कृष्णाजी विनायक वझे (१६ दिसम्बर १८६९ -३१ मार्च १९२९) भारतविद एवं सिविल अभियन्ता थे। उनका जन्म १६ दिसम्बर १८६९ को हुआ था। सन् १८९१ में उन्होने पुणे इंजीनियरिंग कॉलेज से सिविल इंजीनियरी में डिप्लोमा किया।

कृष्णाजी वझे ने प्राचीन भारत में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की प्रगति पर अनेकों शोधपूर्ण ग्रन्थ प्रकाशित किए। उन्होने अनेकों पत्र-पत्रिकाओं में शोधपत्र लिखे। 'प्राचीन हिन्दी शिल्पशास्त्र-सार' उनका सबसे प्रसिद्ध ग्रन्थ है जो मराठी में है। यह ग्रन्थ उनके शिल्प-विषयक पाँच-छः ग्रन्थों का सारांश है।