भारत में सिक्के ढालने का एकमात्र अधिकार भारत सरकार को है। सिक्का निर्माण का दायित्व समय-समय पर यथासंशोधित सिक्का निर्माण अधिनियम, 1906[1] के अनुसार भारत सरकार का है। विभिन्न मूल्यवर्ग के सिक्कों के अभिकल्प तैयार करने और उनकी ढलाई करने का दायित्व भी भारत सरकार का है। सिक्कों की ढलाई भारत सरकार के चार टकसालों यथा मुंबई, अलीपुर (कोलकाता), सैफाबाद (हैदराबाद), चेरियापल्ली (हैदराबाद) और नोयडा (उ.प्र.) में की जाती है।

शेर शाह सूरी (१५४०-१५४५) द्वारा प्रचालित सिक्के

मूल्यवर्ग संपादित करें

वर्तमान में भारत में एक रूपए, दो रूपए पाँच रूपए और दस रुपये मूल्यवर्ग के जारी किए जाते हैं। 50 पैसे तक के सिक्कों को छोटे सिक्के और एक रूपए तथा उससे अधिक के सिक्कों को रुपया सिक्का कहा जाता है। सिक्का निर्माण अधिनियम, 1906 के अनुसार 1000 रूपए मूल्यवर्ग तक के सिक्के जारी किए जा सकते हैं।

वितरण संपादित करें

सिक्के टकसाल से प्राप्त किए जाते हैं और भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय निर्गम कार्यालयों/उप-कार्यालयों तथा बैंकों द्वारा व्यवस्थित मुद्रा तिजोरियों के एक व्यापक नेटवर्क और देश भर में फैले हुए सरकारी कोषागारों के माध्यम से परिचालित किए जाते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक के निर्गम कार्यालय/उप-कार्यालय अहमदाबाद, बंगलूर, बेलापुर (नवी मुंबई), भोपाल, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, चेन्नै, गुवाहाटी, हैदराबाद, जम्मू, जयपुर, कानपुर, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, नई दिल्ली, पटना और तिरूवनंतपुरम हैं। ये कार्यालय आम जनता को सिक्के अपने काउंटरों के माध्यम से सीधे जारी कर सकते हैं तथा मुद्रा तिजोरियों और छोटे सिक्के के डिपो को सिक्का परेषण भी कर सकते हैं। 4422 मुद्रा तिजोरियां और 3784 छोटे सिक्कों के डिपो देश भर में फैले हुए हैं। मुद्रा तिजोरियाँ और छोटे सिक्के के डिपो आम जनता, ग्राहकों और अपने परिचालन क्षेत्र में अन्य बैंक शाखाओं को सिक्के वितरित करते हैं। आम जनता सिक्कों की आवश्यकता होने पर भारतीय रिजर्व बैंक कार्यालयों अथवा उपर्युत्त एजेंसियों से संपर्क कर सकती है।

सिक्कों की आपूर्ति में सुधार के उपाय संपादित करें

  • देश की विभिन्न टकसालों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए उनका आधुनिकीकरण और उन्नयन किया गया है।
  • विगत वर्षो में सरकार ने देशी उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए सिक्कों का आयात किया है।
  • सिक्कों की आपूर्ति में कमी को पूरा करने के लिए 5 रूपए मूल्यवर्ग के नोटों को पुनः लागू किया गया है।

वितरण के नए प्रयास संपादित करें

  • प्रायोगिक आधार पर भारतीय रिजर्व बैंक के चयनित क्षेत्रीय कार्यालयों में सिक्का वितरण मशीनें लगाई गई हैं।
  • विभिन्न मूल्यवर्गो के सिक्कों के पैक किए हुए पैकेटों को जारी करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के कई कार्यालयों में समर्पित एकल-खिड़की काउंटर खोले गए हैं।
  • शहर के वाणिज्यिक और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में रिजर्व बैंक द्वारा चलन्त काउंटर लगाए जा रहे हैं जहाँ सिक्कों के बदले गंदे नोटों का विनिमय किया जा सकता है।

आम जनता से अपील संपादित करें

विभिन्न एजेंसियों के सक्रिय सहयोग से बैंक देश के सभी भागों में समान रूप से सिक्कों के वितरण का प्रयास करता रहा है। यह लक्ष्य व्यापक रूप से आम जनता और विभिन्न स्वयंसेवी एजेंसियों के निरंतर सहयोग के बिना सफल नहीं हो सकता है। आम जनता से अनुरोध है कि वे सिक्कों को जमा करने के बजाय लेन-देन में उनका मुत्तहस्त से उपयोग करें ताकि सिक्कों का सहज परिचालन सुनिश्चित किया जा सके। स्वयंसेवी एजेंसियों से अनुरोध है कि वे अपने क्षेत्र में सिक्कों के वितरण, गंदे नोटों के विनिमय और नोटों के समुचित रखरखाव के लिए उपलब्ध विभिन्न सुविधाओं के बारे में आम जनता को शिक्षित करें।

इन्हें भी देखें संपादित करें

  1. "Counage act १९०६". १/१/१९९०. मूल से 13 मई 2019 को पुरालेखित. |firstlast= missing |lastlast= in first (मदद); |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)