पेरो दा कोविल्हा (1460-1526) एक पुर्तगाली जासूस था जिसे 1487 में (अफ़ोन्सो दा पेवा के साथ) भारत खोज में जमानी रास्ते से पूर्व की ओर रवाना किया गया था। वो मिस्र होते हुए लाल सागर तक पहुँचा। फिर अकब सागर होते हुए कुन्नूर केरल का तट पर आया। वापस काहिरा आने पर उसे अपने साथी से मुलाकात नहीं हो पाई, हाँलांकि दो और पुर्तगाली जासूसों ने उससे मुलाक़ात की। उनके हाथों सूचना भेजकर वो इथियोपिया पहुंच गया - जहाँ के राजा ने उसे पापस भेजने की बात तो कही पर उसकी मृत्यु के बाद उसके बेटे ने अपना सलाहकार नियुक्त कर लिया लेकिन वापस नहीं भेजा। उसके द्वारा भेजी गई जानकारी बाद के पुर्तगाली और अन्य यूरोपीय सामुद्रिक अन्वेषणों में बहुत काम आई।

 
परो और अफ़ोन्सो दा पेवा साथ में अदन 1487-1488 (हरे रंग में);
 
कोविल्हा अकेले 1489-†1490 (नारंगी रंग में);
 
कोविल्हा की इथियोपिया यात्रा, 1490-†1530? (नीले रंग में);
 
वास्को दा गामा की 1497-1499 की प्रथम भारत यात्रा (काले रंग में)