इस भाषा को भारत के उत्तराखंड राज्य में उत्तरकाशी जिले के मोरी ब्लॉक(पट्टी बंगान) में बोला जाता है ।यह बहुत ही अच्छी भाषा है । यह भाषा इस ब्लॉक में बहुत ही पहले से बोली जाती है। सभी बड़े और बच्चें इसे अपने गांव में बोला करते है। यह भाषा बहुत ही लोकप्रिय है । इसी भाषा के नाम से वहां के लोगो को बंगानी भी बोला जाता है । और यहां के रहने वाले लोगों को बंगाण के लोग कहा जाता है। यह भाषा उत्तराखंड में हिमाचल प्रदेश की बॉर्डर की तरफ में जो भी गांव है वहां पर बोली जाती है। इस भाषा को लगभग 10 से 12 गांव में बोला जाता है। इनमे से कोई कोई इस प्रकार से है यह मैंजनी, भूतानु, किरोली, आराकोट, और कलीच और भी बहुत से गांवों में बोला जाता है।
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(जनवरी 2017) |
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बन्गानी भाषा |
बोलने का स्थान |
भारत उत्तराखंड उत्तरकाशी मोरी |
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भाषा परिवार |
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भाषा कोड |
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आइएसओ 639-3 |
gbm |
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बन्गानी भाषा भारत की संकटग्रस्त भाषाओं में से एक है। यह अत्यधिक गंभीर रूप से खतरे में है।
आईएसओ कोड: gbm[1]
इस भाषा में कुछ वाक्य इस प्रकार से है।
हिंदी भाषा (बंगाणी भाषा)
- कहां जा रहे हो।( केतके लाग: डेई।)
- कैसे हो आप।(केशे तूमे।)
- क्या कर रहे हो। (का ला करि।)
- तुम क्या करते हो।(तुमे का करेन।)
- खाना बना लिया। ( खाण चाणी गो।)
- नमस्ते भाईयों। (डाल बाइयो)
- और (ओजि)
- हाथ पैर धो लिए। (हाथ बांगने धोई गौ।)
- आग जला दी ।(आग जाड़ी गोई)
- आज खाने में क्या है ।(इतरा खाणे दी का।)
- हमारे यहां पर सेब की खेती की जाती है। (आमकाई सेब री खेती केरेन।)
- कुछ महत्व पूर्ण चीजें जो की काम में उपयोग होती है । (कुछ जरूरी चीज जुंजी कामे दी उपयोग हए।)
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- किल्टा (गिड्ड)
- दरांत।(दात्र।)
- दरांती।(दात्री)
- हल (हड़)
- बैल (बड़ेद)
- गाय।( गाई)।
- बछड़ा (बासकुडी।)
- रुपए। (पैंशा)
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- इस प्रकार से बैंगनी भाषा को बोला जाता है।
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