डिजिटल स्याही (अंग्रेज़ी:डिजिटल इंक) आधुनिक प्रौद्योगिकी की एक देन है और तकनीक का एक ऐसा रूप है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक तरीके से कंप्यूटर के मॉनीटर पर हस्तलेखन या आरेखन किया जा सकता है। इसमें डिजिटल फलक (डिजिटल पेपर) पर एक डिजिटल कलम (जिसे स्टाइलस कहते हैं) से लिखा जाता है। इस तकनीक से कंप्यूटर पर सीधे हाथ से लिखा जा सकता है, अपनी लिखाई को बेहतर कर सकते हैं; और साथ ही टंकण का अभ्यास होना आवश्यक नहीं रह जाता है।[1] यह नई तकनीक हालांकि अनेक लोगों के अपठनीय लेखन (जिसे आम भाषा में घसीट लेखन भी कहते हैं) को भी डिजिटल विश्व की मुख्यधारा में ले आएगी किन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि कंप्यूटरों के कीबोर्ड की उपयोगिता ही समाप्त हो जाएगी।[2]

एक स्मार्टफ़ोन में प्रयोग किया जाता हुआ स्टाइलस, जिसे डिजिटल हस्तलेखनी के रूप में प्रयोग किया जाता है।

प्रायः डिजिटल इंक और इलेक्ट्रॉनिक इंक या ई-इंक को एक ही समझा जाता है, लेकिन वास्तव में इसमें अंतर होता है। ई-इंक एक विशेष तरह का इलेक्ट्रॉनिक पेपर है जिस पर डिजिटल पेन के द्वारा लिखा जाता है, जबकि डिजिटल इंक अपेक्षाकृत सरल और व्यापक शब्द है। यह कंप्यूटर के मॉनीटर पर हैंडराइटिंग, पाठ और आरेखन करने तथा उसमें विभिन्न प्रयोगों के लिए प्रयोग होता है। डिजिटल इंक का आरंभ १९९० में क्रेडिट कार्ड से खरीदारी करने पर हस्ताक्षर की आवश्यकता से हुआ था। बाद में कंप्यूटर, मोबाइल फोन और ई-रीडर पर जानकारी डालने (डाटा एंट्री फीड करने) के लिए इसका प्रयोग किया जाने लगा। समय के साथ इसके प्रयोग का विस्तार हुआ और कार्यक्षेत्र भी व्यापक हुआ और इसका प्रयोगआरेखन, एनीमेशन, कैमरा और वाइटबोर्ड्स पर भी होने लगा। प्रत्यक्ष या परोक्ष व्याख्यानों के लिये भी डिजिटल इंक का प्रयोग किया जाता है।[1] स्लाइड पर इसके प्रयोग से वस्तुओं और व्याख्यानों को सरलता से समझाने में मदद मिलती है।

वैकॉम द्वारा लॉन्च किया गया एक डिजिटल कलम

इस तरीके से एकत्र की गई जानकारियों को बाद में अन्य रूपों में बदला जा सकता है, जिनसे उसे दूसरे कामों में भी लाया जा सकता है। कई व्यवसायों, चिकित्सा और सरकारी कार्यालयों में कागज का प्रयोग इसके चलन से कम हो गया है। ठीक ऐसे ही डिजिटल इंक और चित्रकला ने पारंपरिक स्याही और चित्रकला की तकनीक की जगह ले ली है।[1] चित्रकार तथा पेंटर्स अब मूल पेंटिंग सॉफ्टवेयर की सहायता से चित्र कंप्यूटर पर तैयार कर उसमें रंगों, आकार और अन्य बदलाव सरलता से करने में सक्षम होते हैं। वे दूसरी तकनीक के माध्यम से पेंटिंग के साथ ही संगीतमय पृष्ठभूमि और स्पेशल इफेक्ट भी दे सकते हैं। हां, इसमें विशेष ध्यानयोग्य है कि किसी भी बदलाव को वापस भी किया जा सकता है, यानि बदलाव अनडू कर सकते हैं। ऐनिमेशन के क्षेत्र में, खाके बनाने वाले चित्रकार (लेआउट आर्टिस्ट), क्लीन अप आर्टिस्ट, स्कैनर ऑपरेटर, डिजिटल इंक और पेंट आर्टिस्ट, कंपोजिटर, की-फेम ऐनिमेटर, बैकगाउंड आर्टिस्ट के रूप में काम कर सकते हैं।[3]

एक लाइट-पेन से कंप्यूटर मॉनीटर पर हस्तलेखन/डाटा चयन, १९६९

हस्तलिखित पाठ सामग्री को कंप्यूटरों के द्वारा पूर्णतया बदला नहीं जायेगा, किन्तु कुछ नये उपलब्ध सॉफ्टवेयर, बेहतर हार्डवेयर और हाथ में पकड़े जा सकने वाले उपकरणों की सहायता से कंप्यूटर निर्माता कंपनियों को इलैक्ट्रॉनिक लेखन की सुविधा हेतु अपने कंप्यूटरों संगत बनाने को विवश कर दिया है। इस तरह के उपकरणों को ही डिजिटल इंक के रूप में जाना जाता है। इनमें बाजार में उपलब्ध एक मशीन आईबीएम की थिंक पैड ट्रांसनोट है। ट्रांसनोट हस्तलेखन को पढ़ने में सक्षम नहीं है और न ही उसे कंप्यूटर में दर्ज करता है लेकिन यह आड़ी-तिरछी लिखावट की तस्वीर खींच लेता है, जिसे कंप्यूटर में जेपीजी या पीडीएफ फॉर्मैट में सुरक्षित रखा जा सकता है और उसमें आवश्यक बदलाव भी किये जा सकते हैं।[2] इसे ६०० मैगा हर्ट्ज़ के पेंटियम-३ प्रोसेसर के साथ भी प्रयोग किया जा सकता है। यह लैपटॉप और इलैक्ट्रॉनिक लीगल पैड का मिश्रण जैसा प्रतीत होता है और एक ए-४ कागज के आकार का पैड होता है। इसका कनेक्शन कंप्यूटर के कीबोर्ड और मॉनीटर से होता है। विशेष रूप से बनाये गये डिजिटल बॉल पैन और पैड में लगे सेंसर लिखे गये शब्दों व रेखाचित्रों को सहेज लेते हैं जिन्हें बाद में ईमेल या कहीं प्रयोग कर सकते हैं।[4]

सन्दर्भ

  1. डिजिटल इंक|हिन्दुस्तान लाइव। २ जून २०१०
  2. खोज खबर: डिजिटल पैन से होगा इलैक्ट्रॉनिक लेखन Archived 2016-03-05 at the वेबैक मशीन। मीडीया केयर समूह। योगेश कुमार गोयल (मीडिया एंटरटेनमेंट फीचर्स)। २५ मई २०१०
  3. ऐनिमेशन की दुनिया क्रिएटिविटी से भरपूर Archived 2010-06-23 at the वेबैक मशीन। नवभारत टाइम्स। २१ अप्रैल २०१०
  4. डिजीटल बॉल पैन। दैनिक ट्रिब्यून। २६ मई २०१०

बाहरी कड़ियाँ