कम्प्यूटर जगत में, एक स्कैनर एक ऐसा उपकरण है, जो चित्रों, मुद्रित पाठ्य-सामग्री, हस्तलेखन या किसी वस्तु को प्रकाशीय रूप से स्कैन करता है और इसे एक डिजिटल चित्र में रूपांतरित करता है। कार्यालयों में पाये जाने वाले आम उदाहरणों में विभिन्न प्रकार के डेस्कटॉप (या फ्लैटबेड) स्कैनर शामिल हैं, जिनमें दस्तावेज को स्कैनिंग के लिये कांच की एक सतह पर रखा जाता है। हैण्ड-हेल्ड स्कैनर्स (Hand-held scanners), जिनमें उपकरण को हाथ से हिलाया जाता है, का विकास पाठ्य-सामाग्री को स्कैन करनेवाली "छड़ियों" से लेकर औद्योगिक डिज़ाइन, रिवर्स इंजीनियरिंग, परीक्षण और मापन, ऑर्थोटिक्स (Orthotics), खेलों और अन्य अनुप्रयोगों के लिये प्रयुक्त 3D स्कैनर्स तक हुआ है। यांत्रिक रूप से संचालित होने वाले स्कैनर्स, जो दस्तावेज को घुमाते हैं, का प्रयोग सामान्यतः बड़े-प्रारूप वाले दस्तावेजों के लिये किया जाता है, जहां फ्लैट-बेड का प्रयोग अव्यावहारिक होगा।

विस्तृत ढक्कन वाला डेस्कटॉप स्कैनर.स्कैनिंग के लिए तैयार एक वस्तु को कांच पर रखा गया है।
उपरोक्त तस्वीर में द्रष्टव्य हरिताश्म गैंडे का स्कैन.
इमेज स्कैनर.

आधुनिक स्कैनर्स में चित्र संवेदक के रूप में विशिष्ट तौर पर एक चार्ज-कपल्ड डिवाइस (charge-coupled device) (CCD) या एक कॉन्टैक्ट इमेज सेंसर (Contact Image Sensor) (CIS) का प्रयोग किया जाता है, जबकि पुराने ड्रम स्कैनर चित्र संवेदक के रूप में एक फोटोमल्टीप्लायर ट्यूब (Photomultiplier Tube) का प्रयोग करते हैं। एक रोटरी स्कैनर, जिसका प्रयोग उच्च-गति से दस्तावेज की स्कैनिंग करने के लिये किया जाता है, ड्रम स्कैनर का एक अन्य प्रकार है, जिसमें फोटोमल्टिप्लायर के स्थान पर एक CCD की एक शृंखला का प्रयोग होता है। प्लैनेटरी स्कैनर, जो पुस्तकों और दस्तावेजों के चित्र लेते हैं, तथा 3D स्कैनर, जिनका प्रयोग वस्तुओं के त्रि-आयामी मॉडल बनाने के लिये किया जाता है, स्कैनर्स के अन्य प्रकार हैं।

स्कैनर की एक अन्य श्रेणी में डिजिटल कैमरा स्कैनर शामिल हैं, जो रेप्रोग्राफिक (Reprographic) कैमरा की संकल्पना पर आधारित होते हैं। लगातार बढ़ते रेज़ॉल्युशन और कम्पन-प्रतिरोध जैसी नई विशेषताओं के कारण, डिजिटल कैमरे सामान्य स्कैनर्स के एक आकर्षक विकल्प बन गये हैं। यद्यपि पारंपरिक स्कैनर्स की तुलना में अभी भी इनमें कुछ कमियां (जैसे विरूपण, परावर्तन, छाया, निम्न कॉन्ट्रास्ट) उपस्थित हैं, तथापि, डिजिटल कैमरे कुछ लाभ भी प्रदान करते हैं, जैसे गति, सुवाह्यता और किसी पुस्तक के जोड़ (Spine) को हानि पहुंचाए बिना मोटे दस्तावेजों का सौम्य अंकीकरण करना। नई प्रौद्योगिकियां 3D स्कैनर्स को डिजिटल कैमरों के साथ संयोजित करके वस्तुओं के पूर्ण-रंगीन, प्रकाश-यथार्थवादी 3D प्रतिमान निर्मित करती हैं।

जैव-चिकित्सा अनुसंधान के क्षेत्र में, DNA सूक्ष्म-श्रृंखलाओं की पहचान के लिये प्रयुक्त उपकरणों को भी स्कैनर कहा जाता है। ये स्कैनर सूक्ष्मदर्शियों के समान उच्च-रेज़ॉल्युशन (1 1 µm/पिक्सेल तक) वाले सिस्टम होते हैं। पहचान का कार्य CCD या एक फोटोमल्टिप्लायर ट्यूब (PMT) के माध्यम से किया जाता है।

ऐतिहासिक उदाहरण संपादित करें

 
एडावर्ड बेलिन और उनका बेलिनोग्राफ

स्कैनर्स को प्रारंभिक टेलीफोटोग्राफी इनपुट उपकरणों, जिनमें एक एकल फोटोडिटेक्टर के साथ 60 या 120 rpm (बाद वाले मॉडलों में 240 rpm तक) की मानक गति घूमता हुआ ड्रम होता था, के परवर्ती माना जा सकता है। वे मानक टेलीफोन ध्वनि को ले जाने वाली तारों के माध्यम से एक रेखीय एनालॉग AM सिग्नल भेजते हैं, जो आनुपातिक तीव्रता को तुल्यकालिक रूप से एक विशेष कागज़ पर मुद्रित करते हैं। इस प्रणाली का प्रयोग प्रेस में 1920 के दशक से लेकर 1990 के दशक के मध्य तक किया जाता रहा। रंगीन चित्रों को क्रमागत रूप से छने हुए तीन पृथक RGB चित्रों के रूप में भेजा जाता था, लेकिन संचारण लागत अधिक होने के कारण इनका प्रयोग केवल विशेष अवसरों पर ही किया जाता था।

प्रकार संपादित करें

ड्रम संपादित करें

फ्लैटबेड स्कैनर्स और सस्ते फिल्म स्कैनर्स में पाई जाने वाली चार्ज-कपल्ड-डिवाइस (CCD) श्रृंखलाओं के विपरीत ड्रम स्कैनर्स फोटोमल्टिप्लायर ट्यूब (PMT) की सहायता से चित्रात्मक जानकारी एकत्र करते हैं। परावर्तनशील और संचरणशील मूल कलाकृति एक एक्रिलिक सिलिण्डर, स्कैनर ड्रम, पर रखे जाते हैं, जो उस समय बहुत तेज़ गति से घूमता है, जब स्कैन किया जा रहा पदार्थ PMTs तक चित्र की सूचना पहुंचाने वाले शुद्धता ऑप्टिक्स के सामने से गुज़र रहा हो। सबसे आधुनिक रंगीन ड्रम स्कैनर्स तीन सुमेलित PMTs का प्रयोग करते हैं, जिनमें क्रमशः लाल, नीला और हरा प्रकाश होता है। मूल कलाकृति से उत्पन्न प्रकाश को स्कैनर के ऑप्टिकल बेंच पर लाल, नीले और हरे रंग वाले तीन पृथक किरण पुंजों में विभाजित किया जाता है।

ड्रम स्कैनर का नाम स्पष्ट एक्रिलिक सिलिण्डर, ड्रम, के नाम पर रखा गया है, जिस पर मूल कलाकृति को स्कैनिंग के लिये रखा जाता है। इनके आकार के आधार पर, 11x17" तक आकार वाली मूल कलाकृतियों को इस पर रख पाना संभव है, लेकिन अधिकतम आकार उत्पादक पर निर्भर होता है। ड्रम स्कैनर्स की एक अद्वितीय विशेषता यह है कि इनमें सैम्पल क्षेत्र और छिद्र के आकार को स्वतंत्र रूप से नियंत्रित किया जा सकता है। सैम्पल आकार वह क्षेत्र होता है, जिसे पढ़कर स्कैनर एन्कोडर एकल पिक्सेल का निर्माण करता है। छिद्र (Aperture) वह वास्तविक खुला स्थान होता है, जो प्रकाश को स्कैनर के ऑप्टिकल बेंच में प्रवेश करने की अनुमति देता है। छिद्र और सैम्पल आकार को पृथक रूप से नियंत्रित करने की यह क्षमता श्वेत-श्याम और रंगीन मूल कलाकृतियों के निगेटिव को स्कैन करते समय फिल्म के कणों को चिकना करने के लिये विशिष्ट रूप से उपयोगी होती है।

ड्रम स्कैनर्स जहां परावर्तनशील और संचरणशील दोनों प्रकार की कलाकृतियों को स्कैन कर पाने में सक्षम होते हैं, वहीं एक अच्छी गुणवत्ता वाला फ्लैट-बेड स्कैनर परावर्तनशील कलाकृति से अच्छा स्कैन उत्पन्न कर सकता है। इसके परिणामस्वरूप, स्कैन मुद्रणों के लिये ड्रम स्कैनर्स का प्रयोग बहुत कम ही किया जाता है, क्योंकि अब उच्च-गुणवत्ता वाले, सस्ते फ्लैटबेड स्कैनर्स सरलता से उपलब्ध हैं। हालांकि, फिल्म में ड्रम स्कैनर्स अभी भी उच्च-श्रेणी वाले अनुप्रयोगों के पसंदीदा उपकरण बने हुए हैं। चूंकि, गीली फिल्म को भी स्कैनर पर रखा जा सकता है और PMTs की संवेदनशीलता असाधारण होती है, अतः ड्रम स्कैनर्स फिल्म की मूल कलाकृति में से बहुत सूक्ष्म विवरणों को पकड़ पाने में सक्षम होते हैं।

केवल कुछ ही कम्पनियों ने ड्रम स्कैनर्स का उत्पादन जारी रखा है। हालांकि, पिछले एक दशक में नई और उपयोग की जा चुकी दोनों प्रकार की ईकाइयों के दाम कम हुए हैं, लेकिन अभी भी इनमें CCD फ्लैटबेड या फिल्म स्कैनर्स की तुलना भी उल्लेखनीय मौद्रिक निवेश की आवश्यकता होती है। हालांकि ड्रम स्कैनर्स की मांग अभी भी बनी हुई है क्योंकि उनमें उच्च रेज़ोल्युशन, रंग श्रेणीकरण और मूल्य संरचना वाले स्कैन उत्पन्न कर पाने की क्षमता होती है। इसके अतिरिक्त, चूंकि ड्रम स्कैनर्स 12,000 PPI तक रेज़ॉल्युशन में सक्षम होते हैं, अतः उनका प्रयोग करने की अनुशंसा सामान्यतः तब की जाती है, जब स्कैन किये जाने वाले चित्र का आकार बढ़ाना हो।

 
स्कैन की गई पहली छवि

अधिकांश चित्र-कला कार्यों में, अत्यधिक-उच्च-गुणवत्ता वाले फ्लैटबेड स्कैनर्स ने ड्रम स्कैनर्स का स्थान ले लिया है क्योंकि वे कम महंगे और अधिक तेज़ होते हैं। हालांकि, अभी भी ड्रम स्कैनर्स का प्रयोग किसी संग्रहालय जैसी गुणवत्ता में चित्रों के पुरालेखन और पुस्तकों व पत्रिकाओं में उच्च-गुणवत्ता वाले विज्ञापनों के प्रकाशन आदि जैसे उच्च-श्रेणी वाले अनुप्रयोगों में किया जाता है। इसके अतिरिक्त, पूर्व में उपयोग की जा चुकी ईकाइयों की उच्च उपलब्धता के कारण, अनेक फाइन-आर्ट फोटोग्राफर्स ड्रम स्कैनर ले रहे हैं, जिससे इन मशीनों के लिये एक नये प्रकार का बाज़ार निर्मित हुआ है।

सबसे पहला स्कैनर एक ड्रम स्कैनर था। इसका नि्र्माण रसेल कर्श (Russell Kirsch) के नेतृत्व में US नैशनल ब्यूरो ऑफ स्टैण्डर्ड्स (US National Bureau of Standards) में कार्यरत एक समूह द्वारा 1957 में किया गया था। इस मशीन पर स्कैन किया गया सबसे पहला चित्र कर्श के पुत्र वाल्डेन, जिनकी आयु उस समय तीन माह थी, का एक 5 वर्ग सेमी का चित्र था। इस श्वेत-श्याम चित्र के एक ओर का रेज़ॉल्युशन 176 पिक्सेल था।[1]

फ्लैटबेड संपादित करें

एक फ्लैटबेड स्कैनर सामान्यतः कांच के एक चौकोर टुकड़े (या प्लैटेन), जिसके नीचे एक चमकीला प्रकाश (अक्सर ज़ेनोन या शीतल कैथोड फ्लुरेसेंट) होता है, जो इस टुकड़े को प्रकाशित करता है और CCD स्कैनिंग में घूमती एक ऑप्टिकल शृंखला से मिलकर बना होता है। CCD-प्रकार के स्कैनर्स में विशिष्ट रूप से लाल, हरे और नीले फिल्टर्स के साथ संवेदकों की तीन पंक्तियां (श्रृंखलाएं) होती हैं। CIS स्कैनिंग प्रकाशन के लिये झिलमिलाहटपूर्ण बनाए गए लाल, हरे और नीले LEDs तथा प्रकाश के संग्रहण के लिये इससे जुड़े एक एकल रंग वाले फोटोडायोड के घूमते समुच्चय से मिलकर बनी होती है। जिन चित्रों को स्कैन किया जाना हो, उन्हें नीचे की ओर मुंह करके कांच पर रखा जाता है, परिवेशी प्रकाश को बाहर रखने के लिये इसे एक अपारदर्शी कवर से ढंक दिया जाता है और संवेदक शृंखला व प्रकाश स्रोत पूरे क्षेत्र को पढ़ते हुए कांच के चौकोर टुकड़े से गुज़रते हैं। अतः इसके द्वारा परावर्तित प्रकाश के कारण चित्र केवल संसूचक (Detector) के लिये ही दृश्यमान होता है। पारदर्शी छवियां इस प्रकार कार्य नहीं करतीं और उनके लिये विशेष सहायक साधनों की आवश्यकता होती है, जो उन्हें ऊपरी भाग से प्रकाशित करते हैं। अनेक स्कैनर्स एक विकल्प के रूप में यह सुविधा प्रदान करते हैं।

फिल्म संपादित करें

 
DSLR कैमरा और स्लाइड स्कैनर

"स्लाइड" (पॉज़िटिव) या निगेटिव फिल्म को एक उपकरण में स्कैन किया जा सकता है, जिसे विशेष रूप से इसी उद्देश्य के लिये निर्मित किया जाता है। सामान्यतः छः फ्रेमों तक की असंपादित फिल्म पट्टिकाएं या चार आरूढ़ स्लाइड्स एक वाहक में प्रविष्ट की जाती हैं, जिसे चरणबद्ध रूप से चलनेवाली एक मोटर द्वारा स्कैनर के भीतर एक लेंस तथा CCD संवेदक के आर-पार आगे बढ़ाया जाता है। कुछ मॉडल मुख्यतः समान-आकार के स्कैन्स का प्रयोग करते हैं।

हैण्ड संपादित करें

हैण्ड स्कैनर्स दो प्रकार के होते हैं: दस्तावेज और 3D स्कैनर्स. हैण्ड-हेल्ड दस्तावेज स्कैनर्स ऐसे मानवीय उपकरण होते हैं, जिन्हें स्कैन किये जाने वाले चित्र की सतह पर घसीटा जाता है। इस प्रकार से दस्तावेजों की स्कैनिंग करने के लिये हाथ को स्थिर रखने की आवश्यकता होती है क्योंकि एक असमान स्कैनिंग दर होने पर एक विरूपित चित्र उत्पन्न होगा- स्कैनर से निकलने वाला थोड़ा-सा प्रकाश यह सूचित करेगा कि क्या गति बहुत अधिक तेज़ थी। उनमें विशिष्ट रूप से एक "स्टार्ट" बटन होती है, जिसे प्रयोक्ता द्वारा स्कैन के दौरान पकड़ा जाता है; प्रकाशीय रेज़ॉल्युशन को निर्धारित करने के लिये कुछ स्विच होते हैं; और एक रोलर होता है, जो कम्प्यूटर के साथ तुल्यकालन के लिये एक क्लॉक-पल्स (Clock Pulse) उत्पन्न करता है। अधिकांश हैण्ड हेल्ड स्कैनर्स एक रंग वाले होते थे और चित्र को प्रकाशित करने के लिये हरे LEDs की एक शृंखला से प्रकाश उत्पन्न करते थे। एक विशिष्ट हैण्ड स्कैनर में एक छोटी खिड़की भी होती थी, जिसके माध्यम से स्कैन किये जा रहे दस्तावेज को देखा जा सकता था। वे 1990 के दशक के प्रारंभ में लोकप्रिय थे और सामान्यतः उनमें एक विशिष्ट प्रकार के कम्प्यूटर के लिये विशिष्ट स्वामित्व वाला एक इन्टरफेस मॉड्यूल, सामान्यतः एक अटारी ST (Atari ST) या कमोडोर एमिगा (Commodore Amiga), होता था।

हालांकि दस्तावेज स्कैनिंग की लोकप्रियता घट गई है, लेकिन हैण्ड-हेल्ड 3D स्कैनर्स का प्रयोग अनेक अनुप्रयोगों के लिये लोकप्रिय बना हुआ है, जिनमें औद्योगिक डिज़ाइन, रेवर्स इंजीनियरिंग, निरीक्षण एवं विश्लेषण, डिजिटल उत्पादन और चिकित्सीय अनुप्रयोग शामिल हैं। मानवीय हाथों की असमान गति की क्षतिपूर्ति करने के लिये, अधिकांश 3D स्कैनिंग सिस्टम संदर्भ चिन्हों की स्थापना पर आश्रित होते हैं- विशिष्टतः आसंजक परावर्तनशील टैब्स, जिनका प्रयोग स्कैनर द्वारा तत्वों को पंक्तिबद्ध करने और स्थितियों का स्थान चिह्नित करने के लिये किया जाता है।

गुणवत्ता संपादित करें

विशिष्ट रूप से स्कैनर्स शृंखला से लाल-हरे-नीले रंग (RGB) के डेटा को पढ़ते हैं। इसके बाद किसी मालिकाना एल्गोरिथ्म के द्वारा इस डेटा पर प्रक्रिया करके विभिन्न प्रदर्शन स्थितियों के अनुसार इसमें सुधार किया जाता है और इसे उपकरण के इनपुट/आउटपुट इन्टरफेस (सामान्यतः SCSI या USB मानक से पहले वाली मशीनों में द्विदिशात्मक समानान्तर पोर्ट) के माध्यम से कम्प्यूटर तक भेज दिया जाता है। स्कैनिंग शृंखला की विशेषताओं के आधार पर रंग के गाढ़ेपन में अंतर हो सकता है, लेकिन सामान्यतः यह कम से कम 24 बिट होती है। उच्च गुणवत्ता वाले मॉडलों में रंग गहराई 48 बिट या इससे अधिक होती है। स्कैनर के लिये एक अन्य अर्हता मापदण्ड पिक्सेल प्रति इंच (Pixels per inch) (ppi) में मापा जाने वाला इसका रेज़ॉल्युशन होता है, जिसका उल्लेख अधिक शुद्ध रूप में अक्सर सैम्पल्स प्रति इंच (Samples per inch) (spi) के रूप में किया जाता है। स्कैनर के वास्तविक प्रकाशीय रेज़ॉल्युशन, एकमात्र अर्थपूर्ण मापदण्ड, का प्रयोग करने के बजाय उत्पादक अंतर्वेशित रेज़ॉल्युशन का उल्लेख करना पसंद करते हैं, जो कि सॉफ्टवेयर अंतर्वेशन के कारण बहुत उच्च होता है। 2009 के अनुसार , एक उच्च श्रेणी वाला फ्लैटबेड स्कैनर 5400 ppi तक स्कैन कर सकता है और एक अच्छे ड्रम स्कैनर का ऑप्टिकल रेज़ॉल्युशन 12,000 ppi होता है।

अक्सर उत्पादक 19,200 ppi तक उच्च अंतर्वेशित रेज़ॉल्युशन का दावा करते हैं; लेकिन ऐसे आंकड़ों की सार्थकता बहुत कम है क्योंकि संभावित अंतर्वेशित पिक्सलों की संख्या असीमित होती है।

निर्मित की गई फाइल का आकार रेज़ॉल्युशन के वर्ग के साथ बढ़ता जाता है; रेज़ॉल्युशन का मान दोगुना करने पर फाइल का आकार चार गुना बढ़ जाता है। अनिवार्य रूप से एक ऐसा रेज़ॉल्युशन चुना जाना चाहिए, जो उपकरण की क्षमताओं की सीमा के भीतर हो, पर्याप्त विवरण बचाकर रखता हो और बहुत बड़े आकार की फाइल निर्मित न करता हो। किसी दिये गये रेज़ॉल्युशन के लिये JPEG जैसी "क्षतिपूर्ण (Lossy)" सम्पीड़न विधियों का प्रयोग करके गुणवत्ता की कुछ हानि उठाकर फाइल का आकार कम किया जा सकता है। यदि सर्वोत्तम संभव गुणवत्ता आवश्यक हो, तो क्षतिरहित (Lossless) सम्पीड़न का प्रयोग करना चाहिए; आवश्यकता होने पर इस प्रकार के किसी चित्र से कम गुणवत्ता वाली छोटे आकार की फाइल बनाई जा सकती है (उदाहरणार्थ, एक पूरे पृष्ठ पर मुद्रण के लिये निर्मित एक चित्र और तीव्र गति से खुलनेवाले किसी वेब-पृष्ठ के एक भाग के रूप में प्रदर्शित बहुत छोटी फाइल)।

घनत्व सीमा स्कैनर का तीसरा महत्वपूर्ण मापदण्ड होता है। एक उच्च घनत्व सीमा का अर्थ यह है कि स्कैनर एक ही स्कैन में छाया के विवरणों और दीप्ति के विवरणों को पुनरुत्पादित कर सकता है।

पूर्ण-रंगीन को 3D मॉडलों के साथ संयोजित करके, आधुनिक हैण्ड हेल्ड स्कैनर पूरे पदार्थ को इलेक्ट्रॉनिक रूप से पुनरुत्पन्न कर सकते हैं। रंगीन 3D प्रिंटरों की उपस्थिति अनेक उद्योगों और व्यवसायों में प्रयुक्त अनुप्रयोगों में इन पदार्थों के अचूक लघुरूपण की क्षमता प्रदान करती है।

कंप्यूटर संयोजन संपादित करें

दस्तावेज की स्कैनिंग इस प्रक्रिया का केवल भाग है। स्कैन किया गया चित्र तभी उपयोगी होता है, जब इसे स्कैनर से कम्प्यूटर पर चल रहे किसी अनुप्रयोग तक स्थानांतरित किया जाए. इसमें दो बुनियादी मुद्दे हैं: (1) भौतिक रूप से स्कैनर को कम्प्यूटर से किस प्रकार जोड़ा गया है और (2) अनुप्रयोग स्कैनर से सूचना किस प्रकार ग्रहण करता है।

कम्प्यूटर से एक प्रत्यक्ष भौतिक संबंध संपादित करें

एक स्कैनर द्वारा उत्पन्न डेटा की मात्रा बहुत अधिक हो सकती है: 600 DPI वाले 9"X11" (A4 आकार के कागज़ से थोड़ा बड़ा) के एक 24-बिट वाले असम्पीड़ित चित्र में 100 मेगाबाइट डेटा होता है, जिसे अनिवार्य रूप से स्थानांतरित और भण्डारित किया जाना चाहिए। हालिया स्कैनर डेटा की इतनी मात्रा कुछ ही सेकंडों के समय में उत्पन्न कर सकते हैं, जिसके कारण एक तीव्र संयोजन वांछित होता है।

स्कैनर्स अपने होस्ट कम्यूटर से निम्नलिखित में से किसी एक भौतिक इन्टरफेस का प्रयोग करके संवाद करते हैं, जिन्हें धीमे से तीव्र के क्रम में रखा गया है:

  • समानान्तर - किसी समानान्तर पोर्ट के माध्यम से संयोजन करना सबसे धीमी गति वाली एक आम विधि है। प्रारंभिक स्कैनर्स में समानान्तर पोर्ट वाले संयोजन होते थे, जो डेटा को 70 किलोबाइट्स/सेकण्ड से अधिक गति से स्थानांतरित नहीं कर सकते थे। समानांतर पोर्ट संयोजन का मुख्य लाभ यह है कि यह सस्ता था: इसके लिये कम्प्यूटर में एक इन्टरफेस कार्ड जोड़ने की आवश्यकता नहीं थी।
  • GPIB - जनरल पर्पस इन्टरफेस बस (General Purpose Interface Bus)। कुछ विशिष्ट ड्रम स्कैनर्स, जैसे हॉटेक D4000 (Howtek D4000) में SCSI और GPIB दोनों इन्टरफेस उपलब्ध थे। इनमें से बाद वाला इन्टरफेस 1970 के दशक के मध्य में प्रस्तुत IEEE-488 मानक का पालन करता है। GPIB-इन्टरफेस का प्रयोग केवल कुछ ही स्कैनर उत्पादकों द्वारा किया गया है, जिनमें से अधिकांश उत्पादक DOS/Windows वातावरण के लिये सेवाएं प्रदान करते हैं। ऐपल मैकिन्टोश (Apple Macintosh) प्रणालियों के लिये नैशनल इन्स्ट्रुमेंट्स (National Instruments) ने एक NuBus GPIB इन्टरफेस कार्ड प्रदान किया।
  • स्मॉल कम्प्यूटर सिस्टम इन्टरफेस (Small Computer System Interface) (SCSI), जिसका अधिकांश कम्प्यूटरों द्वारा एक अतिरिक्त SCSI इन्टरफेस कार्ड के माध्यम से समर्थन किया जाता है। कुछ SCSI स्कैनर्स PC के लिये एक समर्पित SCSI कार्ड के साथ प्रदान किये जाते हैं, हालांकि किसी भी SCSI नियंत्रक का प्रयोग किया जा सकता है। SCSI मानक के विकास के दौरान, पार्श्व संगतता के साथ गति में वृद्धि हुई; एक SCSI संयोजन उतनी उच्चतम गति के साथ डेटा का स्थानांतरण कर सकता है, जितनी गति का समर्थन नियंत्रक और उपकरण दोनों करते हों. SCSI को बड़े पैमाने पर USB और फायरवायर (Firewire) द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया है, जिनमें से एक या दोनों का समर्थन अधिकांश कम्प्यूटरों द्वारा किया जाता है और जिन्हें लगाना SCSI की तुलना में सरल है।
  • यूनिवर्सल सीरियल बस (Universal Serial Bus) (USB) स्कैनर्स डेटा को शीघ्रतापूर्वक स्थानांतरित कर सकते हैं और उनका प्रयोग करना अधिक सरल होता है तथा वे SCSI उपकरणों की तुलना में सस्ते होते हैं। प्रारंभिक USB 1.1 मानक केवल 1.5 मेगाबाइट्स प्रति सेकण्ड (SCSI से कम) की गति से डेटा का स्थानांतरण कर सकते थे, लेकिन बाद वाला USB 2.0 मानक सैद्धांतिक रूप से 60 मेगाबाइट्स प्रति सेकण्ड तक की गति से डेटा का स्थानांतरण कर सकता है (हालांकि, दैनिक दरें बहुत कम हैं), जिसके परिणामस्वरूप कार्य अधिक तीव्रता से किया जा सकता है।
  • फायरवायर (FireWire) एक इन्टरफेस है, जो USB 1.1 से बहुत अधिक तेज़ है और USB 2.0 के साथ तुलना किये जाने योग्य है। फायरवायर की गतियां 25, 50 और 100, 400 तथा 800 मेगाबिट्स प्रति सेकण्ड हैं (लेकिन संभव है कि कोई उपकरण सभी गतियों का समर्थन न करता हो)। इसे IEEE-1394 नाम से भी जाना जाता है।
  • कुछ प्रारंभिक स्कैनर्स एक मानक इन्टरफेस के बजाय एक मालिकाना इन्टरफेस कार्ड का प्रयोग करते थे।

किसी कम्प्यूटर के साथ अप्रत्यक्ष (नेटवर्क) संयोजन संपादित करें

नब्बे के दशक के प्रारंभ में, व्यावसायिक फ्लैटबेड स्कैनर्स व्यावसायिक प्रयोक्ताओं पर लक्ष्यित थे। कुछ विक्रेता (जैसे यूमैक्स (Umax)) एक होस्ट कम्प्यूटर से जुड़े स्कैनर को किसी स्थानीय कम्प्यूटर नेटवर्क के सभी प्रयोक्ताओं द्वारा अभिगम्य स्कैनर के रूप में कार्य करने की अनुमति देते थे। यह, उदाहरणार्थ, प्रकाशकों, मुद्रण स्थलों आदि के लिये, बहुत उपयोगी साबित हुआ। नब्बे के दशक के मध्य के बाद यह कार्यात्मकता धीरे-धीरे समाप्त हो गई क्योंकि प्रत्येक वर्ष बीतके के साथ ही फ्लैटबेड स्कैनर्स अधिक वहन करने योग्य होते गए। हालांकि 2000 और उसके बाद, (छोटे) कार्यालयों और उपभोक्ताओं दोनों को सेवा देने पर लक्ष्यित ऑल-इन-वन बहु-उद्देशीय उपकरणों में सामान्यतः एक साथ संयोजित प्रिंटर, स्कैनर, कॉपियर और फैक्स पूरे कार्यदल के लिये एक ही उपकरण में उपलब्ध होते हैं और प्रत्येक प्रयोक्ता को फैक्स, स्कैन, कॉपी और प्रिंट कार्यात्मकता प्रदान करते हैं।

ऐप्लीकेशन्स प्रोग्रामिंग इन्टरफेस (Applications Programming Interface) संपादित करें

एडोब फोटोशॉप (Adobe Photoshop) जैसे किसी अनुप्रयोग के लिये स्कैनर के साथ संपर्क करना अनिवार्य है। अनेक स्कैनर्स उपलब्ध हैं और उनमें से अनेक स्कैनर्स विभिन्न प्रोटोकॉल्स का प्रयोग करते हैं। अनुप्रयोग प्रोग्रामिंग को सरल बनाने के उद्देश्य से, कुछ एप्लीकेशन्स प्रोग्रामिंग इन्टरफेस (Applications Programming Interfaces) ("API") विकसित किये गये थे। API स्कैनर के लिये एक समान इन्टरफेस प्रस्तुत करता है। इसका अर्थ यह है कि स्कैनर तक प्रत्यक्ष अभिगम्यता के लिये अनुप्रयोग को स्कैनर के विशिष्ट विवरणों को जानने की आवश्यकता नहीं होती. उदाहरणार्थ, एडोब फोटोशॉप (Adobe Photoshop) TWAIN मानक का समर्थन करता है; इसीलिये सैद्धांतिक रूप से फोटोशॉप TWAIN का समर्थन करनेवाले किसी भी स्कैनर से एक चित्र प्राप्त कर सकता है।

व्यावहारिक रूप से, जब एक अनुप्रयोग किसी स्कैनर से साथ संपर्क करता है, तो अक्सर उस समय अनेक समस्याएं उत्पन्न होती हैं। अनुप्रयोग या स्कैनर के उत्पादक (या दोनों) के द्वारा किये गए API क्रियान्वयन में कोई त्रुटि हो सकती है।

विशिष्टतः, API को एक गतिज रूप से जुड़नेवाली लाइब्रेरी (Dynamically Linked Library) के रूप में क्रियान्वित किया जाता है। प्रत्येक स्कैनर उत्पादक ऐसा सॉफ्टवेयर प्रदान करता है, जो API प्रोसीजर कॉल को एक हार्डवेयर नियंत्रक (जैसे SCSI, USB या फायरवायर (FireWire) नियंत्रक) को दिये जाने वाले सामन्य आदेशों में अनुवादित करता है। API का उत्पादक वाला भाग आमतौर पर डिवाइस ड्राइवर कहलाता है, लेकिन यह नाम पूरी तरह अचूक नहीं है: API कर्नेल मोड में कार्य नहीं करता और उपकरण को सीधे अभिगम नहीं करता.

कुछ स्कैनर उत्पादक एक से अधिक API प्रदान करेंगे।

अधिकांश स्कैनर्स TWAIN API का प्रयोग करते हैं। TWAIN API, जिसे मूलतः निम्न-स्तरीय और घरों में प्रयुक्त उपकरणों में प्रयोग किया जाता था, अब बड़े-स्तर पर की जाने वाली स्कैनिंग में व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है।

अन्य स्कैनर API's निम्नलिखित हैं

पिक्सेल ट्रांसलेशन्स (Pixel Translations) द्वारा निर्मित ISIS, जो प्रदर्शन कारणों से अभी भी SCSI-II का प्रयोग करता है, को बड़ी, विभागीय-स्तर की मशीनों द्वारा प्रयोग किया जाता है।

SANE (Scanner Access Now Easy) स्कैनर्स का अभिगमन करने के लिये एक मुक्त/खुले स्रोत वाला API है। मूलतः यूनिक्स (Unix) और लिनक्स (Linux) ऑपरेटिंग सिस्टमों के लिये विकसित, इसे API OS/2, मैक OS X (Mac OS X) और माइक्रोसॉफ्ट विण्डोज़ (Microsoft Windows) तक ले जाया गया है। TWAIN के विपरीत SANE प्रयोक्ता इन्टरफेस को नहीं संभालता. यह डिवाइस ड्राइवर से किसी विशेष समर्थन के बिना ही बैच स्कैन और पारदर्शी नेटवर्क अभिगम की अनुमति देता है।

विण्डोज़ इमेज ऐक्विज़िशन (Windows Image Acquisition) ("WIA") माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) द्वारा प्रदत्त एक API है।

एकत्र अनुप्रयोग संपादित करें

हालांकि स्कैनिंग उपयोगिता के अतिरिक्त कोई भी अन्य सॉफ्टवेयर किसी भी स्कैनर की विशेषता नहीं है, लेकिन फिर भी अनेक स्कैनर्स सॉफ्टवेयर के साथ एकत्र रूप में मिलते हैं। विशिष्टतः, स्कैनिंग उपयोगिता के अतिरिक्त, किसी प्रकार के चित्र-संपादन अनुप्रयोग (जैसे फोटोशॉप) और ऑप्टिकल कैरेक्टर रेकग्निशन (Optica Character Recognition) (OCR) सॉफ्टवेयर प्रदान किये जाते हैं। OCR सॉफ्टवेयर पाठ्य सामग्री की चित्रात्मक छवियों को एक मानक पाठ्य सामग्री में रूपांतरित करता है, जिसे आम शब्द-प्रक्रिया (Word-processing) और पाठ्य-सामग्री संपादन (Text-editing) सॉफ्टवेयर का प्रयोग करके संपादित किया जा सकता है; हालांकि अचूकता कभी-कभी ही सटीक होती है।

आउटपुट डेटा संपादित करें

स्कैन किये जाने के बाद प्राप्त परिणाम एक गैर-संपीड़ित RGB चित्र होता है, जिसे एक कम्प्यूटर की मेमोरी में स्थानांतरित किया जा सकता है। कुछ स्कैनर्स अंतःस्थापित फर्मवेयर (Firmware) का प्रयोग करके चित्र को संपीड़ित और साफ करते हैं। एक बार कम्प्यूटर पर आ जाने पर, एक तीव्र रास्टर ग्राफिक्स प्रोग्राम (जैसे फोटोशॉप और GIMP) के द्वारा चित्र पर प्रक्रिया की जा सकती है और इसे किसी भण्डारण उपकरण (जैसे एक हार्ड-डिस्क) पर भण्डारित किया जा सकता है।

चित्रों को सामान्यतः एक हार्ड डिस्क पर भण्डारित किया जाता है। चित्रों को सामान्यतः असंपीड़ित बिटमैप, "गैर-क्षतिपूर्ण" (क्षतिरहित) संपीड़ित TIFF और PNG, तथा "क्षतिपूर्ण" संपीड़ित JPEG जैसे चित्र प्रारूपों में भण्डारित किया जाता है। दस्तावेजों को TIFF या PDF प्रारूप में भण्डारित करना सर्वश्रेष्ठ होता है; JPEG पाठ्य-सामग्री के लिये विशेष रूप से अनुपयुक्त होता है। यदि पाठ्य सामग्री स्पष्ट रूप से मुद्रित हों और एक ऐसी अक्षराकृति व आकार में हों कि उन्हें ऑप्टिकल कैरेक्टर रेकग्निशन (Optical character recognition) (OCR) सॉफ्टवेयर द्वारा पढ़ा जा सके, तो यह सॉफ्टवेयर पाठ्य-सामग्री के एक स्कैन किये गये चित्र को सहनीय अचूकता के साथ एक संपादित किये जाने योग्य प्रारूप में रूपांतरित करने की अनुमति देता है। OCR क्षमता को स्कैनिंग सॉफ्टवेयर के साथ एकीकृत किया जा सकता है, या स्कैन की गई चित्र फाइलों पर किसी पृथक OCR प्रोग्राम की सहायता से प्रक्रिया की जा सकती है।

दस्तावेज़ प्रसंस्करण संपादित करें

 
दस्तावेज़ स्कैनर

केवल चित्रों के पुनरुत्पादन की तुलना में भण्डारण के लिये कागज़ी दस्तावेजों की स्कैनिंग या अंकीकरण (Digitization) के कार्य में स्कैनिंग उपकरण की विभिन्न आवश्यकताओं का प्रयोग किया जाता है। हालांकि दस्तावेजों को सामान्य-उद्देशीय स्कैनर्स पर स्कैन किया जा सकता है, लेकिन यह कार्य एटिज़ इनोवेशन (Atiz Innovation), बोव बेल एण्ड हॉवेल (Böwe Bell & Howell), कैनन (Canon), एप्सन (Epson), फुजित्सु (Fujitsu), HP, कोडैक (Kodak) और अन्य कम्पनियों द्वारा बनाये गये समर्पित दस्तावेज स्कैनर्स पर अधिक दक्षतापूर्वक किया जा सकता है।

दस्तावेजों की बड़ी मात्रा को स्कैन करते समय गति और कागज़-प्रबंधन बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन स्कैन का रेज़ॉल्युशन चित्रों के अच्छे पुनरुत्पादन की तुलना में बहुत कम होगा।

दस्तावेज स्कैनर्स में दस्तावेज फीडर्स होते हैं, जिनका आकार सामान्यतः कॉपियर्स या सर्व-उद्देशीय (All-purpose) स्कैनर्स पर पाये जाने वाले फीडर्स से बड़ा होता है। स्कैनिंग की प्रक्रिया उच्च गति, संभवतः 20 से 150 पृष्ठ प्रति मिनट, पर, अक्सर ग्रे-स्केल में पूर्ण की जाती है, हालांकि अनेक स्कैनर्स रंगों का समर्थन भी करते हैं। अनेक स्कैनर्स दोनों ओर मुद्रित मूल दस्तावेजों के दोनों भागों को स्कैन कर सकते हैं (दोहरा कार्य [Duplex Operation])। परिष्कृत दस्तावेज स्कैनर्स में ऐसा फर्मवेयर या सॉफ्टवेयर होता है, जो पाठ्य-सामग्री के उत्पादन के साथ ही उसके स्कैन को साफ करता जाता है और गलती से लगे दाग़ों को मिटाकर अक्षराकृति को तीक्ष्ण बनाता है; चित्रात्मक कार्य के लिये यह अस्वीकार्य होगा क्योंकि उसमें दाग़ों को वांछित सूक्ष्म विवरण से विश्वासपूर्वक अलग नहीं पहचाना जा सकता. निर्मित की जा रही फाइलों को निर्माण के साथ ही संपीड़ित भी किया जाता है।

प्रयुक्त रेज़ॉल्युशन सामान्यतः 150 से 300 dpi के बीच होता है, हालांकि हार्डवेयर कुछ उच्च रेज़ॉल्युशन दे पाने में सक्षम हो सकता है; यह उच्च-रेज़ोल्युशन वाले चित्रों के लिये आवश्यक उच्च भण्डारण स्थान की मांग किये बिना पाठ्य-सामग्री के ऐसे चित्र उत्पन्न करता है, जिन्हें ऑप्टिकल कैरेक्टर रेकग्निशन (OCR) द्वारा अच्छी तरह पढ़ा जा सके।

संपादन-योग्य तथा खोजी जा सकने योग्य फाइलों का निर्माण करने के लिये दस्तावेज स्कैन अक्सर OCR प्रौद्योगिकी का प्रयोग करके उत्पन्न किये जाते हैं। अधिकांश स्कैनर्स ISIS या TWAIN का प्रयोग करके दस्तावेजों को TIFF प्रारूप में स्कैन करते हैं, ताकि उन्हें एक दस्तावेज प्रबंधन तंत्र में भेजा जा सके, जो स्कैन किये गये पृष्ठों के पुरालेख्नन और पुनः प्राप्ति को संभालेगा. क्षतिपूर्ण JPEG संपीड़न, जो कि चित्रों के लिये बहुत दक्ष होता है, पाठ्य-सामाग्री के लिये अवांछित है क्योंकि तिरछे किये गये सीधे किनारे नुकीले दिखाई देने लगते हैं और एक हल्की पृष्ठभूमि पर गहरी काली (या रंगीन) पाठ्य-सामग्री क्षतिरहित संपीड़न प्रारूपों के साथ अच्छी तरह संपीड़ित हो जाती है।

हालांकि कागज़ भरने और स्कैनिंग का कार्य स्वचालित रूप से और शीघ्रता से किया जा सकता है, लेकिन इसकी तैयारी और अनुक्रमण आवश्यक होते हैं और इन कार्यों में अत्यधिक मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता पड़ती है। तैयारी के कार्य में स्कैन किये जाने वाले कागज़ों का मानवीय रूप से निरीक्षण करना और इस बात को सुनिश्चित करना शामिल है कि वे क्रम में हैं, मुड़े हुए नहीं है और उनमें कोई स्टेपल या कुछ भी ऐसा नहीं है, जो स्कैनर को फंसा दे। इसके अतिरिक्त, कुछ उद्योगों, जैसे न्यायिक और चिकित्सीय, के लिये दस्तावेजों में बेट्स अंकन (Bates Numbering) या कोई अन्य चिह्न होना आवश्यक हो सकता है, जो दस्तावेज पहचान संख्या और दस्तावेज स्कैन की तिथि/समय बताता हो।

अनुक्रमण में फाइलों का साथ मुख्य-शब्द (keywords) जोड़ना शामिल होता है, ताकि उन्हें सामग्री के द्वारा पुनःप्राप्त किया जा सके। कभी-कभी यह प्रक्रिया कुछ हद तक स्वचालित हो सकती है, लेकिन इसमें मानवीय श्रम की आवश्यकता होना संभावित है। बारकोड-पहचान प्रौद्योगिकी (Barcode-recognition technology) का प्रयोग करना एक सामान्य पद्धति है: तैयारी के दौरान, फोल्डर नामों से युक्त बारकोड शीट्स दस्तावेज फाइलों, फोल्डर्स और दस्तावेज समूहों में प्रविष्ट की जाती हैं। स्वचालित बैच स्कैनिंग का प्रयोग करके, ये दस्तावेज उपयुक्त फोल्डरों में संचित किये जाते हैं और दस्तावेज-प्रबंधन सॉफ्टवेयर तंत्र में एकीकरण के लिये एक अनुक्रमणिका बनाई जाती है।

पुस्तकों की स्कैनिंग दस्तावेज स्कैनिंग का एक विशेषीकृत प्रकार है। चूंकि पुस्तकें बंधी हुई होती हैं और कभी-कभी नाज़ुक और दुर्लभ भी होती हैं, अतः इसके कारण कुछ तकनीकी समस्याएं उत्पन्न हो सकतीं हैं, लेकिन कुछ निर्माताओं ने इस समस्या से निपटने के लिये विशेषीकृत मशीनें विकसित की हैं। उदाहरण के लिये एटिज़ DIY स्कैनर (Atiz DIY scanner) नाज़ुक पुस्तकों को संभालने के लिये V-आकार की सतह और V-आकार की पारदर्शी प्लैटेन का प्रयोग करता है। पृष्ठों को पलटने और स्कैनिंग की प्रक्रिया को स्वचालित बनाने के लिये अक्सर विशेष रोबोटिक कार्यविधि का प्रयोग किया जाता है।

इन्फ्रारेड सफाई संपादित करें

इन्फ्रारेड सफाई (Infrared cleaning) एक तकनीक है, जिसका प्रयोग फिल्म से धूल और खरोंच हटाने के लिये किया जाता है और यह विशेषता अधिकांश आधुनिक स्कैनर्स में होती है। यह इन्फ्रारेड प्रकाश के द्वारा फिल्म की स्कैनिंग करती है। ऐसा करने से धूल और खरोंच को पहचान पाना संभव हो जाता है क्योंकि वे इन्फ्रारेड प्रकाश को रोक देते हैं; और इसके बाद उनकी स्थिति, आकार, बनावट और परिवेश के आधार पर उन्हें स्वचालित रूप से हटाया जा सकता है।

स्कैनर उत्पादक सामान्यतः इन तकनीकों के साथ स्वयं का नाम जोड़ते हैं। उदाहरण के लिये, एप्सन (Epson), निकॉन (Nikon), माइक्रोटेक (Microtek) और अन्य कम्पनियां डिजिटल ICE (Digital ICE) का प्रयोग करती हैं, जबकि कैनन (Canon) अपने स्वयं के तंत्र, FARE (फिल्म ऑटोमैटिक रीटचिंग एण्ड एन्हैन्समेंट सिस्टम) (Film Automatic Retouching and Enhancement system) का प्रयोग करती है।[2] कुछ स्वतंत्र सॉफ्टवेयर विकासकर्ता अपने स्वयं के इन्फ्रारेड सफाई उपकरणों की रचना कर रहे हैं।

विविध-विषय संपादित करें

स्कैनर संगीत संपादित करें

फ्लैटबेड स्कैनर्स अपनी स्टेपर मोटर की बदलती गतियों (और ध्वनि) के कारण सामान्य संगीत धुनों को संश्लेषित कर पाने में सक्षम होते हैं। इस विशेषता का को हार्डवेयर की पहचान के लिये लागू किया जा सकता है: उदाहरणार्थ यदि स्कैन (Scan) बटन दबाए रखते हुए और SCSI ID को शून्य पर सेट करके HP स्कैनजेट 5 (HP Scanjet 5) को शुरु किया जाए, तो यह ओड टू जॉय (Ode to JOy) की धुन बजाता है।[3] फ्लैटबेड स्कैनर्स के विभिन्न ब्राण्डों और प्रकारों के लिये मनोरंजन के उद्देश्य से MIDI फाइलें बजाने हेतु विण्डोज़ (Windows)- और लिनक्स (Linux)- आधारित सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं।[4]

स्कैनर कला संपादित करें

किसी फ्लैटबेड स्कैनर पर कोई वस्तु रखकर और उसे स्कैन करके बनाई गई कलाकृति स्कैनिंग कला कहलाती है। यह बात बहस का विषय रही है कि क्या स्कैनर कला डिजिटल फोटोग्राफी का ही एक प्रकार है।[उद्धरण चाहिए] किसी स्कैनर की सहायता से बनाए गए चित्र किसी कैमरा द्वारा खींचे गए चित्रों से भिन्न होते हैं क्योंकि स्कैनर में क्षेत्र की गहराई बहुत कम होती है और इसकी सतह पर लगातार प्रकाश पड़ता रहता है।

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "NIST टेक बीट, 27 मई 2007". मूल से 6 जुलाई 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 मई 2010.
  2. "Film Automatic Retouching and Enhancement". Canon. मूल से 19 अक्तूबर 2006 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2007-05-02.
  3. "संग्रहीत प्रति". मूल से 27 अगस्त 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 मई 2010.
  4. "The oh so musical scanner". uneasysilence.com. 2004-10-04. मूल से 24 फ़रवरी 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2007-06-24.

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें