कौशी समस्या गणित में उन आंशिक अवकल समीकरणों के हल से सम्बंधित है जो कुछ शर्तों का पालन करती हैं जो प्रांत के ऊनविम पृष्‍ठ पर दिए गये हैं। कौशी समस्या एक प्रारंभिक मान समस्या अथवा एक परिसीमा मान समस्या (इसके लिए कौशी परिसीमा प्रतिबंध देखें।) हो सकती है लेकिन यह इनमें से कोई भी नहीं है। इसका नामकरण ऑगस्टिन लुइस कौशी के नाम से किया गया।

माना Rn पर एक आंशिक अवकल समीकरण परिभाषित की जाती है और माना n − 1 विमा का एक मसृण प्रसमष्‍टि SRn है (S को कौशी फलक भी कहते हैं)। तब कौशी समस्या द्वारा अवकल समीकरण का हल u ज्ञात किया जाता है जो निम्न समीकरण को सन्तुष्ट करता है:

      ∀  
     जहाँ   और     ∀  

जहाँ , (जिसे समस्या के लिए एकत्र रूप से कौशी डाटा के नाम से भी जाना जाता है) पर परिभाषित फलन है, n, S पर अभिलंब सदिश सदिश है और κ अवकल समीकरण की कोटि को दर्शाता है। कौशी–कोवलेस्किआ प्रमेय के अनुसार कुछ प्रतिबन्धों के अन्तर्गत कौशी समस्या का हल अद्वितीय होता है, जिनमें से महत्वपूर्ण यह है कि कौशी डाटा और आंशिक अवकल समीकरण के गुणांक वास्तविक विश्लेषी फलन होते हैं।

ये भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  • Hadamard, Jacques (2003) [1923], Lectures on Cauchy's Problem in Linear Partial Differential Equations, Dover Phoenix editions, New York: Dover Publications, MR 0051411 [[:साँचा:JFM]] |mr= के मान की जाँच करें (मदद), आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-486-49549-3, मूल से 4 जुलाई 2014 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 31 मई 2013

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें