जोलबुक (अंग्रेज़ी: Zawlbuk मिजोरम के मिज़ो जनजाति, मुख्यतः लुशाई लोगों, की पारंपरिक सामाजिक जीवन की एक महत्त्वपूर्ण संस्था थी जहाँ गाँव के सभी अविवाहित युवा पुरुष रात के समय इकट्ठे सोते थे।[1][2] यह गाँव का सबसे बड़ा आवास होता था और इसे हर गाँव में बस्ती के बीचोबीच बनाने की प्रथा थी। भले ही इसका मूल उपयोग गाँव के सभी अविवाहित पुरुषों के लिए शयनागार (dormitory) के रूप में किया जाता था, लेकिन यह एक ऐसी सामाजिक संस्था थी जहाँ शिक्षा, मनोरंजन, कौशल और वैयक्तिक विकास के साथ-साथ कबीले की सामुदायिक सुरक्षा लगभग पूरी तरह से केंद्रित थी।[3][4][5]

रेइएक में जोलबुक की एक अनुकृति

स्थापत्य संपादित करें

जोलबुक हमेशा गाँव के बीचोबीच मुखिया के निवास के करीब स्थित होता था। चूँकि इसका मूल उद्देश्य गाँव के सभी कुँवारों को एक ही स्थान पर इकट्ठा करना होता था, इसलिए यह मुख्य रूप से सबसे बड़ा आवास था। समुदाय के आकार के आधार पर जोलबुक का आकार गाँव-दर-गाँव अलग-अलग होता था। इसका निर्माण सामुदायिक सेवा के माध्यम से पास के जंगल से लकड़ी और छप्पर का उपयोग करके किया जाता था।[6] अधिकांश ढाँचे को सहारा देने वाली केंद्रीय थुन्नी की लकड़ी विशेष रूप से बड़ी होती है जिसे त्लुङ कहा जाता है। फर्श से ढाँचे को सहारा देते हुए एक ढलानदार छत बनाई जाती थी। फर्श और दीवारें बाँस की फट्टियों से और छत पूरी तरह से घास-फूस से बनाई जाती थी। इसमें कोई विशेष प्रवेश द्वार नहीं होता क्योंकि सामने का पूरा हिस्सा खुला था।[6]

सामाजिक संरचना संपादित करें

संगठन संपादित करें

प्रभाव और मूल्य संपादित करें

पतन और विघटन संपादित करें

अन्य संस्कृतियों में संपादित करें

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. संजय कुमार, संपा॰ (2021). मिजोरम की लोककथाएँ. प्रभात प्रकाशन. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-5521-047-0. अभिगमन तिथि 7 नवंबर 2023.
  2. Bhatia L (2012). Education and Society in a Changing Mizoram: The Practice of Pedagogy. Routledge, Taylor & Francis Group, New York, US. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1136198052.
  3. Parry NE (1928). Lushai Custom: A Monograph on Lushai Customs and Ceremonies (1988 reprint संस्करण). Tribal Research Institute, Aizawl, India. पपृ॰ 8–12. ASIN B0000E866X.
  4. Chatterji N (1975). Zawlbuk as a Social Institution in the Mizo Society. Tribal Research Institute, Aizawl, Mizoram, India. पपृ॰ 1–35. ASIN B0000D5MQN.
  5. Pillai SK (1999). "Winds of change in the bamboo hills: Learning from a Mizo way of life". India International Centre Quarterly. 26 (2): 125–137. JSTOR 23005664.
  6. Pachuau R (2009). Mizoram: A Study in Comprehensive Geography. Northern Book Centre, India. पपृ॰ 5–6. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-8172112646.