काबुकी, जापानी नृृृत्य नाटक का एक उत्कृष्ट रूप है। काबुकी नाटकशाला (थिएटर) अपने प्रदर्शनों की शैैैली, आकर्षक एवं मोहक वेेेेशभूषाओं और कलाकारों द्वारा किए जाने वाले विस्तृत 'कुमादोरी' मेेकअप केे लिए जाना जाता है।

माना जाता है कि काबुकी कला की शुरुआत एदो काल के प्रारंभिक समय में हुई,जब इसके संस्थापक इज़ुमो नो ओकुनी ने एक महिला नृत्य मंडली बनाई जोकि 'क्योटो' नगर में नृत्य और छोटे-मोटे नाटकों का प्रदर्शन किया करती थी। 1629 में महिलाओं द्वारा काबुकी नाटकशाला में प्रदर्शन करने पर रोक लगा दी गई, जिसके बाद ही काबुकी अपने समकालीन पुरुष प्रधान नाटकीय कला के रूप में विकसित हुआ। काबुकी का विकास 17वीं शताब्दी के अंत में हुआ जबकि मध्य 18वीं सदी आते-आते यह कला अपने चरम पर पहुंच गई।

यूनेस्को द्वारा साल 2005 में काबुकी को उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्यों वाली एक अमूर्त विरासत घोषित कर दिया गया । साल 2008 में यूनेस्को ने काबुकी को 'मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत' की सूची में जगह दी।

मेइजी काल के बाद संपादित करें

व्युत्पत्ति विज्ञान संपादित करें

इतिहास संपादित करें