जत्रोफा लगभग १७५ प्रजाति की वनस्पतियों का समूह है जिसमें झाडियां और पौधे सम्मिलित हैं। इसके पौधे भारत, अफ्रिका, उत्तरी अमेरिका और कैरेबियन् जैसे ट्रापिकल क्षेत्रों में उत्पन्न होते हैं। यह एक बड़ा पादप है जो झाड़ियों के रूप में अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों में उगता है। इस पादप से प्राप्त होने वाले बीजों में 25-30 प्रतिशत तक तेल निकाला जा सकता है। इस तेल से कार आदि चलाये जा सकते हैं तथा जो अवशेष बचता है उससे बिजली पैदा की जा सकती है। जत्रोफा अनावृष्टि-रोधी सदाबहार झाडी है। यह कठिन परिस्थितियओं को भी झेलने में सक्षम है।

जत्रोफा
Spicy jatropha (Jatropha integerrima)
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: Plantae
विभाग: Magnoliophyta
वर्ग: Magnoliopsida
गण: Malpighiales
कुल: Euphorbiaceae
उपकुल: Crotonoideae
वंश समूह: Jatropheae
वंश: Jatropha
L., 1753
Species

Approximately 175, see Section Species.

अन्य नाम :

जत्रोफा की विशेषताएं संपादित करें

  • इसके बीज सस्ते हैं
  • बीजों में तेल की मात्रा बहुत अधिक है (लगभग ३७%)
  • इससे प्राप्त तेल का ज्वलन ताप (फ्लैश प्वाइंट) अधिक होने के कारण यह बहुत सुरक्षित भी है।
  • १.०५ किग्रा जत्रोफा तेल से १ किग्रा बायोडिजल पैदा होता है।
  • जत्रोफा का तेल बिना रिफाइन किये हुए भी इंधन के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
  • जत्रोफा का तेल जलाने पर धुआंरहित स्वच्छ लौ पैदा करता है।
  • थोडे ही दिनों (लगभग दो वर्ष) में इसके पौधे से फल प्राप्त होने लगते हैं
  • उपजाऊ भूमि और खराब (उसर भूमि) भूमि, दोनो पर इसकी उपज ली जा सकती है
  • कम वर्षा के क्षेत्रों (२०० मिमी) और अधिक वर्षा के क्षेत्रों, दोनों में यह जीवित रहता और फलता-फूलता है
  • वहां भी इसकी पैदावार ली जा सकती है जहां दूसरी फसलें नही ली जा सकतीं।
  • इसे नहरों के किनारे, सडकों के किनारे या रेलवे लाइन के किनारे भी लगा सकते हैं।
  • यह कठिन परिस्थितियों को भी सह लेता है।
  • इसकी खेती के लिये किसी प्रकार की विशेषज्ञता की आवश्यकता नहीं होती।
  • इसके पौधे की उंचाई भी फल और बीज इकट्ठा करने की दृष्टि से बहुत उपयुक्त है - जमीन पर खडे होकर ही फल तोडे जा सकते हैं।
  • फल वर्षा ऋतु आरम्भ होने के पाले ही पक जाते हैं, इसलिये भी फल इकट्ठा करना आसान काम है।
  • इसके पौधा लगभग ५० वर्ष तक फल पैदा करता है। बार-बार फसल लगाने की आवश्यकता नहीं होती।
  • इसको लगाना आसान है, यह तेजी से बढता है और इसको देखरेख की बहुत कम जरूरत होती है।
  • इसको जानवर नही खाते और कीट नही लगते। इस कारण इसकी विशेष देखभाल नहीं करनी पडती।
  • यह् किसी भी पसल का प्रतिस्पर्धी नहीं है, बल्कि यह उन फसलों की पैदावार बढाने में मदद करता है।

जत्रोफा के उपयोग संपादित करें

  • जत्रोफा के करीब १६०० उपयोग गिनाये गये हैं।
  • इसके पौधे भू-क्षरण रोकने के लिये भी काम आते हैं
  • जत्रोफा की जडें जमीन से फास्फोरस सोखने का कार्य करती हैं - इसका यह गुण अम्लीय भूमि के लिये वरदान है
  • अपने पूरे जीवन के दौरान जमीन पर पत्तियां गिराता है जो भूमि की उर्वरा-शक्ति को बढाती हैं
  • इसके बीजों से तेल निकालने के बाद जो खली बचती है वह उच्च कोटि की जैविक खाद है (नाइट्रोजन से भरपूर)। इसे जानवरों को भी खिलाया जा सकता है क्योकि यह प्रोटीन से भरपूर होती है।
  • ग्लीसरीन भी इसका एक सह-उत्पाद है।
  • जानवर और कीडे इससे प्राकृतिक रूप से ही दूर भागते हैं। इसलिये इसका उपयोग बागों और खेतों की रक्षा के लिये चारदीवारी के रूप में भी किया जाता है।
  • इसके बीजों को पीसने पर जो तेल प्राप्त होता है उससे -
    • वाहनों के लिये बायोडिजल बनाया जा सकता है
    • सीधे लालटेन में डालकर जलाया जा सकता है
    • इसे जलाकर भोजन पकाने के काम में लिया जा सकता है
    • इसके तेल के अन्य उपयोग हैं - जलवायु संरक्षण, वार्निश, साबुन, जैव कीट-नाशक आदि
  • औषधीय उपयोग
    • इसके फूल और तने औषधीय गुणों के लिये जाने जाते हैं।
    • इसकी पत्तियां घाव पर लपेटने (ड्रेसिंग) के काम आती हैं।
    • इसके अलावा इससे चर्मरोगों की दवा, कैंसर, बाबासीर, ड्राप्सी, पक्षाघात, सर्पदंश, मच्छर भगाने की दवा तथा अन्य अनेक दवायें बनती हैं।
  • इसके पौधे के अन्य उपयोग
    • इसके छाल से गहरे नीले रंग की 'डाई' और मोम बनायी जा सकती है।
    • इसकी जडों से पीले रंग की 'डाई' बनती है।
    • इसका तना एक निम्न-श्रेणी की लकडी का भी काम करता है। इसे जलावनी लकडी के रूप में प्रयोग किया जाता है।

जत्रोफा का सामाजिक महत्व संपादित करें

  • जत्रोफा अक्षय उर्जा (sustainable energy) का एक प्रमुख साधन बन सकता है।
  • भारत जैसे देशों की जीवाश्म इंधन पर निर्भरता समाप्त करके आत्मनिर्भर बना सकता है।
  • इसकी खेती और उपयोग के लिये कोई तकनीक नही चाहिये; प्रसंस्करण की सारी की जरूरतें एक गांव में ही पूरी की जा सकती हैं।
  • इसके विपरीत इसकी खेती श्रम-प्रधान होने के कारण भारत जैसे अधिक जनसंख्या वाले देशों के लिये बहुत उपयुक्त है।
  • इसकी खेती से महिलाओं, बृद्धों, बच्चों, गरीब और अशिक्षित जनता को भारी मात्रा में रोजगार मिलेगा जिससे गरीबी उन्मूलन में मदद मिलेगी।
  • इससे कृषि परा आधारित उद्योगों को बढावा मिलेगा।

जत्रोफा और पर्यावरण संपादित करें

एक तरफ जहां जत्रोफा को एक वरदान की तरह माना जा रहा है, कुछ लोग बडे पैमाने पर इसकी खेती का विरोध भी कर रहे हैं।

भारत में जत्रोफा संपादित करें

भारत में केन्द्र सरकार और लगभग सभी राज्य सरकारें रतनजोत की खेती के लिये प्र्त्साहन दे रहीं है। जहां तक भारत में जैट्रोफा की खेती का प्रश्न है, जो उसके लिए पर्याप्त आकार से ऐसी भूमि उपलब्ध है जिस पर खेती नहीं की जाती। ऐसी परती भूमि को अंट्रोफा खेती के अन्तर्गत लाकर कृषकों की अतिरिक्त आय के अवसर प्रदान किये जा सकते हैं। छत्तीसगढ़ राज्य में रतनजोत से तेल निकालने की प्रायोगिक योजना पर अच्छा काम हुआ है। मध्यप्रदेश में भी इस बारे में विचार चल रहा है। कुछ समय पूर्व सरकार ने चंबल के बीहड़ों में रतनजोत के बीजों के हवाई छिड़काव की योजना पर विचार किया है। वैसे भी मध्यप्रदेश से यत्र-तत्र-सर्वत्र बंजर और अनुपयुक्त भूमि में सहज रूप से रतनजोत पैदा हो रही है जिसे अनदेखा किया जा रहा है। मध्यप्रदेश में लाखों एकड़ में उजाड़ और आर्थिक रूप से अलाभकारी वनभूमि व्यर्थ पड़ी हुई है। यदि सरकार वनवासियों और आदिवासियों को इस भूमि पर रतनजोत उगाने की बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराये तो इसके लाभकारी परिणाम मिल सकते हैं। मध्यप्रदेश में तो प्राकृतिक रूप से ही रतनजोत का विशाल भंडार मौजूद है। इसके दोहन से न केवल मध्य- प्रदेश सम्पन्न होगा वरन कई हाथों को काम मिलेगा।

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें

The Jatropha System - An Integrated Approach of Rural Development in Tropical & Subtropical Countries

CENTRE FOR JATROPHA PROMOTION - Promoting Farming For Future Fuel

Centre for Jatropha Promotion & Biodiesel - Promoting Farming For Future Fuel

Jatropha incentives in India

Jarropa Oil - Wikipedia