नागवर्म द्वितीय (मध्य ११वीं या मध्य १२वीं शताब्दी) कन्नड साहित्यकार एवं वैयाकरण थे। वे पश्चिमी चालुक्य सम्राटों के दरबार में थे। कर्णाटक भाषाभूषण, काव्यालोकन और वास्तुकोश उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं।