नेत्रोद (Aqueous Humour) एक तरल पदार्थ है, जो आँख के अग्रखंड (anterior segment) में भरा रहता है। यह रक्तनालिकाओं से निकल कर लेंस को चारों ओर से आच्छादित रखता हुआ, पुतली द्वारा होकर अग्रखंड में आता है और फिर अग्रखंड के कोण से इसका बहिष्करण रक्त में होता रहता है। नेत्र के अंदर यह एक विशेष दबाव (20, 25 मिमी. पारद) पर रहता है और इस प्रकार यह आँख की गोलाकार आकृति को स्थायी रूप में रखने में सहायता करता है। साथ ही आँख के उन आंतरिक अंगों को जिनमें रक्त नलिकाएँ नहीं जातीं, जैसे लैंस, कारनिआ आदि को, यह पोषण पहुँचाता है तथा उनके मल पदार्थ को निकालने में सहायता करता है। यह आवश्यक है कि सदैव नए नेत्रोद का निस्सरण होता रहे और अग्रखंड के कोण से बाहर निकलता रहे। यदि किसी कारणवश नेत्रोद का निर्माण अधिक मात्रा में हो, अथवा उत्सर्ग में बाधा पड़े, तो नेत्रांतरिक दबाव (intraocular pressure) अधिक हो जाता है, जिससे एक बीमारी ग्लॉकोमा (glauacoma) हो जाती है।

मानवनेत्र का योजनात्मक चित्र

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