भरतद्वाज ऋषि का आश्रम प्रयागराज के पास था। जहां वे अपने शिष्यों को अपने आश्रम में ही शिक्षा देते थे। आज भी इस क्षेत्र के पास के लोग अपने को भरद्वाज के कुल का मानते हैं।