टाइटेनिआ अरुण (युरेनस) ग्रह का सब से बड़ा उपग्रह है। माना जाता है के यह चन्द्रमा बर्फ़ और पत्थर की लगभग बराबर मात्राओं से रचा हुआ है - इसकी सतह बर्फ़ीली है और अन्दर का हिस्सा पत्थरीला है। कुछ वैज्ञानिको की सोच है के बाहरी बर्फ़ और अंदरूनी पत्थर के बीच में एक पानी की तह होने की सम्भावना है, लेकिन इस बात का अभी कोई पक्का सबूत नहीं मिला है। सतही बर्फ़ में कुछ पदार्थों के मिले होने के कारण इस उपग्रह का रंग थोड़ा लाल प्रतीत होता है। इसकी सतह पर अंतरिक्ष से गिरे हुए उल्कापिंडों की वजह से बहुत से बड़े गढ्ढे भी हैं, जिनमें से एक भयंकर गढ्ढे का व्यास ३२६ किमी है। फिर भी देखा गया है के अरुण के एक अन्य उपग्रह ओबेरॉन पर इस से भी ज़्यादा गढ्ढे हैं। वैज्ञानिक अनुमान लगते हैं की टाइटेनिआ पर शायद काफ़ी भूकम्पों के आने से बहुत से गढ्ढे भरे जा चुके हैं और अब नज़र नहीं आते। वॉयेजर द्वितीय यान के जनवरी १९८६ में अरुण के पास से गुज़रने पर टाइटेनिआ की बहुत से तस्वीरें ली गयी जिनके ज़रिये इसकी सतह के लगभग ४०% हिस्से के नक्शे बनाए जा चुके हैं।

वॉयेजर द्वितीय यान द्वारा ली गयी एक टाइटेनिआ की तस्वीर

अकार संपादित करें

टाइटेनिआ का अकार गोल है। इसका औसत व्यास लगभग १५७७ किमी है। इसके मुक़ाबले में पृथ्वी के चन्द्रमा का व्यास लगभग ३,४७४ किमी है, यानि की टाइटेनिआ का अकार हमारे चन्द्रमा के आधे से ज़रा छोटा है।

इन्हें भी देखें संपादित करें