भाई नन्दलाल (फ़ारसी : بھائی نند لال; गुरुमुखी : ਭਾਈ ਨੰਦ ਲਾਲ; 1633–1713), १७वीं शताब्दी के एक सिख कवि थे जो गुरु गोविन्द सिंह के दरबार के ५२ कवियों में से एक थे। वे मूलतः फ़ारसी के कवि थे। उन्होंने फ़ारसी में 'गोया' के उपनाम से कविता लिखीं। भाई साहब मुल्तान के निवासी थे। उनका शुरुआती जीवन ग़ज़नी(ग़ज़ना), अफ़ग़ानिस्तान में गुज़रा। भाई नन्दलाल की शिक्षा वहीं ग़ज़नी में हुई। उन्होंने 9 वर्ष की आयु में कविता लिखनी शुरू कर दी थी।

रचनाएँ:

1) दीवान-ए-गोया: इसमें भाई नन्दलाल की ग़ज़लियात और कुछ रुबाइयात शामिल हैं।(फ़ारसी)

2) ज़िन्दगीनामा: यह रचना आध्यात्मिक विषय के बारे में मसनवी शैली में लिखी गई है।(फ़ारसी)

3)गन्जनामा: गंजनामा में दस सिक्ख गुरु साहिबान की स्तुति की गई है।(फ़ारसी)

4)जोत विगास(फ़ारसी)

5)जोत विगास (पंजाबी)

6) ख़ातिम:/ख़ातिमात

7) तनखहनामा

8) दस्तूर-उल-इन्शा