च्यवनप्राश

आयुर्वेदिक आहार अनुपूरक

च्यवनप्राश भारत के सर्वाधिक प्राचीन आयुर्वेदिक स्वास्थ्य पूरकों में से एक एवं सर्वाधिक बिकने वाला आयुर्वेदिक उत्पाद है।

कथा संपादित करें

आयुर्वेद के विकास के प्रारम्भिक काल में अश्विनी कुमारों ने, जिनकी चमत्कारी अद्भुत वैद्यों के रूप में महान ख्याति थी। च्यवन ऋषि महर्षि भृगु (जो व्यक्तित्व के बहुत बड़े विद्वान थे और जिन्होंने लाखों लोगों के जन्म चार्ट बनाये जो आज भी प्रामाणिक है) के वंशज थे। च्यवन ऋषि बहुत वृद्ध हो गये तो उन्होंने यौवन की पुनर्प्राप्ति के लिये अश्विनी कुमार से प्रार्थना की। अश्विनी कुमारों ने ऋषि च्यवन के लिये एक दैवी औषधि तैयार की जिससे ऋषि च्यवन ने फिर से यौवन अवस्था को प्राप्त कर लिया। इसी देवीय औषधि को च्यवन ऋषि के नाम पर च्यवनप्राश कहा जाता है।

इसके लिए अश्विनी कुमारों ने अष्टवर्ग के आठ औषधीय पौधों की खोज की तथा च्यवन ऋषि के कृश, वृद्ध शरीर को पुन: युवा बना देने का चमत्कार कर दिखाया।

भार्गवश्च्यवन कामी वृद्धः सन् विकृतिं गतः।
वीर्य वर्ण स्वरोयेत कृतोऽश्रिभ्या पुनर्युवा॥ (भाव प्रकाश, 1-3)

परिचय संपादित करें

आयुर्वेद के अनुसार कमजोरी, पुराने जुकाम-खांसी सहित फेफड़ेक्षय रोग के निदान के लिए दी जाने वाली औषधियों के साथ च्यवनप्राश जरूरी है[1]। च्यवनप्राश में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली जड़ी बूटियां आँवला, गिलोयअष्टवर्ग औषधि भरपूर मात्रा में होती है च्यवनप्राश स्मरण शक्ति, बुद्धि व शरीर के विकास में भी काफी मददगार साबित होता है।

च्यवनप्राश में मुख्यत पांच तरह के तत्व होते हैं

  • प्रधान द्रव्य - आँवला फल
  • संसाधन द्रव्य - इन द्रव्यों में पानी डाल कर आंवला फल को हल्की आग पर उबाला जाता है।
  • यमक द्रव्य - इस श्रेणी के द्रव्य में घी एवं तिल का तेल आते हैं।
  • संवाहक द्रव्य - इस श्रेणी के द्रव्य (चीनी) च्यवनप्राश को सुरक्षित रखने के लिये उपयोग किये जाते हैं।
  • प्रक्षेप द्रव्य - ये द्रव्य हैं केशर, नागकेशर, पिप्पली, छोटी इलायची, दालचीनी, बंसलोचन, शहद एवं तेजपात

च्यवनप्राश त्रिदोष नाशक है। इसमें लवण रस को छोडकर पांचों रस भरे हुये हैं। वैज्ञानिक खोजों से यह साबित हुआ है कि आंवले में पाया जाने वाला एंटी ऑक्सीडेंट एन्जाइम बुढापे को रोकता है। वायरस के फैलने की स्थिति में च्यवनप्राश शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देती है।

च्यवनप्राश खाने के फायदे संपादित करें

  1. च्यवनप्राश खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
  2. च्यवनप्राश स्मरण शक्ति और एकाग्रता में सुधार करता है।
  3. च्यवनप्राश खाने से कब्ज़ में आराम मिलता है।
  4. च्यवनप्राश वजन को संतुलित रखता है।
  5. च्यवनप्राश रक्त शोधन करता है।
  6. च्यवनप्राश से त्वचा की नई कोशिकाएं बनने में सहायता होती है।
  7. च्यवनप्राश हृदय को स्वस्थ रखता है।
  8. च्यवनप्राश प्रजनन प्रणाली को दुरस्त करने में सहायक है।

बाज़ार में उपलब्ध च्यवनप्राश संपादित करें

[2][3][4]

  • कल्पामृत च्यवनप्राश
  • डाबर च्यवनप्राश
  • पतंजलि च्यवनप्राश
  • बैधनाथ च्यवनप्राश
  • शतायू च्यवनप्राश
  • सोना चाँदी च्यवनप्राश , इत्यादि

च्यवनप्राश स्वास्थ्यवर्धक होते है, जो हमें मौसम बदलने के कारण होने वाली बिमारियों से लड़ने में मदद करते हैं, आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी युक्त होने के साथ-साथ ये च्यवनप्राश अलग-अलग स्वाद में बाज़ार में उपलब्ध हैं।च्यवनप्राश सबसे अधिक बिकने वाला आयुर्वेदिक उत्पाद है, और सबसे अधिक गुणकारी भी। च्यवनप्राश में एंटी एजिंग तत्व मौजूद होते हैं, इसमें आंवला होता है जिसे सबसे ज्यादा एंटीऑक्सीडेंट माना जाता है। [5]

इन्हें भी देखें संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें

  1. "च्यवनप्राश : स्वास्थ्य लाभ और प्रयुक्त सामग्री". Cora Health (अंग्रेज़ी में). मूल से 5 जनवरी 2022 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2022-01-05.
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 19 अक्तूबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 अक्तूबर 2014.
  3. "संग्रहीत प्रति". मूल से 16 अक्तूबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 अक्तूबर 2014.
  4. https://www.youtube.com/watch?v=bG0IqWWSnOI&feature=youtu.be
  5. "संग्रहीत प्रति". मूल से 22 दिसंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 दिसंबर 2015.