ठक्कर फेरू (1265 -1330 ई.) एक भारतीय गणितज्ञ थे। उन्होने गणित, मुद्रा (सिक्का) , और रत्न पर ग्रन्थों की रचना की है। वह १२९१ और १३२३ के मध्य सक्रिय थे। अलाउद्दीन खलजी ने सिक्कों, धातुओं और रत्नों के विशेषज्ञ के रूप में उनको भर्ती किया था। उन्होंने दिल्ली के तोमर राजपूतों के सिक्कों को एता मुद्रा तोमरस्थ राजपुत्र कहा है। उनके द्रव्यपरीक्षा ग्रंथ मैं तोमरों के राजपूत जाति से होने का सबसे अच्छा प्रमाण है जिसे कोई झूठला नहीं सकता।

वे हरियाणा के कन्नाण (आधुनिक, कल्पना) के एक श्रीमल जैन थे। अपने पुत्र हेमपाल के लिए उन्होने अनेक ग्रन्थ लिखे जिनमें द्रव्यपरीक्षा (१३१८ ई), रत्नपरीक्षा (प्राकृत : रयनपरीक्खा ; १३१५ ई) सम्मिलित हैं। गयासुद्दीन तुगलक के राज्यकाल तक वे राजाश्रित रहे। वे अपने गणित ग्रन्थ 'गणितसारकौमुदी' के लिए जाने जाते हैं।