काकवर्ण
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काकवर्ण या अशोक या कालाशोक महाभारत के पश्चात के मगध वंश के राजा थे। पुराणों के अनुसार शिशुनाग वंश के दूसरे राजा का नाम अशोक था । वह शिशुनाग का पुत्र था । उसका रंग अधिक काला होने से उसे कालाशोक या 'काकवर्णा' नाम से भी पुकारा जाता था । वह यही राजा है।बौद्ध ग्रन्थों में यद्यपि अशोक के सम्बन्ध में बड़े विस्तार से चर्चा की गई है किन्तु उनके वर्णन एक - दूसरे से भिन्न हैं । इस संदर्भ में आचार्य रामदेव का कहना है कि बौद्ध लेखकों ने अशोकादित्य ( समुद्रगुप्त ) और गोनन्दी अशोक ( कश्मीर ) दोनों को मिलाकर एक चक्रवर्ती अशोक की कल्पना कर ली है ।[1]
कुरु वंश - महाभारत पर्यान्त वंशावली संपादित करें
- परीक्षित २ |हर्णदेव (कुरु वंश)
रवानी (बृहद्रथ) वंश संपादित करें
यह वंश मगध साम्राज्य का संस्थापक इसका कोई साक्ष्य नहीं मिलता।
- बृहद्रथ | जरासंध | सहदेव | सोमापी | श्रुतश्रवा | आयुतायु |निरामित्र | सुनेत्र | वृहत्कर्मा
- सेनजीत | ऋतुंजय | विपत्र
मुचि सुचि | क्षमय | सुवत | धर्म | सुश्रवा | दृढ़सेन |
सत्यजीत | विश्वजीत | रिपुंजय | समरंजय इनके बाद मगध पर इस वंश का शासन समाप्त होता है
मगध वंश संपादित करें
नन्द वंश संपादित करें
संदर्भ संपादित करें
- ↑ Raghunandan Prasad Sharma (2007). 2007 -Bharatiya Itihas Ka Vikrutikaran (Hindi में). पृ॰ 66. अभिगमन तिथि 2020-07-02.
पुराणों के अनुसार शिशुनाग वंश के दूसरे राजा का नाम अशोक था । वह शिशुनाग का पुत्र था । उसका रंग अधिक काला होने से उसे कालाशोक या ' काकवर्णा ' नाम से भी पुकारा जाता था । बौद्ध ग्रन्थों में यद्यपि अशोक के सम्बन्ध में बड़े विस्तार से चर्चा की गई है किन्तु उनके वर्णन एक - दूसरे से भिन्न हैं । इस संदर्भ में आचार्य रामदेव का कहना है कि बौद्ध लेखकों ने अशोकादित्य ( समुद्रगुप्त ) और गोनन्दी अशोक ( कश्मीर ) दोनों को मिलाकर एक चक्रवर्ती अशोक की कल्पना कर ली है । ( ' भारतवर्ष का इतिहास , तृतीय खण्ड प्रथम भाग , पृ . 41 )
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