एनोरेक्सिया नर्वोज़ा

क्षुधा अभाव (एनोरेक्सिया नर्वोज़ा) (AN) एक प्रकार का आहार-संबंधी विकार है जिसके लक्षण हैं - स्वस्थ शारीरिक वजन बनाए रखने से इंकार और स्थूलकाय हो जाने का डर जो विभिन्न बोधसंबंधी पूर्वाग्रहों[1][2] पर आधारित विकृत स्व-छवि के कारण उत्पन्न होता है। ये पूर्वाग्रह व्यक्ति की अपने शरीर, भोजन और खाने की आदतों के बारे में चिंतन-मनन की क्षमता को बदल देते हैं। AN एक गंभीर मानसिक रोग है जिसमें अस्वस्थता व मृत्युदरें अन्य किसी मानसिक रोग जितनी ही होती हैं।[3]

क्षुधा अभाव
वर्गीकरण व बाहरी संसाधन
"छोड़ना" - उपचार के बाद 1866 में और 1870 में चित्रित किया गया। वह शुरुआती एनोरेक्सिया नर्वोसा केस स्टडीज में से एक थी। के प्रकाशित चिकित्सा पत्रों से सर विलियम गल.
आईसीडी-१० F50.0-F50.1
आईसीडी- 307.1
ओ.एम.आई.एम 606788
रोग डाटाबेस 749
ई-मेडिसिन emerg/34  med/144

यद्यपि यह मान्यता है कि AN केवल युवा श्वेत महिलाओं में ही होता है तथापि यह सभी आयु, नस्ल, सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के पुरूषों और महिलाओं को प्रभावित कर सकता है।[4][5][6][7][8]

एनोरेक्सिया नर्वोज़ा पद का प्रयोग महारानी विक्टोरिया के निजी चिकित्सकों में से एक, सर विलियम गल द्वारा 1873 में किया गया था।[9] इस शब्द की उत्पत्ति ग्रीक से हुई है: a (α, निषेध का उपसर्ग), n (ν, दो स्वर वर्णों के बीच की कड़ी) और orexis (ओरेक्सिस) (ορεξις, भूख), इस तरह इसका अर्थ है – भोजन करने की इच्छा का अभाव.[10]

चिह्न और लक्षण संपादित करें

हालांकि एनोरेक्सिया नर्वोज़ा से संबंधित अनेक विशेष बर्तावसंबंधी व शारीरिक चिन्ह हैं, हर व्यक्ति में सारे चिन्ह नहीं प्रकट होते हैं। त्वचासंबंधी चिन्हों जैसे शरीर और चेहरे पर भ्रूणरोमों नामक बालों का उग आने के अलावा दांतों का खोखला होना या गिर जाना, पेट का विस्फारित होना और जोड़ों का फूल जाना जैसे लक्षण इसके कारण होते हैं। चिन्ह और लक्षणों के प्रकार और तीव्रता हर व्यक्ति में भिन्न हो सकती है तथा ये मौजूद रहने पर भी आसानी से नजर नहीं आते हैं। स्वयं पर थोपी हुई आहारहीनता से उत्पन्न एनोरेक्सिया नर्वोज़ा और उससे संबंधित कुपोषण के कारण शरीर के हर प्रमुख अवयव-तंत्र में तीव्र समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।[11][12][13]

एनोरेक्सिया नर्वोज़ा के संभावित चिन्ह
 
Russell's sign scarring on knuckles due to sticking fingers down throat to force vomiting[14]
 
Chilblains, also known as Perniosis.Possible cutaneous complication of anorexia nervosa.[15]
एनोरेक्सिया नर्वोज़ा के त्वचारोग चिन्ह[25]
शुष्कता टीलोजन एफ्लूवियम कैरोटीनयुक्त त्वचा मुंहासे अतिवर्णकता
सीबमयुक्त त्वचाशोथ शाखाश्यावता शीतदंश त्वचा पर धब्बे, रूधिरांक जालीदार तंतुओं का नीलांछन
अंतरांगुलिक त्वग्वलिशोथ परिनखशोथ व्यापक खुजली अर्जित स्ट्रये डिस्टेंसे मुंह के कोनों का शोथ
वर्णकयुक्त कण्डूपिटिका सूजन लीनियर एरिथीमा क्रैक्वले आंत्रविकारजन्य भुजाशोथ पेलाग्रा
एनोरेक्सिया नर्वोज़ा की संभावित स्वास्थ्य समस्याएं
कब्ज[26] दस्त[27] इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन[28] गुहाएं[29] दांतों का गिरना[30]
हृदयगति का रूक जाना[31] अनार्तव[32] सूजन[33] अस्थिसुषिरता[34] हड्डियों में अस्थिऊतकों की मात्रा घट जाना[35]
अल्पसोडियमरक्तता[36] अल्पपोटेशियमरक्तता[37] दृष्टिनाड़ीविकार[38] मस्तिष्क का अपक्षय[39][40] श्वेतकोशिकाअल्पता[41][42]

कारण संपादित करें

अध्ययनों से अनुमान लगाया गया है कि भोजन करने के विकृत प्रतिरूपों का जारी रहना आहारहीनता की एक एपिफिनामिना हो सकता है। मिनेसोटा अनशन प्रयोग के परिणामों में देखा गया कि आहारहीन रखने पर सामान्य लोग एनोरेक्सिया नर्वोज़ा के अनेक बर्तावसंबंधी प्रतिरूप प्रदर्शित करते हैं। ऐसा नाड़ी-अंतःस्रावी तंत्र में हुए अनेकों परिवर्तनों के कारण हो सकता है जो एक स्वतःसंचालित चक्र में परिणीत हो जाता है।[43][44][45][46] अध्ययनों के अनुसार संभवतया AN के प्रति किसी पहले से मौजूद पूर्वप्रवृति के कारण कुछ मामलों में डायटिंग से हुई वजन की हानि AN के उत्पन्न होने में उद्दीपनकारक हो सकती है। एक अध्ययन में विभिन्न कारणों जैसे, परजीवी संक्रमण, दवाओं के अनुषंगी प्रभाव और शल्यचिकित्सा के परिणामस्वरूप हुई अप्रत्याशित वजनहानि से उत्पन्न ANके मामलों के बारे में बताया गया है। इनमें वजनहानि स्वयं एक उद्दीपक थी।[47][48]

जीवविज्ञानसंबंधी संपादित करें

 
Dysregulation of the dopamine and serotonin pathways has been implicated in the etiology, pathogenesis and pathophysiology of anorexia nervosa.[58][59][60][61]
  • पोषण की कमियां
    • जस्ते की कमी एनोरेक्सिया के विकृतिविज्ञान को गहरा करने में तेजी लाने वाले कारक का काम कर सकती है।[70]

पर्यावरणसंबंधी संपादित करें

सामाजिक-सांस्कृतिक अध्ययनों में सांस्कृतिक कारकों जैसे पाश्चात्य औद्यौगिक राष्ट्रों में विशेषकर मीडिया के जरिये दुबलेपन को आदर्श महिला स्वरूप के रूप में बढ़ावा दिये जाने, की भूमिका पर प्रकाश डाला गया है।[71][72] हाल ही में किये गए 989,871 स्वीडिश नागरिकों के एक जानपदिकरोगवैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार लिंग, जाति और सामाजिक-आर्थिक स्थिति का एनोरेकेसिया से ग्रस्त होने की संभावना पर बड़ा प्रभाव पड़ता है, गैर-यूरोपीय माता-पिता वाले लोगों में इस रोग से ग्रस्त होने की सबसे कम और अमीर, श्वेत परिवारों में सबसे अधिक संभावना होती है।[73] ऐसे व्यवसाय वाले लोगों में जिसमें दुबला रहने के लिये विशेष सामाजिक दबाव होता है जैसे (मॉडल और डांसर) उनके पेशावर जीवनकाल में एनोरेक्सिया से ग्रस्त होनो की अधिक संभावना होती है,[74] और शोध में पाया गया है कि एनोरेक्सिया से ग्रस्त लोग वजन-हानि को बढ़ावा देने वाले सांस्कृतिक स्रोतों से काफी अधिक संपर्क में आते हैं।[75]

एनोरेक्सिया के निदान हुए क्लिनिकत समूहों में बाल लैंगिक भ्रष्टाचार अनुभवों की उच्च दर देखी गई है। यद्यपि लैंगिक भ्रष्टाचार को एनोरेक्सिया के विशिष्ट जोखम कारक के रूप में नहीं समझा गया है, तथापि ऐसे आचरण से प्रभावित लोगों में अधिक गंभीर और दीर्घकालिक लक्षण होने की अधिक संभावना होती है।[76]

स्वपरायणता से संबंध संपादित करें

क्रिस्टोफर गिलबर्ग (1985) और अन्यों द्वारा एनोरेक्सिया नर्वोज़ा और स्वपरायणता[77][78][79] के बीच संबंध होने के प्रारंभिक सुझाव दिये जाने के बाद स्वीडन में तरूण वर्ग के एनोरेक्सिया नर्वोज़ा के एक बड़े पैमाने पर किये गए देशांतरीय अध्ययन में पुष्टि की गई कि दीर्घकालिक आपार विकार से ग्रस्त 23% लोग स्वपरायणता के स्पेक्ट्रम पर होते हैं।[80][81][82][83][84][85][86]

स्वपरायणता के स्पेक्ट्रम पर पाएजाने वाले लोगों में इधिक बुरे परिणाम होते हैं,[87] किंतु वे अपने आप एनोरेक्सिया नर्वोज़ा की बनिस्बत स्वपरायणता को कम करने के लिये आचरण और औषधिक उपचार के संयुक्त प्रयोग से लाभांवित हो सकते हैं।[88][89]

अन्य अध्ययनों खासकर मॉड्सले हॉस्पिटल UK में किये गए शोध में पाया गया है कि एनोरेक्सिया नर्वोज़ा से ग्रस्त लोगों में स्वपरायणता के विशेषक सामान्यतः पाए जाते हैं, ऐसे विशेषकों में निर्वाह की कार्यक्षमता, स्वपरायणता भागफल स्कोर, केन्द्रीय संसक्तता,बुद्धि का सिद्धांत, ज्ञान-आचरण लचीलापन, भावनात्मक नियंत्रण और चेहरे के भावों को समझने की क्षमता शामिल हैं।[90][91][92][93][94][95]

ज़ुकर और अन्य (2007) ने प्रस्तावित किया है कि स्वपरायणता के स्पेक्ट्रम के विकार एनोरेक्सिया नर्वोज़ा की पृष्ठभूमि में स्थित ज्ञान एंडोफीनोटाइप का निर्माण करता हैं।[96]

पुरुषों में संपादित करें

 
Dennis Quaid suffered from "Manorexia".[97]

एनोरेक्सिया नर्वोज़ा से ग्रस्त पुरूषों की दर काफी बढी है। इसे एक कलंक के रूप में देखा जाता है क्योंकि AN को मुख्यतः युवा श्वेत स्त्रियों का रोग माना जाता है। पुरूषों में भी समलैंगिक और द्विलैंगिक समूहों में आहार विकारों की दर अधिक पाई गई है,[98] फिर भी यह विषमलैंगिक पुरूषों को प्रभावित करता है।

कलंक का बोध होने पर भी अभिनेता डेनिस क्वायद जैसे अनेक उच्च ख्यातिप्राप्त पुरूषों ने आहार विकारों के प्रति अपने संघर्षों के बारे में बताया है। क्वायद ने कहा कि उसकी कठिनाईयां तब शुरू हुईं जब 1994 में फिल्म "व्याट इर्प" में डॉक हॉल्लिडे की भूमिका करने के लिये चालीस पौंड वजन कम करने के लिये वह डायट पर गया।[उद्धरण चाहिए]

थॉमस हॉलब्रुक ओकोनोमोवॉक, विस्कॉन्सिन के रोजर्स मेमोरियल अस्पताल में आहार विकार कार्यक्रम के क्लिनिकल डायरेक्टर हैं। आहार विकारों के विशेषज्ञ मनोवैज्ञानिक होने के बावज़ूद वे अनिवार्य व्यायाम सहित एनोरेक्सिया नर्वोज़ा से ग्रस्त हो गए। एक समय 6 फीट के मनोवैज्ञानिक का वजन केवल 135 पौंड हो गया था। उनका कहना है कि "मुझे मोटा होने का भय हो गया था।"[99][100]

निदान संपादित करें

चिकित्सकीय संपादित करें

प्रारंभिक निदान किसी योग्य मेडिकल पेशेवर द्वारा किया जाना चाहिये. अनेक रोग जैसे वाइरस या जीवाणु संक्रमण, हारमोनों के असंतुलन, नाड़ीपतन रोग और मस्तिष्क अर्बुद है जो एनोरेक्सिया नर्वोज़ा सहित मनोवैज्ञानिक विकारों के समान पेश हो सकते हैं। सामान्य मनोविज्ञान के अभिलेखागार में प्रकाशित मनोवैज्ञानिक रिचर्ड हाल द्वारा किये गए एक अध्ययन के अनुसारः'

  • रोग अक्सर मनोवैज्ञानिक लक्षणों के साथ प्रस्तुत होते है।
  • शारीरिक रोगों को केवल मनोवैज्ञानिक लक्षणों के आधार पर क्रियात्मक मनोवैज्ञानिक तोगों से अलग पहचानना कठिन है।
  • विस्तृत शारीरिक परीक्षा और प्रयोगशाला जांच को मनोवैज्ञानिक रोगियों के प्रारंभिक मूल्यांकन में एक नित्य प्रक्रिया के रूप में दर्शाया जाता है।
  • अधिकांश रोगियों को उनके मनोवैज्ञानिक लक्षणों को उत्पन्न करने वाले मेडिकल रोग की जानकारी नहीं होती.
  • मेडिकल कारणों से हुए लक्षणों से ग्रस्त रोगियों को अक्सर शुरू में गलती से क्रियात्मक मनोरोग का निदान कर दिया जाता है।[101][102]
  • मेडिकल टेस्ट: AN के निदान और मरीज पर उसके द्वितीयक प्रभावों को आंकने के लिये अनेक टेस्ट उपलब्ध हैं।
एनोरेक्सिया नर्वोज़ा के निदान और मूल्यांकन के लिये प्रयुक्त मेडिकल परीक्षाएं
  • न्यूरोइमेजिंग: PET स्कैन, fMRI, MRI और SPECT इमेजिंग जैसी विभिन्न तकनीकों के प्रयोग द्वारा किसी विक्षति, अर्बुद या अन्य अवय़वी असामान्यता के कारण हुए आहारप्रक्रिया के विकारों का निदान करने का लिये इस पद्धति का समावेश करना चाहिये.
  • "हम सभी आहारप्रक्रिया के विकारों का शक होने पर सिर का एमआरआई करने की सिफारिश करते हैं"(ट्रम्मर एम और अन्य 2002)", "छोटी उम्र में एनोरेक्सिया नर्वोज़ा का निदान पक्का होने पर भी कपाल के भीतर के रोगों के बारे में अवश्य ध्यान देना चाहिये. दूसरे, छोटी उम्र के एनोरेक्सिया नर्वोज़ा के निदान में न्यूरोइमेजिंग महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।..’’( ओ ब्रियन और अन्य 2001).[129][130]

मनोवैज्ञानिक संपादित करें

मानसिक स्वास्थ्य विकारों की निदान व सांख्यिकी मैनुयल (DSM-IV) में एनोरेक्सिया नर्वोज़ा को अक्ष I[131] विकारों में रखा गया है। अमेरिकन मनोवैज्ञानिक संघ द्वारा प्रकाशित. DSM-IV का प्रयोग लोगों द्वारा स्वयं का निदान करने के लिये नहीं करना चाहिये.

  • DSM-IV-TR : AN के निदान के मापदंडों में वजन बढ़ जाने का तीव्र भय, उम्र और ऊंचाई के अनुसार अपेक्षित वजन का 85% शारीरिक वजन बनाए रखने से इंकार और तीन महीनों तक लगातार मासिक स्राव का न होना तथा वजन-हानि को गंभीरता से न लेना या स्वयं के प्रतिबिंब पर आकार या वजन का अनावश्यक प्रभाव या अपने रूप या वजन में विचलित अनुभव आदि शामिल हैं। ये दो प्रकार के होते हैं – खूब खाना/जुलाब लेना प्रकार वाले खूब खाते या जुलाब लेते हैं और रोकने वाले ऐसा नहीं करते.[132]
    • DSM-IV की आलोचना : DSM-IV में दिये गए एनोरेक्सिया नर्वोज़ा के निदान मापदंडों के विभिन्न पहलुओं की आलोचना की गई है। शारीरिक वजन को अपेक्षित वजन के 85 % पर बनाए रखना और निदान के लिये मासिक स्राव के न होने की आवश्यकता;कुछ स्त्रियों में AN के सभी लक्षण होते हैं और मासिकधर्म जारी रहता है। जिनमें ये मापदंड नहीं मिलते हैं उन्हें साधारणतः अनिश्चित आहारविकार से ग्रस्त माना जाता है। इसका उनके उपचार के उपायों पर असर पड़ सकता है और उन्हें बीमे की रकम वापस मिलने में कठिनाई हो सकती हैं।[133] AN के उपप्रकार वर्गीकरण की वैधता पर भी खूब खाने/जुलाब लेने वाले और रोकने वाले रोगियों में नैदानिक आच्छादन और रोगियों के एक या दूसरे समूह में आने-जाने के कारण प्रश्न उठाए गए हैं।[134][135]
  • ICD-10: इसके मापदंड समानता लिये हुए हैं किंतु विशेषकर निम्न हैं
  1. रोगियों द्वारा वजन कम करने या कम वजन बनाए रखने के लिये प्रयुक्त तरीके (मोटापा लाने वाले भोजन से दूर रहना, स्वयं वमन करना, स्वतः जुलाब लेना, अत्यधिक व्यायाम करना, भूख दबाने या पेशाब कराने वाली दवाओं का अत्यधिक प्रयोग)
  2. यौवनारंभ के पहले होने पर विकास देर से होता है या रूक जाता है।
  3. कुछ शरीरक्रियात्मक लक्षण जैसे, "हाइपोथैलेमस-पीयूष-जननांग अक्ष के व्यापक अंतःस्रावी विकार स्त्रियों में अनार्तव और पुरूषों में यौन रूचि व सम्भोगक्षमता के अभाव के रूप में देखे जाते हैं। विकास हारमोनों का बढ़ा हुआ स्तर, कॉर्टीसॉल का बढा हुआ स्तर, थायरॉयड हारमोन के परिधिक चयापचय में परिवर्तन और इन्सुलिन स्राव में असामान्यताएं भी पाई जा सकती हैं".

विभेदक निदान संपादित करें

अनेक मेडिकल और मनोवैज्ञानिक रोगों का गलती से एनोरेक्सिया नर्वोज़ा के रूप में निदान किया गया है और कुछ मामलों में सही निदान 10 वर्षों से अघिक बीत जाने पर भी नहीं हो पाया था। एकेलेज़िया के एक मामले में जिसका AN मान कर गलत निदान हुआ था, रोगी को दो महीनों तक मनोकिकित्सालय में रहना पड़ा,[136]

ऐसे कई अन्य मनोविकार हैं जो एनोरेक्सिया नर्वोज़ा के समान लगते हैं, कुछ एक पृथक अक्ष I में या अक्ष II कोडवाले व्यक्तित्व विकार के मापदंडों पर खरे उतरते हैं और इसलिये निदान किये हुए आहार विकार के प्रति कोमॉर्बिड माने जाते हैं। अक्ष II विकारों को 3 समूहों, A, B और C में उपप्रकारित किया गया है। व्यक्तित्व विकारों और आहार विकारों के बीच संबंध अभी पूरी तरह से निश्चित नहीं हुए हैं।[137] कुछ लोगों का पहले हुआ रोग उनमें आहार के विकार होने की संभावना को बढ़ा देता है।[138][139][140] कुछ लोगों में वह बाद में विकसित होता है।[141] आहार विकार की तीव्रता और लक्षणों के प्रकार कोमॉर्बिडिटी को प्रभावित करते हैं।[142] इन कोमॉर्बिड विकारों के अपने अनेक विभेदक निदान होते हैं जैसे अवसाद जो लाइम रोग या हाइपोथायरायडता जैसे भिन्न कारणों से हो सकता है।

कोमॉर्बिड विकार
अक्ष I अक्ष II
अवसाद[143] आब्सेसिव कम्पल्सिव व्यक्तित्व विकार[144]
पदार्थ दुरूपयोग, शराब की लत[145] बॉर्डरलाइन व्यक्तित्व विकार[146]
चिंता विकार[147] नार्सिस्टिक व्यक्तित्व विकार[148]
आब्सेसिव कम्पल्सिव विकार[149][150] हिस्ट्रियानिक व्यक्तित्व विकार[151]
अटेंशन-डेफिसिट-हाइपरएक्टिविटी विकार[152][153][154][155] एवॉइडेंट व्यक्तित्व विकार[156]
  • शरीर कुरूपता विकार (BDD) एक सोमाटोफोर्म रोग के रूप में सूचीबद्ध है जो जनसंख्या के 2% को प्रभापित करता है। BDD में किसी वास्तविक या अनुभूत शारीरिक कमी के प्रति अत्यधिक चिंतन होता है। BDD का निदान पुरूषों व स्त्रियों में समान रूप से होता है। जबकि BDD का अनोरेक्सिया नर्वोज़ा के रूप में गलत निदान होता रहा है, यह AN के 25 से 39 प्रतिशत मामलों में कोमॉर्बिड रूप से भी पाया जाता है।[157]

BDD एक दीर्घकालिक और कमजोर कर देने वाला रोग है जिसके कारण सामाजिक अलगाव, महा अवसाद, आत्महत्या के विचार और प्रयत्न हो सकते हैं। न्यूरोइमेजिंग अध्ययनों द्वारा चेहरे की पहचान के प्रति अनुक्रिया को मापने से बांए गोलार्ध के बांए पार्श्विक प्रीफ्राँटल कॉर्टेक्स, पार्श्विक टेम्पोरल खंड और बांए पैराइटल खंड में विशेष गतिविधि देखी गई है जो सूचना प्रॉसेसिंग में गोलार्ध का असंतुलन दर्शाती है। एक मामले में एक 21 वर्षीय पुरूष में शोथपूर्ण मस्तिष्क प्रक्रिया के बाद BDD उत्पन्न हो गया। न्यूरोइमेजिंग द्वारा फ्रॉन्टोटेम्पोरल क्षेत्र में नया अपक्षय देखा गया।[158][159][160][161][162]

एनोरेक्सिया नर्वोज़ा, बुलीमिया नर्वोज़ा और अनिश्चित आहार विकार (EDNOS) के निदानों के बीच फर्क करना अक्सर कठिन होता है क्योंकि इन रोगों से ग्रस्त रोगियों में काफी आच्छादन होता है। मरीज के बर्ताव या मुद्रा में हलके से बदलाव से निदान "खूब खाने वाले एनोरेक्सिया" से बुलीमिया नर्वोज़ा में बदल सकता है। आहार विकार से ग्रस्त व्यक्ति का समय के साथ उसके बर्ताव और आस्थाओं के बदलने के कारण विभिन्न निदानों से गुजरना असामान्य नहीं है।[96]

उपचार संपादित करें

एनोरेक्सिया नर्वोज़ा का उपचार तीन मुख्य बातों को ध्यान में रखकर किया जाता है। 1) व्यक्ति को उसके स्वस्थ वजन को लौटाना, 2) रोग से जुड़े मनोविकारों का इलाज करना; 3) ऐसे बर्तावों या विचारों को कम करना या खत्म करना जिनके कारण आहार प्रक्रिया मूल रूप से विकृत हुई थी।[163]

  • आहार और पोषण
    • विभिन्न अध्ययनों में जस्ते का संपूरक जस्ते की कमी न होने पर भी AN के उपचार में लाभदायक पाया गया है। यह वजन-लाभ बढाने में मददगार साबित हुआ है।[164]

"On the basis of these findings and the low toxicity of zinc, zinc supplementation should be included in the treatment protocol for anorexia nervosa".

[165]

CONCLUSIONS: Oral administration of 14 mg of elemental zinc daily for 2 months in all patients with AN should be routine.[166]


    • आवश्यक वसा अम्ल: ओमेगा-3 वसा अम्ल डोकोसाहेक्ज़ेनोइक एसिड (DHA) और आइकोसापेंटेनोइक एसिड (EPA) विभिन्न नाड़ीमनोविकारों में उपयोगी पाए गए हैं। इथाइल-आइकोसापेंटेनोइक एसिड (E-EPA) और सूक्ष्मपोषकों द्वारा उपचार किये गए तीव्र AN से ग्रस्त एक रोगी में तेजी से सुधार देखा गया।[167] DHA और EPA के संपूरण को अटेंशन डेफिसिट/हाइपरएक्टिविटी डिसआर्डर (ADHD), स्वपरायणता, महा अवसाद विकार (MDD),[168] बाईपोलार विकार और बॉर्डरलाईन व्यक्तित्व विकार सहित AN के साथ होने वाले कई कोमॉर्बिड रोगों में लाभकारी पाया गया है। तेजी से होने वाले तंद्राह्रास और हलके तंद्राह्रास (MCI) का संबंध DHA/EPA के कम ऊतक स्तरों से देखा गया है और उनके संपूरण से तंद्रा कार्यक्षमता में सुधार हुआ है।[169][170]
    • पोषण की सलाह[171][172]
      • मेडिकल पोषण उपचार (MNT); पोषण उपचार व्यक्ति के मेडिकल इतिहास, मनोवैज्ञानिक इतिहास, शारीरिक जांच और आहार के इतिहास के विस्तृत मूल्यांकन के आधार पर पोषक उपचार या इलाज के विकास को कहा जाता है।[173][174][175]
  • दवाईयां
  • मनोवैज्ञानिक उपचार/तंद्रा उपचार
    • तंद्रा बर्ताव उपचार (CBT) "तंद्रा बर्ताव उपचार (CBT)" शब्द समानता लिये हुए उपचारों के वर्गीकरण के लिए एक अत्यंत साधारण नाम है। तंद्रा बर्ताव उपचार के अनेक तरीके हैं।" CBT एक सबूत पर आधारित तरीका है जिसे एनोरेक्सिया से ग्रस्त तरूणों और वयस्कों के लिये उपयोगी पाया गया है।[178][179][180]
संज्ञानात्मक व्यवहार के उपचारों
तर्कसंगत भावनात्मक व्यवहार थेरेपी द्वंद्वात्मक व्यवहार चिकित्सा[181] तर्कसंगत रहने थेरेपी तर्कसंगत व्यवहार थेरेपी संज्ञानात्मक थेरेपी
    • स्वीकृति और प्रतिबद्धता उपचार: CBT का एक प्रकार, इसे AN के उपचार में उपयोगी पाया गया है। इसमें भाग लेने वालों में कुछ हद तक अच्छा सुधार आया; 1 वर्ष के बाद भी किसी की भी हालत नहीं बिगड़ी या वजन में कमी आई.[182]

हरी लाल नीली
बैंगनी नीली बैंगनी


नीली बैंगनी लाल
हरी बैंगनी हरी


संज्ञानात्मक सुधरिकरण चिकित्सा में प्रयुक्त. शब्दों के पहले समूह के रंगों का नामकरण दूसरे समूह की तुलना में बहुत आसानी से और जल्दी किया जा सकता है।
    • ज्ञानात्मक सुधरिकरण उपचार (CRT): यह एक ज्ञानात्मक पुनर्निवास उपचार है जिसे लंदन के किंग्स कॉलेज में एकाग्रता, कार्यकारी स्मरणशक्ति, पहचान के लचीलेपन और योजना तथा कार्यसंपन्न करने की योग्यता में सुधार लाने के लिये विकसित किया गया है जिससे सामाजिक कार्यकलाप में सुधार आता है। नाड़ीमनोवैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार AN से ग्रस्त रोगियों को पहचानने के लचीलेपन में कठिनाई होती है। किंग्स कॉलेज[183] और पोलैंड में किशोरों के साथ किये गए अध्ययनों में एमोरेक्सिया नर्वोज़ा के उपचार में CRT को लाभदायक सिद्ध किया गया है,[183] संयुक्त राज्य में नैशनल इन्स्टिट्यूट ऑफ मेंटल हैल्थ[184] में 10-17 उम्र के किशोरों पर और स्टैनफोर्ड युनिवर्सिटी में 16 से अधिक के लोगों पर ज्ञानात्मक बर्ताव उपचार के साथ अतिरिक्त उपचार के रूप में क्लिनिकल शोध अभी भी किये जा रहे हैं।[185]
    • परिवार उपचार: "कॉन्जॉइंट फैमिली थेरेपी" (CFT) सहित विभिन्न प्रकार के परिवार उपचारों को किशोरों के AN के इलाज में उपयोगी साबित किया गया है, जिसमें एक उपचारक द्वारा मातापिता और बच्चे से एक साथ मिला जाता है और "सैपरेटेड फैमिली थेरेपी" (SFT) जिसमें मातापिता और बच्चा अलग-अलग भिन्न उपचारकों से मिलते है। "आइज़लर के कोहॉर्ट के अनुसार FBT चाहे किसी भी प्रकार का हो 75 प्रतिशत रोगियों को अच्छा परिणाम और 15 प्रतिशत को मध्यम परिणाम... ".[186][187]
    • मॉड्सले फैमिली थेरेपी: मॉड्सले पद्धति से 4 से 5 वर्ष के अध्ययन में 90 प्रतिशत तक की दर से आरोग्यप्राप्ति दर्शाई गई है।[188]
  • गौण/वैकल्पिक चिकित्सा
    • योगा: प्राथमिक अध्ययनों में मान्यताप्राप्त सुश्रूषा के साथ अतिरिक्त उपचार के रूप में योगा उपचार से सकारात्मक परिणाम मिले हैं। इस इलाज से आहार के प्रति चिंता सहित आहार विकार के लक्षणों में कमी देखी गई जो प्रत्येक सेशन के तुरंत बाद कन हो जाती थी। आहार विकार जांच के स्कोर इलाज के दौरान लगातार कम होते गए।[189]
    • अक्यूपंक्चर/तुइ ना: चीन में किये गए एक अध्ययन के अनुसार अक्यूपंक्चर और एक प्रकार की दक्षतापूर्ण पद्धति तुई ना के मिलेजुले उपचार द्वारा AN के इलाज में सकारात्मक परिणाम मिले.[190]
  • प्रयोगात्मक उपचार

पूर्वानुमान संपादित करें

एनोरेक्सिया का लंबे अर्से का पूर्वानुमान सकारात्मक है। सारे संयुक्त राज्य में 9282 से अधिक प्रतिभागियों में किये गए नैशनल कोमॉर्बिडिटी रेप्लिकेशन सर्वे में पता चला कि एनोरेक्सिया नर्वोज़ा की औसत अवधि 1.7 वर्ष है। "जैसा कि लोगों का विश्वास है, एनोरेक्सिया दीर्घकालिक बीमारी नहीं है; अनेक मामलों में अपना मार्ग तय कर लेने के बाद लोग ठीक होने लगते हैं।.."[193]

किशोरवय के एनोरेक्सिया नर्वोज़ा के मामले जो फैमिली उपचार का प्रयोग करते हैं, उनमें से 75% ठीक हो जाते हैं और अतिरिक्त 15% में मध्यम किंतु सकारात्मक परिणाम होते हैं।[186] मॉड्सले फैमिली थेरेपी के 5 वर्ष बाद पूर्ण स्वास्थ्यलाभ की दर 75 से 90 प्रतिशत रही.[194] AN के गंभीर मामलों में भी अस्पताल से रिहाई के बाद 30% पुनरावर्तन दर होने के बावजूद और ठीक होने में 57-79 महीनों का लंबा समय लगने पर भी पूर्ण स्वास्थ्यलाभ दर 76% है। 10-15 वर्ष बाद भी पुनरावर्तन के न्यूनतम मामले देखने में आते हैं।[195]

जानपदिकरोगविज्ञान संपादित करें

प्रतिवर्ष हर 100,000 लोगों में एनोरेक्सिया के 8 और 13 के बीच मामले देखे जाते हैं और सख्त मापदंडों के अनुसार इसका औसत प्रसार 0.3 प्रतिशत है।[196][197] सभी मामलों में से 40 प्रतिशत 15 से 19 वर्ष की किशोर वय की स्त्रियों को प्रभावित करते हैं। एनोरेक्सिया से ग्रस्त लगभग 90 प्रतिशत रोगी स्त्रियां होती है।[198]

इतिहास संपादित करें

एनोरेक्सिया नर्वोज़ा का इतिहास 16वीं और 17वीं शताब्दी के समय के प्रारंभिक विवरणों और 19वीं सदी के अंत में एनोरेक्सिया नर्वोज़ा की सर्वप्रथम बार पहचान व विवरण से शुरू होता है।

19वीं सदी के अंत में उपवास करने वाली लड़कियों की ओर जनता का ध्यान आकर्षित होने पर धर्म और विज्ञान के बीच विवाद उत्पन्न हो गया। साराह जेकब (वेल्श की उपवास करने वाली लड़की) और मॉली फैंचर (ब्रूकलिन पहेली) जैसे मामलों ने विवाद को उत्तेजित किया जिसमें विशेषज्ञों ने संपूर्ण उपवास के दावों को परखने का यत्न किया। भरोसा करने वाले मन और शरीर के अलग-अलग होने की बात करते थे जबकि न मानने वाले विज्ञान और जीवन की भौतिकता पर जोर देते थे। आलोचकों ने उपवास करने वाली लड़कियों पर हिस्टीरिया, अंधविश्वासी और धोखेबाज होने का आरोप लगाया. धर्मनिर्पेक्षता और मेडिकलाइज़ेशन के विकास के साथ सांस्कृतिक अधिकार पादरियों के हाथ से निकल कर चिकित्सकों के पास आ गया जिससे एनोरेक्सिया नर्वोज़ा भय उत्पन्न करने की बजाय धिक्कार करने योग्य हो गई।[199]

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

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संदर्भग्रंथ सूची संपादित करें

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बाहरी कड़ियाँ संपादित करें