ध्रुवीय उच्च वायुदाब की पेटियों से उपध्रुवीय निम्न वायुदाब की पेटियों की ओर प्रवाहित होने वाले पवनों को ध्रुवीय पवनें कहा जाता हैं। इन पवनों की राशि अत्यधिक ठंडी, शुष्क एवं भारी होती हैं, अतः इनसे प्रायः वर्षा नहीं होती है। उत्तरी गोलार्द्ध में इनकी दिशा उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिमी की ओर तथा दक्षिण गोलार्द्ध में दक्षिण-पूर्व से उत्तर-पश्चिम की ओर होती हैं। दोनों गोलार्धों में 60°-65° अक्षांशों पर ये पवनें पछुआ पवनों से अभिसरित होती हैं, जिससे वाताग्र जनन की क्रिया होती है, जिसका सम्बन्ध शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवात की उत्पत्ति से है।