इंदिरा साहनी एवं अन्य बनाम केंद्र सरकार

इंदिरा साहनी एवं अन्य बनाम केंद्र सरकार (यूनियन ऑफ़ इंडिया) (मंडल जजमेंट) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण को सही ठहराया।[2][3] इंदिरा साहनी बनाम भारत सरकार के मामले में न्यायालय ने यह भी कहा था कि आरक्षण केवल प्रारंभिक नियुक्तियों पर ही लागू होगा न कि पदोन्नति पर।[4][5] 1992 में सर्वोच्च न्यायालय ने अधिवक्ता इंदिरा साहनी की याचिका पर ऐतिहासिक फ़ैसला सुनाते हुए जाति-आधारित आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत तय कर दी थी।[6]

इंदिरा साहनी एवं अन्य बनाम केंद्र सरकार
अदालतभारत का उच्चतम न्यायालय
पूर्ण मामले का नामइंदिरा साहनी एवं अन्य बनाम केंद्र सरकार (यूनियन ऑफ़ इंडिया)
फैसला किया16 नवम्बर 1992 (1992-11-16)
उद्धरण(एस)[1]
व्यक्ति वृत्त
appealed toभारत का उच्चतम न्यायालय
Subsequent action(s)See below
सन्निपतन6
Concur/dissent3

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "As SC considers referring Indra Sawhney judgment to larger bench, a look back at implications of landmark verdict". The firstpost. 2021-11-09. अभिगमन तिथि 2021-11-15.
  2. https://www.jagran.com/news/national-hearing-on-constitution-bench-of-five-judges-start-in-supreme-court-on-need-to-reconsider-reservation-limit-21466272.html
  3. "इंदिरा साहनी केस, जो सामान्य वर्ग के आरक्षण में सबसे बड़ा अड़ंगा है".
  4. "प्रमोशन में आरक्षण: क्या बदला और क्या नहीं".
  5. "इंदिरा साहनी, जिन्होंने रोका था नरसिम्हा सरकार का सवर्ण आरक्षण बिल".
  6. "10 फ़ीसदी आरक्षण का उस तरह विरोध नहीं होगा: इंदिरा साहनी".