जेम्स यंग सिंपसन

ब्रिटिश प्रसूति विशेषज्ञ

सर जेम्स यंग सिम्पसन (७ जून १८११ – ६ मई १८७०) एक स्खॉटिश डॉक्टर थे। सिम्पसन ने क्लोरोफार्म का निष्चेतक के रूप में अन्वेषण किया था। एडनबरा से २३ किलोमीटर दूर बाथगेट नामक स्थान पर एक हुआ था।[1] उनके पिता बहुत कम आमदनी पाने वाले बहुत साधारण से आदमी थे। सेम्पसन पढने लिखने में बहुत ही होशियार थे हर बात कि लगन थी उन में सिर्फ़ १४ साल कि उम्र में उन्होंने एडनबरा विश्वविधालय में दाखिला ले लिए था और मात्र १८ साल कि उम्र में अपनी डाक्टरी कि पढाई पूर्ण कर ली थी।

जेम्स यंग सिम्पसन

जेम्स यंग सिम्पसन
जन्म ७ जून १९११
बाथगेट, वेस्ट लोथियन
मृत्यु ६ मई १८७०, (आयु:५८)
एडनबरा
प्रसिद्धि क्लोरोफार्म का निष्चेतक प्रयोग


इसके खोज का इतिहास भी रोचक है। क्लोरोफॉर्म की खोज एडनबरा के एक डाक्टर ने की थी। एक बार उनके अस्पताल में एक रोगी के खराब टांग का आपरेशन करने हेतु उसके हाथ पांव रस्सी से बाँध दिए गए। उसकी टांग में एक घाव हो गया था जो सड़ चुका था उसकी टांग काटनी पड़ी थी। जब उसकी टांग काटी गई तो वह मरीज तो दर्द के मारे बेहोश हो गया। उसके साथ ही डाक्टर सेम्प्सन जो उस वक्त पढ़ाई कर रहे थे वह भी बेहोश हो गए। होश में आने पर उन्होंने प्रतिज्ञा कि वह कोई ऐसा आविष्कार करेंगे जिस से मरीज को इतना कष्ट न हो। जब उन्होंने इस के बारे में अपने साथ पढने वाले मित्रों से बात करी तब सब ने उनका मजाक बनाया पर उन्होंने हिम्मत नही हारी।


तरल अवस्था में क्लोरोफॉर्म एक परखनली में

डाक्टर बन जाने के बाद भी अपनी प्रतिज्ञा भूले नही उन्होंने इस दवाई कि खोज जारी रखे जिस से शल्य-क्रिया के समय कोई रोगी दर्द न सहे। ४ नवम्बर १८४७ को कोई प्रयोग करते समय उनकी नज़र अपने सहयोगी डाक्टर पर पड़ी जो उनकी बनायी एक दवा सूंघ रहे थे और देखते ही देखते वह बेहोश हो गए। सेम्प्सन ने उसको ख़ुद सूंघ के देखा उनकी भी वही हालत हुई जो उनके सहयोगी डाक्टर की हुई थी। तभी उनकी पत्नी वहाँ आई और यह देख कर चीख उठी और किसी और डाक्टर ने डाक्टर सेम्प्सन की नाडी देखी वह ठीक चल रही थी उसी समय डाक्टर सेम्प्सन ने आँखे खोल दी और होश में आते ही वह चिल्लाए कि मिल गया, बेहोश कर के दुबारा होश में आने का नुस्खा मिल गया।[1] बाद में इस में कई परिवर्तन किए गए और यही दवा रोगियों के लिए एक वरदान साबित हुई।

क्लोरोफॉर्म का चिकित्सा जगत में प्रयोग १८४७ से ही आरंभ हो गया था, किन्तु जल्द ही रोगियों पर इसके पड़ने वाले विपरीत प्रभाव के कारण इसके प्रयोग पर शंकाएं उठने लगीं थीं।[2] बीसवीं शताब्दी के आरंभ में क्लोरोफॉर्म के स्थान पर सुरक्षित और सस्ती दवाएं इस्तेमाल में लाई जाने लगी थीं। आज चिकित्साजगत में अन्य दवाओं के साथ-साथ हेलोथेन, आइसोफ्लुरेन और सेवोफ्लुरेन का प्रयोग इसके स्थान पर किया जाता है।

सन्दर्भ संपादित करें

  1. क्लोरोफार्म के अविष्कार की रोचक कहानी .....। आज की बात।(हिन्दी)१९ अगस्त, २००९। रिंकू,।सीवान, बिहार
  2. क्लोरोफॉर्म Archived 2015-06-06 at the वेबैक मशीनहिन्दुस्तान लाइव२९ अक्टूबर, २००९(हिन्दी)