प्रौद्योगिकी, व्यावहारिक और औद्योगिक कलाओं और प्रयुक्त विज्ञानों से संबंधित अध्ययन या विज्ञान का समूह है। कई लोग तकनीकी और अभियान्त्रिकी शब्द एक दूसरे के लिये प्रयुक्त करते हैं। जो लोग प्रौद्योगिकी को व्यवसाय रूप में अपनाते है उन्हे अभियन्ता कहा जाता है। आदिकाल से मानव तकनीक का प्रयोग करता आ रहा है। आधुनिक सभ्यता के विकास में तकनीकी का बहुत बड़ा योगदान है। जो समाज या राष्ट्र तकनीकी रूप से सक्षम हैं वे सामरिक रूप से भी सबल होते हैं और देर-सबेर आर्थिक रूप से भी सबल बन जाते हैं।
ऐसे में कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिये कि अभियांत्रिकी का आरम्भ सैनिक अभियांत्रिकी से ही हुआ। इसके बाद सडकें, घर, दुर्ग, पुल आदि के निर्माण सम्बन्धी आवश्यकताओं और समस्याओं को हल करने के लिये सिविल अभियांत्रिकी का प्रादुर्भाव हुआ। औद्योगिक क्रान्ति के साथ-साथ यांत्रिक तकनीकी आयी। इसके बाद वैद्युत अभियांत्रिकी, रासायनिक प्रौद्योगिकी तथा अन्य प्रौद्योगिकियाँ आयीं। वर्तमान समय कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी का है। अधिक पढ़ें…
भाप टरबाइन (steam turbine) वह यांत्रिक युक्ति है जो दाबित भाप से ऊष्मीय ऊर्जा निकालकर इसे यांत्रिक कार्य में बदलती है। आधुनिक रूप में इसका आविष्कार सर चार्ल्स पैर्सन्स ने 1884 में किया था। भाप टरबाइन (Steam Turbine) एक मूलचालक (prime mover) है, जिसमें भाप की उष्मा-ऊर्जा को गतिज उर्जा में परिवर्तित कर, उच्च गतिशील भाप को एक घूर्णक (rotor) पर बँधे हुए बहुत से फलकों पर टकराया जाता है, जिससे फलक परिभ्रमण करते हैं एवं इससे कार्य होता है। अन्योन्यगतिक (reciprocating) भाप इंजन में भाप की स्थैतिक (statical) दाब द्वारा पिस्टन पर कार्य किया जाता है। यद्यपि इंजन में भाप पिस्टन के साथ चलती है, फिर भी इंजन की क्रिया में भाप की गतिज उर्जा का प्रभाव नगणय है। भाप टरबाइन में भाप इंजन की अपेक्षा उच्चतर गति मिल सकती है और गतिसीमा भी बड़ी हा सकती है। टरबाइन के पुर्जों का संतुलन अच्छा रहता है। भाप की समान मात्रा एवं समान अवस्था में भाप टरबाइन भाप इंजन से अधिक शक्ति पैदा कर सकता है। भाप इंजन से कुछ वर्ष काम लेने के बाद भाप की खपत बढ़ जाती है, परंतु टरबाइन में ऐसी अवस्था नहीं आती पृथ्वी पर के सभी मूल चालकों में भाप टरबाइन सबसे अधिक टिकाऊ होता है। टरबाइन से सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि इससे घूर्णक गति सीधे प्राप्त होती है, जबकि भाप इंजन में अन्योन्यगति से घूर्णक गति प्राप्त करने के लिए अलग से उपादान का व्यवहर करना पड़ता है।
वाष्पित्र (बॉयलर) में भाप का जनन उच्च दाब एवं अधिताप (superheat temperature) पर होता है। जब यह भाप टरबाइन के पास पहुँचती है, उस समय इसमें अधिक मात्रा में उष्मा ऊर्जा होती है और इसकी दाब भी इतनी अधिक होती है कि यह निम्नदाब तक प्रसारित हो सकती है परंतु उस समय इसकी गतिज उर्जा नगण्य होती है। अत: भाप कुछ कार्य कर सके इसके पहले इसकी उष्मा ऊर्जा को गतिज उर्जा में परिवर्तित किया जाता है। अधिक पढ़ें…
प्रभुलाल भटनागर, (८ अगस्त, १९१२ - ५ अक्तूबर, १९७६) विश्वप्रसिद्ध भारतीयगणितज्ञ थे। इन्हें गणित के लैटिस-बोल्ट्ज़मैन मैथड में प्रयोग किये गए भटनागर-ग्रॉस-क्रूक (बी.जी.के) कोलीज़न मॉडल के लिये जाना जाता है। इनका जन्म कोटा, राजस्थान में ८ अगस्त, १९१२ को हुआ थ, जहां इनके पिता महाराजा के दरबार में उच्च-पदासीन थे। इनका शोध कार्य १९३७ में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्रारंभ हुआ जहां ये १९३९ तक रहे। वहां इन्होंने गणित व भौतिकी में प्रयुक्त फ़ोरियर श्रेणी एवं एलाइड श्रेणी पर डॉ॰बेनी प्रसाद के संग कार्य किये। इनके शोध कार्य एरिक काम्के की पुस्तक में प्रकाशित हुए। इन्हें २६ जनवरी, १९६८ को विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। प्रो.भटनागर के १३९ शोध-पत्र अन्तर्राष्ट्रीय जर्नलों में प्रकाशित हुए थे। उनके १०० से अधिक प्रचलित लेख एवं दर्जन से अधिक पुस्तकें भी निकली हैं। इनके अन्तर्गत २९ छात्रों ने पी.एचडी का शोध पूर्ण किया है। विस्तार में...
... कि वर्तमान में विश्व की सबसे तेज़ कार्यरत रेलगाड़ी शंघाई मैग्लेव एकमात्र उच्च गति की रेलगाड़ी है जो चुंबक द्वारा पटरी से उपर उठ कर उन्ही चुंबकों द्वारा गति प्राप्त करती है?
... कि जापानी भाषा में सुज़ुकी हायाबुसा नामक मोटरसाइकिल के नाम का अर्थ पैराग्राइन बाज (बहरी) है जो 300 किमी/घंटा से अधिक गति से गोता लगा सकता है?
... कि मी ऐट द ज़ू यूट्यूब पर अपलोड किया गया पहला वीडियो है?
... ग्लूकोमीटर के प्रयोग से मधुमेह रोगी अपने घर पर ही स्वयं बिना किसी की सहायता के नियमित अंतराल में रक्त-शर्करा की जांच स्वयं ही कर सकते हैं।
... कि पनामा नहर पर यातायात संचालन आरम्भ हुये सौ वर्ष से अधिक समय हो चुका है।
... वृहत मीटरवेव रेडियो टेलिस्कोपभारत के पुणे शहर से 80 किलोमीटर उत्तर में खोडाड नामक स्थान पर स्थित रेडियो दूरबीनों की विश्व की सबसे विशाल सारणी है।
... कि अमेरिकी इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर क्लॉड शैनन(चित्रित) को "सूचना सिद्धांत का पिता" माना जाता है।