किरात

भील,किरात है और नेपाल के पूर्वी पहाड़ी क्षेत्र लगायत बंगाल, सिक्किम आदी के लोगों के शारीरिक बनावट

किरात लोग, जिन्हें किरांती या भील के रूप में भी जाना जाता है, एक तिब्बती-बर्मी जातीय समूह हैं, जो नेपाल के मूल निवासी हैं। किरात लोग बिशेष रुप से नेपाल के पूर्वी हिमालयी क्षेत्र ओर भारत का सिक्किम राज्य और पश्चिम बंगाल के उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र, दार्जिलिंग और कलिम्पोंग जिलों में रहते है ।[उद्धरण चाहिए]

किरात
किरात किरांती
विशेष निवासक्षेत्र
 नेपाल
 भारत
भाषाएँ
किराँत भाषा
धर्म
जीवात्मा , हिन्दु
बिरुपाक्ष किरात देवता पशुपतिनाथ मन्दिर (नेपाल)
चित्र:Kirata and Arjuna Story.jpg
किरातार्जुनीयम किरात और अर्जुन

किरात, प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में हिमालय के कुछ क्षेत्रों और पूर्वोत्तर भारत में बसने वाली कुछ जातियों का नाम था। किरात एक प्रजाति है जो कि सिंधु घाटी सभ्यता के समय से रह रहे है [1]यजुर्वेद (शुक्ल ३०.१६; कृष ३.४, १२, १) में और अथर्ववेद (१०.४,१४) में इनका सबसे प्राचीन उल्लेख मिलता है। संभव है कि यह मंगोल या मंगोल-प्रभावित जन-समुदायों के लिए प्राचीन शब्द रहा हो।[2][3]

नाम का स्रोत संपादित करें

यह ठीक से ज्ञात नहीं है कि "किरात" नाम कहा से उत्पन्न हुआ। संभव है कि यह दो अंशों को जोड़कर बना हो - किर (यानि 'सिंह') और ति (यानि 'लोग'), अर्थात 'सिंह की प्रवृत्ति वाले लोग'।[4]। भारत में किरात को जाट कहा गया है [5]यह भी संभव है कि यह पूर्वी नेपाल की "किरांती" नामक तिब्बती जाती के नाम का एक और रूप हो।

वर्णन संपादित करें

प्राचीन ग्रंथों में इन्हें "सुनहरे" या "पीले" रंग का बुलाया गया है। इनका ज़िक्र अक्सर निषाद और पुलिंद जातियों के साथ किया जाता था, लेकिन निषादों का रंग सांवला या काला बताया गया है , वैसे निषाद , पुलिंद , शबर , किरात यह सभी भील प्रजाति से संबंधित है । "योग वशिष्ठ" ग्रन्थ में श्री रामचंद्र जंगल में किरातों द्वारा फैलाए गए जाल के बारे में बात कहते हैं, जिस से यह संकेत मिलता है कि प्राचीन युग में शायद किरातों को एक शिकार करने वाले समुदाय के रूप में देखा जाता हो।

ऐतिहासिक सूत्रों से कुछ सबूत मिलते हैं कि किरात शिव के उपासक थे।[6] महाभारत में वर्णन है कि शिवजी की किरातों के कुल-देवता होने की स्थित को देखते हुए अर्जुन ने कुछ समय के लिए किरात वेशभूषा और नाम अपना लिए थे ताकि वह शिवजी से तीरंदाज़ी और एनी युद्ध-कलाएँ सीख सके।[7]

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. {{ https://shodhganga.inflibnet.ac.in/jspui/bitstream/10603/236225/4/lesson%25202.pdf&ved=2ahUKEwiHuNfQvcbqAhUL6XMBHRhUBDoQFjABegQIAxAB&usg=AOvVaw3nGQd7fwCUomubFgbdkXMh%7D%7D }}
  2. Radhakumud Mukharji (2009), Hindu Shabhyata, Rajkamal Prakashan Pvt Ltd, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788126705030, मूल से 27 जून 2014 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 4 दिसंबर 2011, ... किरात (मंगोल) : द्रविड़ भाषाओं से भिन्न यह भाषाओं में किरात या ...
  3. Shiva Prasad Dabral, Uttarākhaṇḍ kā itihās, Volume 2, Vīr-Gāthā-Prakāshan, मूल से 27 जून 2014 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 4 दिसंबर 2011, ... प्राचीन साहित्य में किरात-संस्कृति, किरात-भूमि ...
  4. Tanka Bahadur Subba, Politics of culture: a study of three Kirata communities in the eastern Himalayas, Orient Blackswan, 1999, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788125016939, मूल से 3 जनवरी 2014 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 4 दिसंबर 2011, ... a Kirata scholar, Narad Muni Thulung ... To him, it is derived from two words: Kira meaning 'lion', and ti meaning 'people', or 'people with lion's nature' ...
  5. Singh, V. (23 अक्टूबर 1998). Ethnobotany of Rajasthan (India) (अंग्रेज़ी में). Scientific Publishers. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-88449-20-5.
  6. Dinesh Prasad Saklani, Ancient communities of the Himalaya, Indus Publishing, 1998, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788173870903, ... Shiva, generally considered a non-Aryan deity, secured a prominent place among the Kiratas. It can be roughly asserted that Shiva- worship might have begun among the Kiratas in the mountainous regions of the Himalayas in pre-Vedic times, before the advent of the Aryans ...
  7. Asiatic Society of Bengal, Proceedings of the Asiatic Society of Bengal, Asiatic Society, 1875, ... The great hero of the Mahabharata, Arjuna, adopted the name, nationality, and guise of a Kirata for a certain period, to learn archery, and the use - of other arms from S'iva, who was considered as the deity of the Kiratas ...