रक्त और लोहा सन् 1862 में जर्मन नेता बिस्मार्क द्वारा दिए गए एक भाषण का शीर्षक था जो आगे चलकर एक नारा बन गया। जर्मन में इसका मूल रूप "ब्लूट उन्ट आइज़ॅन" (Blut und Eisen) था, जिसका अंग्रेजी में अनुवादित रूप "ब्लड ऐण्ड आयरन" (Blood and Iron) है। यह भाषण बिस्मार्क ने जर्मनी के भिन्न राज्यों को इकठ्ठा गूंथकर एक राष्ट्र बनाने के विचार को आगे बढ़ाने के लिए दिया था। इस ख़िताब से वह अपने राज्य प्रुशिया को इस अभियान में नेतृत्व के लिए उकसाना चाहते थे। उनका कहना था के यह ध्येय उदारता के सिद्धांतों को अपनाने से नहीं बल्कि बल और साहस दिखने से प्राप्त होगा। उनके भाषण के अंतिम वाक्य थे[1] -

"ख़ून और लोहा" बिस्मार्क के एक भाषण का शीर्षक था और आगे जाकर "बल और साहस" के लिए एक नारा बन गया
"जर्मनी में प्रुशिया की भूमिका उसकी उदारता से नहीं बल्कि उसके बल से तय होगी ... प्रुशिया को अपनी ताक़त पर ध्यान देकर सही मौक़े की प्रतीक्षा करनी चाहिए, जो पहले भी कई दफ़ा आकर जा चुका है। वियेना की संधियों के बाद हमारी सरहदें एक अच्छा राजनैतिक वातावरण बनाने के अनुकूल नहीं हैं। आज के ज़माने के बड़े सवालों के जवाब भाषणों और बहुमत के आधार पर फ़ैसले करने से नहीं बल्कि लोहे और ख़ून (आइज़ॅन उन्ट ब्लूट) से मिलेंगे."

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "German History in Documents and Images: Excerpt from Bismarck's "Blood and Iron" Speech (1862)". मूल से 8 जून 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 जून 2011.