[1]गहलोत की बाहरवीं पीढ़ी में चित्तौड़गढ़ में महान प्राक्रमी रावल खुम्माण द्वितीय पुत्र महायक व मंगल हुए महायक ने चित्तौड़गढ़ पर राज कायम किया मंगल ने लोद्रावे पर राज कायम किया था।जो चितोड से लगभग ९५०इंः के आस पास मारवाड़ रावल मदन मारवाड़ में रावल मदन के खेरपाल हुए थे।राणा खेरपाल एक प्रतापी राणा हुए थे।राणा खेरपाल जी मांगलिया ने ११०४ में वर्तमान खींवसर बसा कर राज कायम किया था।खेरपालने अपने नामसे गढबनाया जो वृतमानमे खंडर होगया वो जागा मौजूद है उसमें एक सुथार परिवार कब्जा किये बैठा है।राणा खेरपाल के राणा थारूजी हुए, राणा थारूजी के राणा मोटल हुए,मोटल के राणा उदय राज हुए थे।राणा उदय राज के राणा धोंकल हुए थे।राणा धांकल के राणा करण सिंह हुए थे। १२७७ में राणा करण सिंह का युद्ध नागौर के दिवान के साथ ओस्तरा में हुआ था।

मांगलिया राणा टीडा व उनके पुत्र सीहा लाखे पोते बिराई वाले इस युद्ध में खेत रहे, दोनों की राणीया सति हुई थी , लेख मौजूद है। राणा करण सिंह से खिमसर चुटगया तापू गाडो के बास आकर राज कायम किया था।

बिराइ वाले भी बिराई त्याग कर ग्वालनाडा, लूणा खारावास , दईकडा चले गए थे।

खिवसर पर पांच मांगलिया राणा ओं ने राज कायम रखा था ।

जिनकि छतरियां हैं।

११८१ में राणा खेरपाल वीर गति को प्राप्त हुए थे तब उनकी राणी सोनी देव देवड़ी शती हुई थी।

पिलेपथर पाशाण की मुर्ति सिलालेख सन 2001 तक मोजुदथी दिख मांगलिया सतीजी के नामसे पुजतेथे मांगलियों कि छतरियां है।के नाम से लोगजानतेहै नागोरके मुलिम साशक के साथ मारवाड़ राठोड करमसिहजी के घनीस्ट सम्बध कचलते मांगलियों से खिवसर चुटा ओर कृमसिह जी को जागीरमे मिली आजादी तक कर्मसोतो कि जागीर कायम रही। मारवाड कि खयात वह बहीभाटो कि खयात,मेहाप्रकाश,सिलालेख सरोत , के अनुसार इन्द्रसिह मांगलिया निबोंकातालाब9636249739 । खिमसर का किला राजस्थान के नागौर में राष्ट्रीय रामार्ग नं 65 पर स्थित है। यह किला नागौर से 42 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह किला लगभग 500 वर्ष पुराना है। यह किला थार मरूस्थल के मध्य में स्थित है। इस किले का निर्माण मेवाड़ के संस्थापक बप्पा रावल के बेटा अणगदेव के प्रपौत्र मंगल के वंशज खिवसि जी मांगलिया {खेरपाल} ने 11वीं शताब्दी में करवाया था। जो वर्तमान में खिवसर कहलाता है खिमसर किला नागौर के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है। लेकिन कुछ समय बाद इस किले को हैरिटेज होटल में तब्‍दील कर दिया गया। इस होटल में सभी आधुनिक सुविधाएं पर्यटकों को प्रदान की जाती है। माना जाता है कि मुगल सम्राट औरंगजेब कभी-कभार इस जगह पर रहने के लिए आते थे।



  1. Bhati, Dr vikram singh (2014). [जोधा के वंशज] |trans-chapter= को |chapter= की आवश्यकता है (मदद). Muraridan ki khyat. Jodhpur: Royal publishers jodhpur. पृ॰ 154. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-82311-43-0. करमसीजी का बङा भाई उदार था। करमसी और रायपाल की बहन भागा का विवाह सिलखान नागौरी के साथ हुआ था सिलहखान ने करमसी को गांव आसोप दिया और रायपाल को गांव खींवसर दिया। खींवसर मे बाई भागा की मसजिद और कुवा है।