कॉकरॉफ्ट-वाल्टन जनित्र

कॉकरॉफ्ट-वाल्टन जनित्र (Cockcroft–Walton generator) या, कॉकरॉफ्ट-वाल्टन वोल्टता गुणित्र उच्च वोल्टता उत्पन्न करने वाली एक विद्युत परिपथ है। इसका आविष्कार जॉन डगलस कॉकरॉफ्त और ईटीएस वाल्टन ने सन् १९३२ में सर्वप्रथम इस परिपथ का उपयोग रैखिक कण त्वरक बनाने में किया था। इसके लिये उन्हें सन् १९५१ में नोबेल पुरस्कार भी मिला।

लंदन के नेशनल साइंस म्यूजियम में रखा कॉक्रॉफ्ट-वाल्टन वोल्टेज मल्टिप्लायर। इसका निर्माण सन् १९३७ में किया गया था। कॉक्रॉफ्ट-वाल्टन वोल्टेज गुणित्र परमाणु बम के निर्माण में सहायक कई कण त्वरकों के अभिन्न भाग बने।
पूर्ण तरंग काकरॉफ्ट-वाल्टन वोल्टता गुणित्र का विद्युत परिपथ

यह परिपथ केवल डायोड एवं संधारित्र का उपयोग करता है। सैकड़ों किलोवोल्ट का विभवान्तर पैदा करने के लिये यह परिपथ बहुतयत में प्रयोग किया जाता है। इस परिपथ को 'गुणित्र' (मल्टिप्लायर) इसलिये कहते हैं क्योंकि कम (एसी) इन्पुट वोल्टेज को बढ़ाकर यह कई गुना कर देता है। इसका आउटपुट डीसी होता है। आउटपुट वोल्टता, इनपुट वोल्टता के कितने गुना होगी - यह इस परिपथ में प्रयुक्त गुणित्र चरणों (मल्टिप्लायर स्टेजेजे) की संख्या पर निर्भर करता है।

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