चाय (कामेल्या सीनेन्सीस्) महत्‍वपूर्ण बागान फसल है। ग्रीन टी और ब्लैक टी एक ही पौधे से मिलती हैं। ब्लैक व ग्रीन टी में समान मात्रा में फ्लेवनायड्स पाए जाते हैं। हालांकि दोनों तरह की चाय में पाए जाने वाले अलग-अलग प्रकार के फ्लेवनायड्स मौजूद होते हैं, जिनकी कार्यप्रणाली भी अलग-अलग होती है।

कामेल्या सीनेन्सीस्
कामेल्या सीनेन्सीस् की पत्तियां
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: पादप
अश्रेणीत: माग्नोलिओफ़्इउता
अश्रेणीत: एकबीजपत्री
अश्रेणीत: आस्तेरीदेऐ
गण: एरीकालेस्
कुल: थेआसेऐ
वंश: कामेल्या
जाति: C. sinensis
द्विपद नाम
कामेल्या सीनेन्सीस्
(L.)

भारत में खेती संपादित करें

 
मुन्नार केरल में चाय उद्यान

भारत में ४३६०५७ हैक्‍टेयर में चाय की खेती होती है। जिसमें से ८७९९३ हैक्‍टेयर दक्षि‍ण भारत में है। असम (५३प्रति‍शत) पश्चिम बंगाल (२३.९ प्रति‍शत), तमिलनाडु (११.३ प्रति‍शत) और केरल ८.४४ प्रति‍शत) प्रमुख चाय उत्‍पादक राज्‍य हैं। त्रिपुरा, कर्नाटक, हिमाचल, उत्तर प्रदेश, सिक्किम, बिहार, मणिपुर, उड़ीसा, नागालैंड और अरूणाचल प्रदेश में भी चाय उगायी जाती है। भारत में चाय उद्योग १५० से अधिक वर्ष पुराना है जिससे ६००० करोड़ रूपए का राजस्‍व प्राप्‍त होता है। इस उद्योग से १० लाख लोगों को प्रत्‍यक्ष रोजगार मिलता है। जिन पर ४० लाख लोग आश्रित हैं। भारत में चाय का उत्‍पादन १९४७ में २५ करोड़ किग्रा. था जो १९९९ में ८०.५ करोड़ किग्रा. हो गया।

चित्रदीर्घा संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें