बेगूसराय

बेगूसराय जिला

बेगूसराय जिला भारत के पावन मिथिला क्षेत्र में गंगा नदी के उत्तरी किनारे पर स्थित है। १८७० ईस्वी में यह मुंगेर जिले के सब-डिवीजन के रूप में स्थापित हुआ। १९७२ में बेगूसराय स्वतंत्र जिला बना।

बेगूसराय
View of बेगूसराय, भारत
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समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश  भारत
जनसंख्या
घनत्व
23,42,989 (२००१ के अनुसार )
• 1,222/किमी2 (3,165/मील2)
क्षेत्रफल 1918 sq. kms कि.मी²

निर्देशांक: 25°09′N 85°27′E / 25.15°N 85.45°E / 25.15; 85.45

भौगोलिक संरचना संपादित करें

बेगूसराय उत्तर बिहार में 25°15' और 25° 45' उतरी अक्षांश और 85°45' और 86°36" पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। बेगूसराय शहर पूरब से पश्चिम लंबबत रूप से राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ा है। इसके उत्तर में समस्तीपुर, दक्षिण में गंगा नदी और लक्खीसराय, पूरब में खगड़िया और मुंगेर तथा पश्चिम में समस्तीपुर और पटना जिला हैं।

प्रशासनिक संरचना संपादित करें

सब-डिवीजनों की संख्या-०५
प्रखंडों की संख्या-१८
पंचायतों की संख्या-257
राजस्व वाले गांवों की संख्या-1229
कुल गांवों की संख्या-1198
नगर परिषद बीहट नगर परिषद बखरी,नगर परिषद तेघड़ा,

जनसंख्या संपादित करें

२००१ की जनगणना के अनुसार इस जिले की जनसंख्या:[1]

  • पुरुष : 1226057
  • स्त्री : 1116932
  • कुल: 2342989
  • वृद्धि : 29.11%

जनसांख्यिकी संपादित करें

वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार बेगूसराय की आबादी 33 लाख है। बेगूसराय की जनसंख्या वृद्धि दर 2.3 प्रतिशत वार्षिक है। इसकी जनसंख्या वृद्धि दर में उतार-चढ़ाव होती रही है। बेगूसराय की कुल आबादी का 52 प्रतिशत पुरूष और 48 प्रतिशत महिलाएं है। यहां औसत साक्षरता दर 65 प्रतिशत है जो राष्ट्रीय साक्षरता दर के करीब है। यहां महिला साक्षरता दर 41 प्रतिशत तथा पुरूष साक्षरता दर 71 प्रतिशत है। यहां की 15 प्रतिशत आबादी छह वर्ष से कम उम्र की है।

प्रासांगिकता संपादित करें

बेगूसराय बिहार के औद्योगिक नगर के रूप में जाना जाता है। यहां मुख्य रूप से तीन बड़े उद्योग हैं-

इसके अलावा कई छोटे-छोटे और सहायक उद्योग भी है। यहां कृषि उद्योगों की संभवना काफी ज्यादा है।

आधारभूत ढांचा संपादित करें

बेगूसराय बिहार और देश के दूसरे भागों से सड़क और रेलमार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। नई दिल्ली-गुवाहाटी रेलवे लाईन बेगूसराय होकर गुजरती है। बेगूसराय से पांच किलोमीटर की दूरी पर ऊलाव में एक छोटा हवाई अड्डा भी है, जहां नगर आने वाले महत्वपूर्ण व्यक्तियों का आगमन होता है। बरौनी जंक्शन से दिल्ली, गुवाहाटी, अमृतसर, वाराणसी, लखनऊ, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता आदि महत्वपूर्ण शहरों के लिए रेल गाड़ियां चलती हैं। बेगूसराय में अठारह रेलवे स्टेशन हैं। जिले का आंतरिक भाग सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। गंगानदी पर बना राजेंद्र पुल उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ता है। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 28 और 31 बेगूसराय से होकर गुजरती है। जिले में इस मार्ग की कुल लंबाई 95 किलोमीटर है। जिले में राजकीय मार्ग की कुल लंबाई 295 किलोमीटर है। जिले के 95 प्रतिशत गांव सड़कों से जुड़े हुए हैं।

साहित्य और संस्कृति संपादित करें

बेगूसराय हमारे राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जन्मभूमि है।[2] उन्हीं के नाम पर नगर का टाउन हॉल दिनकर कला भवन के नाम से जाना जाता है। यहां आकाश गंगा रंग चौपाल बरौनी ,द फैक्ट रंगमंडल. आशीर्वाद रंगमंडल जैसी कई प्रमुख नाट्यमंडलियां हैं जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त की हैं। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से पास आउट गणेश गौरव और प्रवीण गुंजन लगातार कला और साहित्य के लिए प्रतिबद्ध हैं। रंग कार्यशाला लगाकर रंगकर्म और कला साहित्य की नई पीढ़ी तैयार करने में लगे हैं । जिले के दिनकर भवन में लगातार नाटकों और कला से जुड़े विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों का प्रदर्शन किया जाता रहा है। प्रतिवर्ष राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव रंग संगम, रंग माहौल, आशीर्वाद नाट्य महोत्सव आदि का आयोजन किया जाता है। जिसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर के कलाकारों ने अपनी बेहतरीन प्रस्तुति देते हैं। यहां की संस्कृति , साहित्य को बढ़ावा देने में लब्धप्रतिष्ठ साहित्यकार व प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय-महासचिव राजेन्द्र राजन, कवि अशांत भोला,जनकवि दीनानाथ सुमित्र,चर्चित कवि प्रफुल्ल मिश्र, नवोदित कवि वरुण सिंह गौतम एवं‌ उनके दादा शिवबालक सिंह भी बहुचर्चित कवि‌ थे , गीतकार रामा मौसम, वरिष्ठ रंगकर्मी अनिल पतंग, कार्टूनिस्ट सीताराम, युवा कवि व पत्रकार नवीन कुमार, युवा कवि डॉ अभिषेक कुमार.युवा गीतकार अखिल सिंह,युवा कवयित्री सीमा संगसार ,समाँ प्रवीण, का नाम उल्लेखनीय है। सिमरिया धाम एक आदि कुंभ स्थली हैं जहां स्वामी चिदात्मन द्वारा आदि कुंभ स्थली सिमरिया धाम का पुनर्जागरण किया गया। आदि कुंभा स्थली की खोज संंत शिरोमणि करपात्री अग्निहोत् परमहंस स्वामी चिदात्मन जी महाराज नेे किया और 2017 में यहां महाकुंभ भी लगा था फिर 2023 में यहां अर्ध कुंभ लगेगा. यहां वेद पढ़ने वााले विद्यार्थियों और शिक्षकों के नाम आचार्य रामनरेश झा.आचार्य वरुण पाठक विद्यार्थी पद्मनाभ झा, राम झा, लक्ष्मण झा, श्याम झा अन्य हैं।

राष्ट्रीय फलक पर दैदीप्यमान, बेगूसराय की साहित्यिक पहचान "विप्लवी पुस्तकालय", जो बिहार सरकार द्वारा चयनित राज्य का विशिष्ट पुस्तकालय है। यहाँ हर साल 4-5 राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन होता ही है। विप्लवी पुस्तकालय, गोदरगावां, बेगूसराय ही देश में पहली बार अपने ग्रामीण माहौल में लेखक संघ का राष्ट्रीय अधिवेशन का सफल आयोजन किया जिसमें देश विदेश से 350 प्रबुद्ध लेखकों ने हिस्सा लिया। प्रसिद्ध नाटककार मरहूम हबीब तनवीर द्वारा "राजरक्त" नाटक का खुला मंचन किया गया 10हजार से ज्यादा दर्शकदीर्घा में रहे होंगे।

शहर से 7 किलोमीटर दूर गोदरगांवा ग्राम में सन 1931 से स्थित इस पुस्तकालय में तकरीबन ५० हजार पुस्तकें और पत्रिकाएं हैं जिसका लाभ नियमित रूप से अनेक पाठक उठाते हैं। पुस्तकालय के संरक्षक राजेन्द्र राजन जो क्षेत्र के पूर्व विधानसभा सदस्य होने के साथ साथ प्रगतिशील लेखक संघ के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव रहे हैं। पुस्तकालय प्रांगण में विद्रोहिणी मीरा कबीर मुन्शी प्रेमचन्द. चन्द्रशेखर आजद शहीद सरदार भगत सिंह महात्मा गांधी तथा डॉ पी गुप्ता की मुर्तियां अपने आप में संस्कृतिक धरोहर के रुप में स्थित है। पुस्तकालय भवन के ठीक सामने वैदेही सभागार है जिसमें तकरीबन पाँच से लोगों के बैठने की उचित व्यवस्था है।

बेगूसराय जिले के सभी महाविद्यालय ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा से संबद्ध हैं। यहां के महत्वपूर्ण महाविद्यालयों में गणेश दत्त महाविद्यालय, एसबीएसएस कॉलेज, श्री कृष्ण महिला कॉलेज. चंद्रमा असरफी भागीरथ सिंघ कॉलेज खमहार .एपीएसएम कॉलेज बरौनी. आरसीएस कॉलेज मन्झौल. आदि हैं। अहम विद्यालयों में जे.के. इंटर विधालय. बीएसएस इंटर कॉलेजिएट हाईस्कूल, आर. के. सी. +२ विद्यालय फुलवरिया बरौनी, बीपी हाईस्कूल,श्री सरयू प्रसाद सिंह विद्यालय विनोदपुर , सेंट पाउल्स स्कूल, डीएवी बरौनी, बीआर डीएवी (आईओसी), केवी आईओसी, डीएवी इटवानगर,सुह्रद बाल शिक्षा मंदिर, साइबर स्कूल, जवाहर नवोदय विद्यालय, हमारे यहां बेगूसराय में सिमरिया धाम जो कि आदि कुंभ स्थलीन्यू गोल्डेन इंग्लिश स्कूल,विकास विद्यालय आदि।यहाँ सरकारी नौकरी और टेट,सीटेट,एस्टेट,सीयूईटी और विभिन्न प्रतियोगिता परिक्षा से संबंधित तैयारी के लिए 1994 ईस्वी में स्थापित प्रख्यात संस्थान new Marksman coaching है जो कालीस्थान में अवस्थित है।

संस्कृति संपादित करें

बेगूसराय की संस्कृति मिथिला की सांस्कृतिक विरासत को परिभाषित करती है। बेगूसराय के लोग भी मिथिला पेंटिंग बनाते हैं। बेगूसराय सिमरिया मेले के लिए भी प्रसिद्ध है, जो भारतीय पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक के महीने के दौरान भक्ति महत्व का मेला है। नवंबर).[3] बेगूसराय में पुरुष और महिलाएं बहुत धार्मिक हैं और पर्वो के अनुसार वस्त्र पहनते हैं। बेगूसराय की वेशभूषा मिथिला की समृद्ध पारंपरिक संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती है। पंजाबी कुर्ता और धोती के साथ मिथिला चित्रकारी से सजा मैरून गमछा कंधे पर रखते हैं जो शोर्य,प्रेम और साहस का प्रतीक है। संग में वे अपनी नाक में सोने की बाली,कंठ में रूद्र माला और कलाई में बल्ला धारण करते हैं जो भगवान विष्णु से प्रेरित समृद्धि और वैभव का प्रतीक है। प्राचीन समय में मिथिला में कोई रंग विकल्प नहीं था, इसलिए मैथिल महिलाएं लाल बॉर्डर वाली सफेद या पीली साड़ी पहनती थीं, लेकिन अब उनके पास बहुत सारी विविधता और रंग विकल्प हैं और वे लाल-पारा (पारंपरिक लाल बोर्ड वाली सफेद या पीली साड़ी) कुछ विशेष अवसरों पर पहनती हैं। इसके संग वे हाथ में लहठी के साथ शाखा-पोला भी पहनते हैं जो मिथिला में विवाह के बाद पहनना अनिवार्य है। मिथिला संस्कृति में, यह नई शुरुआत, जुनून और समृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है। लाल हिंदू देवी दुर्गा का भी प्रतिनिधित्व करता है, जो नई शुरुआत और स्त्री शक्ति का प्रतीक है। छ‌इठ के दौरान मिथिला की महिलाएं बिना सिले शुद्ध सूती धोती पहनती हैं जो मिथिला की शुद्ध, पारंपरिक संस्कृति को दर्शाता है। आमतौर पर दैनिक उपयोग के लिए सूती साड़ी और अवसरों के लिए रेशम अथवा बनारसी साड़ी को पहना जाता है। मिथिला की महिलाओं के लिए पारंपरिक पोशाक में जामदानी, बनारसी और भागलपुरी और कई अन्य शामिल हैं। मिथिला में वर्ष भर कई पर्व मनाए जाते हैं। छ‌इठ, दुर्गा पूजा और काली पूजा को मिथिला के सभी उत्सवों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।

== मुख्य त्यौहार

कृषिभूमि संपादित करें

कुल क्षेत्र-1,87,967.5 हेक्टेयर
कुल सिंचित क्षेत्र-74,225.57 हेक्टेयर
स्थायी सिंचित-6384.29 हेक्टेयर
मौसमी सिंचित-4866.37 हेक्टेयर
वन्यभूमि-0 हेक्टेयर
बागवानी आदि-5000 हेक्टेयर
खरीफ-22000 हेक्टेयर
रबी- 10000 हेक्टेयर
गेहूं-61000 हेक्टेयर
जलक्षेत्र और परती-2118
सिंचाई का मुख्य साधन-ट्यूबवेल

प्राकृतिक और जल संपदा संपादित करें

बेगूसराय जिला गंगा के समतल मैदान में स्थित है। यहां मुख्य नदियां-बूढ़ी गंडक, बलान, बैंती, बाया और चंद्रभागा है। (चंद्रभागा सिर्फ मानचित्रों में बच गई है।) कावर झील एशिया की सबसे बडी मीठे जल की झीलों में से एक है। यह पक्षी अभयारण्य के रूप में प्रसिद्ध है।

खनिज संपादित करें

आर्थिक महत्व का कोई खनिज नहीं है।

वन संपादित करें

बेगूसराय में कोई वन नहीं है। लेकिन आम, लीची, केले, अमरूद, नींबू के कई उद्यान हैं। कई जगहों पर अच्छी बागवानी भी है। मुबारकपुर शंख, चकमुजफ्फर और नावकोठी गांव केले के लिए मशहूर है। यहां जंगली पशु देखने को शायद ही मिलते हैं, लेकिन कावरझील में विविध प्रकार की पक्षियां मिलती हैं। हाल ही में खोज से पता चला है कि गंगा के बेसिन में पेट्रोलियम या गैस के भंडार हैं।

यातायात संपादित करें

बेगूसराय बिहार और देश के दूसरे भागों से सड़क और रेलमार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। नई दिल्ली-गुवाहाटी रेललाइन बेगूसराय से गुजरती है। उलाव में एक छोटा सा हवाई अड्डा है, जो बेगूसराय जिला मुख्यालय से पांच किलोमीटर दूर है। इस हवाई अड्डे का इस्तेमाल महत्वपूर्ण व्यक्तियों के शहर आगमन के लिए होता है। बेगूसराय में रेलवे की बड़ी लाइन की लंबाई 119 किलोमीटर और छोटी लाइन की लंबाई 67 किलोमीटर है। बरौनी रेलवे जंक्शन का पूर्व-मध्य बिहार में अहम स्थान है। यहां से दिल्ली, गुवाहाटी, अमृतसर, वाराणसी, लखनऊ, मुंबई, चेन्नई, बैंगलोर आदि जगहों के लिए ट्रेने खुलती है। गंगा नदी पर राजेंद्र पुल उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार को जोड़ता है। बेगूसराय जिले में कुल अठारह रेलवे स्टेशन है। जिले का आंतरिक भाग मुख्य सड़कों से जुड़ा हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 28 और 31 इस जिले को देश के दूसरे भागों से जोड़ता है। जिले में राजमार्ग की लंबाई 95 किलोमीटर है, जबकि राजकीय पथ की लंबाई 262 किलोमीटर है। जिले के 95 प्रतिशत गांव सड़क से जुड़े हुए हैं। शहर में कई अच्छे अच्छे होटल भी हैं।

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "बेगूसराय की जनसंख्या". मूल से 14 दिसंबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 दिसंबर 2007.
  2. "आज भी उपेक्षित है राष्ट्रकवि दिनकर की पैतृक गांव सिमरिया". हिंदुस्तान. मूल से 18 अप्रैल 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 अप्रैल 2017.
  3. "' आठ ऐतिहासिक शहरों में फिर से शुरू होगा कुंभ मेला'". पाठ " इलाहाबाद समाचार - टाइम्स ऑफ इंडिया" की उपेक्षा की गयी (मदद); नामालूम प्राचल |एक्सेसडेट= की उपेक्षा की गयी (मदद); नामालूम प्राचल |वेबसाइट= की उपेक्षा की गयी (मदद)

बाहरी कड़ी संपादित करें

  • खोदावन्दपुर