किसी मन्त्र को या देवता के नाम को बार-बार उच्चारित करना, जप कहलाता है। जप, हिन्दू धर्म[1] जैन धर्म,[2] सिख धर्म,[3][4] बौद्ध धर्म,[5] आदि भारत के मूल धर्मों तथा शिन्तो धर्म में प्रचलित है।

भूटान का एक बौद्ध स्त्री माला लेकर जप करती हुई

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Guy L. Beck (1995). Sonic Theology: Hinduism and Sacred Sound. Motilal Banarsidass. पपृ॰ 92–93, 132–134. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-208-1261-1. मूल से 22 दिसंबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 जनवरी 2020.
  2. Christopher Key Chapple (2015). Yoga in Jainism. Taylor & Francis. पपृ॰ 311–312. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-317-57217-6. मूल से 13 जनवरी 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 जनवरी 2020.
  3. S Deol (1998), Japji: The Path of Devotional Meditation, ISBN 978-0966102703, page 11
  4. SS Kohli (1993). The Sikh and Sikhism. Atlantic Publishers. पपृ॰ 33–34. मूल से 24 दिसंबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 जनवरी 2020.
  5. Shashi Bhushan Dasgupta; Sashibhusan Dasgupta (1958). An Introduction to Tāntric Buddhism. Calcutta University Press. पपृ॰ 167–168.