क्वेसार (quasar), जो "क्वासी स्टेलर रेडियो स्रोत" (quasi-stellar radio source) का संक्षिप्त रूप है, किसी अत्यंत तेजस्वी सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक को कहते हैं। अधिकांश बड़ी गैलेक्सियों के केन्द्र में एक विशालकाय कालाछिद्र होता है, जिसका द्रव्यमान लाखों या करोड़ों सौर द्रव्यमानों के बराबर होता है। क्वेसार और अन्य सक्रीय गैलेक्सीय नाभिकों में इस कालेछिद्र के इर्द-गिर्द एक गैसीय अभिवृद्धि चक्र होता है। जब इस अभिवृद्धि चक्र की गैस कालेछिद्र में गिरती है तो उस से विद्युतचुंबकीय विकिरण के रूप में ऊर्जा उत्पन्न होती है, जो विद्युतचुंबकीय वर्णक्रम में रेडियो, अवरक्त, प्रकाश, पराबैंगनी, ऍक्स-किरण और गामा किरण के तरंगदैर्घ्य में होती है। क्वेसारों से उत्पन्न ऊर्जा भयंकर होती है और सबसे शक्तिशाली क्वेसार की तेजस्विता 1041 वॉट से अधिक होती है, जो हमारे क्षीरमार्ग जैसी बड़ी गैलेक्सियों से हज़ारों गुना अधिक है।[2]

ULAS J1120+0641 नामक क्वेसार पृथ्वी से बहुत दूर स्थित है और सूरज से दो अरब गुना द्रव्यमान वाले कालेछिद्र से ऊर्जा प्राप्त करता है। यह उसके अभिवृद्धि चक्र का काल्पनिक चित्रण है।[1]

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "Most Distant Quasar Found". ESO Science Release. मूल से 12 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 July 2011.
  2. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर