरह यह किसी व्यक्ति द्वारा अकेले संपन्न किया जाता था, मरने का यह एक कष्टदायक तरीका था। समारोह पूर्वक तरीके से पहने गए कपड़ों में अपने सामने तलवार को रखकर और कभी-कभी एक विशेष कपड़े पर बैठकर योद्धा एक मृत्यु कविता लिखते हुए अपनी मृत्यु की तैयारी करता था। सामुराई अपनी किमोनो को खोलता था, अपनी वाकिज़ाशी (छोटी तलवार, पंखा या एक टैंटो (tantō) को उठाता था और उसे अपने पेट में उतार देता था, पहले बाएँ से दाईं तरफ चीरता था और फिर दूसरा प्रहार थोड़ा ऊपर की तरफ करता था। जैसे-जैसे यह रिवाज विकसित हुआ एक चुना हुआ सेवक (काइशाकुनिन, उसका सहायक) साथ में खड़ा होकर, दूसरे प्रहार पर दाकी-कुबि क्रिया को अंजाम देता था, जिसमें योद्धा का सिर काट दिया जाता था, मांस का एक टुकड़ा इस तरह छोड़ दिया जाता था कि सिर, धड़ से जुड़ा रहे ताकि सिर धड़ से अलग न हो सके और सतह/ज़मीन पर न लुढ़कने लगे; जिसे सामंती जापान में अपमानजनक समझा जाता था। आखिरकार यह क्रिया इतनी अधिक कर्मकांडीय हो गयी कि सामुराई को सिर्फ अपनी तलवार तक हाथ बढ़ाना होता था और उसका काइशाकुनिन मारक प्रहार कर देता था। बाद में भी, कोई तलवार नहीं होती थी लेकिन सामुराई पंखे जैसी किसी चीज को उठाने की कोशिश करता था।

भुखमरी से आत्महत्या (एपोकार्टेरेसिस)

भूख हड़ताल से अंततः मृत्यु हो सकती है। हिन्दू और जैन भिक्षुओं द्वारा उपवास को मुक्ति पाने के एक कर्मकांडीय रीति के तौर पर प्रयोग किया जाता रहा है और अल्बिजेंसियाई या कैथर लोग 'कन्सोलामेंटम' संस्कार ग्रहण करने के बाद नैतिक रूप से पूर्ण अवस्था में मृत्यु को प्राप्त होने के लिए उपवास करते थे।

मृत्यु की यह विधि अक्सर राजनैतिक विरोध से भी जुड़ी रही है जैसे कि 1981 की आयरिश भूख हड़ताल जिसके दौरान 7 आईआरए (IRA) और 3 आईएनएलए पीओडब्ल्यू (INLA POWs) की लॉन्ग केश जेल के एच-ब्लॉक में मौत हो गयी थी। खोजी यात्री थोर हेयरडाल ने कैंसर रोग से पीड़ित होने पर अपने जीवन के अंतिम महीने में खाना खाने या दवा लेने से मना कर दिया था।[56]

निर्जलीकरण

निर्जलीकरण बर्दाश्त करना काफी कठिन हो सकता है,[57] और इसके लिए धैर्य और दृढ़ संकल्प की ज़रूरत होती है क्योंकि इसमें कई दिनों से कई हफ्ते तक लग सकते हैं। इसका अर्थ है कि अन्य दूसरे आत्महत्या के तरीकों के विपरीत यह क्षणिक आवेश में नहीं किया जा सकता है। जो टर्मिनल डिहाइड्रेशन (निर्जलीकरण) के द्वारा मृत्यु को प्राप्त होते हैं, अपनी मौत से पहले सामान्यतः अचेतनावस्था में चले जाते हैं और मतिभ्रम एवं सोडियम की कमी से पागलपन की स्थिति का अनुभव कर सकते हैं।[58] निर्जलीकरण रोकने से वास्तविक प्यास नहीं पैदा होती है, हालांकि मुँह के सूखने की अनुभूति अक्सर "प्यास" के रूप में बतायी जाती है। यह प्रमाण सत्य नहीं है, वास्तविक प्यास व्यापक होती है और दिखाती है कि बुरी संवेदना नसों के ज़रिये द्रव पहुँचाने से शांत नहीं होती है बल्कि ज़बान और होंठ को गीला करने और मुंह की उचित देख-रेख से शांत होती है। एडीमा से पीड़ित रोगी शरीर में अधिक द्रव होने के कारण मरने में ज्यादा समय लेने की प्रवृत्ति रखते हैं।[59]

दृढ़ संकल्प, पैठ, पेशेवराना ईमानदारी और सामाजिक अर्थों के सन्दर्भ में घातक निर्जलीकरण द्वारा अपने अंत तक पहुँचने को चिकित्सक के सहयोग से की गई आत्महत्या से कहीं ज्यादा अनुकूल होने की बात कही गयी है। ख़ास तौर पर एक मरीज़ को इलाज लेने से मना करने का अधिकार है और मरीज़ को पानी पीने के लिए मजबूर करना किसी के लिए एक व्यक्तिगत हमला हो सकता है, लेकिन चिकित्सक द्वारा केवल घातक दवाइयां देने से मना करने को ऐसा नहीं माना जा सकता है।[60] लेकिन मानवीय तरीके से स्वैच्छिक मृत्यु देने के रूप में इसकी विशिष्ट कमियां भी हैं।[61] मरणासन्न रोगियों के अस्पताल की नर्सों के एक सर्वेक्षण में पाया गया कि जल्दी मृत्यु को प्राप्त होने के लिए चिकित्सक के सहयोग से आत्महत्या चुनने वालों के मुकाबले ऐच्छिक रूप से भोजन और पानी लेने से मना करने का रास्ता चुनने वालों की देखभाल करने वाली नर्सों की संख्या दुगनी थी।[62] उन्होंने चिकित्सक के सहयोग द्वारा आत्महत्या के मुकाबले उपवास और निर्जलीकरण को कम कष्टकारक और अधिक शांतिपूर्ण बताया। [63] हालांकि दूसरे स्रोतों ने निर्जलीकरण के काफी दर्दनाक दुष्प्रभावों की चर्चा की है जिसमें दौरा पड़ना, त्वचा का फटना और रक्तस्त्राव, अंधापन, मिचली, उलटी, मरोड़ और तेज़ सिर दर्द शामिल हैं।[64] घातक बेहोशी की दवा (जिसके कारण निर्जलीकरण से मृत्यु हो जाती है) और इच्छा-मृत्यु के बीच का अंतर काफी महीन है।[65]

विस्फोट

एक अन्य तरीका है, विस्फोट द्वारा मृत्यु. उच्च-स्तरीय विस्फोटक जो निश्चित रूप से विस्फोट करते हैं और काफी मात्रा में ऊर्जा पैदा करते हैं, इनका इस्तेमाल अक्सर अनावश्यक दर्द से बचने के लिए किया जाता है।[66]

आत्मघाती हमले

आत्मघाती हमला एक ऐसा हमला है जिसमें हमलावर (हमलावर या तो एक व्यक्ति या फिर एक समूह भी हो सकता है) दूसरों को मारने का इरादा रखता है और इस प्रक्रिया में स्वयं अपनी जान गंवाने के लिए भी तैयार रहता है (जैसे कि कोलंबाइन, वर्जिनिया टेक)। शुद्ध अर्थों में कहा जाये तो एक आत्मघाती हमले में हमलावर खुद अपने हमले से मारा जाता है, उदाहरण के लिए हमलावर द्वारा किये गए किसी विस्फोट या दुर्घटना में. इस शब्द को कभी-कभी मोटे तौर पर एक ऐसी घटना से जोड़ा जाता है जिसमें हमलावर का इरादा तो स्पष्ट नहीं है लेकिन रक्षकों या जिस पक्ष पर हमला किया जा रहा है उसके प्रत्युत्तर से उसका मारा जाना लगभग निश्चित होता है; जैसे कि, "पुलिस द्वारा आत्महत्या" अर्थात् किसी सशस्त्र पुलिस अधिकारी को किसी हथियार या नुकसान पहुँचाने के प्रत्यक्ष अथवा घोषित इरादे के साथ डराना या उस पर आक्रमण करना जिसमें लगभग पूरी तरह से यह निश्चित है कि हमले को विफल करने के लिए पुलिस घातक शक्ति का प्रयोग करेगी। इसे हत्या/आत्महत्या भी कहा जा सकता है।

ऐसे हमले आम तौर पर धार्मिक या राजनीतिक विचारधारा से प्रेरित होते हैं और इन्हें कई तरीकों द्वारा अंजाम दिया जाता है। उदाहरण के लिए, अपने लक्ष्य के करीब जाकर स्वयं का विस्फोट करने से पहले हमलावर विस्फोटकों को अपने शरीर पर ही बाँध लेता है, जिसे आत्मघाती हमला (सुसाइड अटैक) भी कहा जाता है। नुकसान को सर्वाधिक करने के लिए वे कार बम या अन्य मशीनरी का इस्तेमाल भी कर सकते हैं (जैसे कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी कामिकाज़े पायलट)।

इसके अतिरिक्त किशोर छात्रों ने (अक्सर अमेरिका में और हाल ही में फिनलैंड और जर्मनी में) हाल के वर्षों में स्कूल शूटिंग नरसंहार के रूप में कई उल्लेखनीय आत्मघाती हमले किये हैं। इन आत्मघाती हमलों में अक्सर बंदूकों या घर में बने बमों को स्कूलों और कॉलेज के परिसरों में लाया गया होता है। हमले के बाद अपराधी पकड़े जाने से पहले आत्महत्या कर लेता है।

अप्रत्यक्ष आत्महत्या

अप्रत्यक्ष आत्महत्या सीधे तौर पर खुद कुछ किये बिना स्पष्ट रूप से घातक रास्ते पर चलने का कृत्य है। अप्रत्यक्ष आत्महत्या को कानूनी रूप से निरूपित आत्महत्या से इस तथ्य द्वारा विभेदित किया जाता है कि कर्ता प्रतीकात्मक रूप से (या वस्तुतः) बन्दूक के काल्पनिक घोड़े (ट्रिगर) को खुद नहीं दबाता है। अप्रत्यक्ष आत्महत्या के उदाहरणों में शामिल है, एक सिपाही द्वारा युद्ध में मारे जाने की प्रकट भावना और अपेक्षा से सेना में भर्ती होना. एक अन्य उदाहरण, एक सशत्र अफसर को अपने विरुद्ध घातक बल प्रयोग के लिए उत्तेजित करना हो सकता है। आम तौर पर यह "पुलिस द्वारा आत्महत्या" कहलाता है। कुछ उदाहरणों में कर्ता मृत्यु दंड प्राप्त करने की आशा से कोई बड़ा अपराध करता है। राज्य (शासन) की मदद से की जाने वाली यह आत्महत्या स्केंडिनेविया के जागरण काल में बेहद लोकप्रिय थी जहाँ कानून और धर्म में आत्महत्या की मनाही थी।[उद्धरण चाहिए] आज इस तरह की आत्महत्या अपेक्षाकृत दुर्लभ है।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

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  60. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
  61. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
  62. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर[मृत कड़ियाँ]
  63. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
  64. "संग्रहीत प्रति". मूल से 23 नवंबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 जनवरी 2011.
  65. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
  66. "मैथड्स ऑफ स्यूसाइड". मूल से 22 जनवरी 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 जनवरी 2011.

अग्रिम पठन

  • हम्फ्री, डेरेक. फाइनल एग्जिट: दी प्रैक्टिकैलटीज़ ऑफ सेल्फ-डिलिवरन्स एंड एसिस्टेड स्यूसाइड फॉर दी डाइंग . डेल. 1997.
  • फिलिप निस्च्के. दी पीसफुल पिल हैंडबुक. एग्जिट इंटरनेशनल यूएस, 2007. आईएसबीएन 0-9788-7882-5
  • स्टोन, जियो. स्यूसाइड एंड एटेम्पटेड स्यूसाइड: मैथड्स एंड कान्सक्वेन्सेज़ . न्यू यॉर्क: कैरोल और ग्राफ, 2001. आईएसबीएन 0-7867-0940-5
  • डॉ॰ पीटर एड्मायरल एट ऑल द्वारा गाइड टू ए ह्यूमन सेल्फ-चूजेन डेथ. वोज्ज़ (WOZZ) फाउंडेशन, डेल्फ्ट, नीदरलैंड्स. आईएसबीएन 9-0785-8101-8. 112 पृष्ठ
  • डॉकर, क्रिस फाइव लास्ट एक्ट्स दूसरा संस्करण 2010. आईएसबीएन 9781453869376. 414 पृष्ठ.