भिलाई (Bhilai) भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के दुर्ग ज़िले में स्थित एक नगर है। यह भारत का एक प्रमुख औद्योगिक केन्द्र है और मध्य भारत का एक मुख्य शिक्षा केन्द्र भी है। भिलाई शिवनाथ नदी के तट पर बसा हुआ है। यह दुर्ग शहर से सटा हुआ है, जिस से दुर्ग-भिलाई वास्तव में इन जुड़वा शहरों का एक ही संयुक्त्त नगरीय क्षेत्र है। राष्ट्रीय राजमार्ग ५३ इसे कई अन्य प्रमुख शहरों से जोड़ता है।[1][2]

भिलाई
Bhilai
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भिलाई सिविक सेंटर में स्थित नेहरू आर्ट गैलरी
भिलाई सिविक सेंटर में स्थित नेहरू आर्ट गैलरी
भिलाई is located in छत्तीसगढ़
भिलाई
भिलाई
छत्तीसगढ़ में स्थिति
निर्देशांक: 21°13′N 81°23′E / 21.21°N 81.38°E / 21.21; 81.38निर्देशांक: 21°13′N 81°23′E / 21.21°N 81.38°E / 21.21; 81.38
ज़िलादुर्ग ज़िला
प्रान्तछत्तीसगढ़
देश भारत
ऊँचाई297 मी (974 फीट)
जनसंख्या (2011)
 • कुल10,64,223
भाषाएँ
 • प्रचलितहिन्दी, छत्तीसगढ़ी
समय मण्डलभामस (यूटीसी+5:30)
पिनकोड490XXX
दूरभाष कोड07693
वाहन पंजीकरणCG-07
वेबसाइटwww.bhilainagarnigam.com

विवरण संपादित करें

भिलाई शहर करीबन भारत के मध्य में बसा है। 1003406 की जनसंख्या के साथ, भिलाई भारत के छत्तीसगढ़ राज्य का तीसरा बड़ा शहर है। मुम्बई-नागपुर-बिलासपुर-कोलकाता राष्ट्रीय राजमार्ग 6 पर स्थित, छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगभग 30 किलोमीटर पश्चिम में भारतीय इस्पात प्राधिकरण के अंतर्गत एकीकृत इस्पात संयंत्र के लिये जगप्रसिद्ध शहर शिक्षा और खेल के क्षेत्र में भी नाम रखता है। भारत-रूस मैत्री के फ़लस्वरूप बना भिलाई इस्पात संयंत्र श्रेष्ठ एकीकृत इस्पात संयंत्र के लिये लगातार ग्यारह बार प्रधानमंत्री ट्रॉफ़ी जीत चुका है।

भिलाई नाम की उत्पत्ति भिलाई गांव से हुई जहां भील ज निवास करती है, जो इस नगर के उत्तर में स्थित है। सन् 1956 तक भिलाई गांव एक छोटा सा ग्राम था, जिसकी जनसंख्या 350 थी। सन् 1955 में भारत एवं सोवियत रुस में संपन्न एक समझौते के अंतर्गत इस्पात कारखाना स्थापित किया गया। भिलाई इस्पात संयंत्र कारखाना स्थापित होने से क्षेत्र में औद्योगिक गतिविधियों में वृद्वि हुई। यह सन् 1955 तक एक छोटा, शांत और धान की खेती पर पोषित गांव मात्र था। 14 मार्च 1955 को भारत शासन और तत्कालीन सोवियत संघ के मध्य, भिलाई में एक मिलीयन टन क्षमता के इस्पात कारखाना लगाने का समझौता हुआ जिसने न केवल भिलाई जिसने न केवल भिलाई की, वरन् इसके आस-पास बसे सैकड़ों गांवों की काया पलट दी। मुंबई-हावड़ा रेल्वे लाइन के उत्तर में भिलाई इस्पात संयंत्र और उसकी टाउनशीप बनाने का निर्णय लिया गया और इसके दक्षिण में श्रमिकों के लिए अस्थायी निवास हेतु भूमि दी गई। अवधारणा यह थी कि कारखाना प्रारंभ होने के बाद, उक्त अस्थायी निवास हट जावेंगे और भूमि खाली हो जावेगी, किन्तु ऐसा हो न सका। बसाहट बढ़ती गई और मूलभूत सुविधा विहीन बस्तियाँ बनती गई। दुर्ग-भिलाई की जनसंख्या सन् 1951-71 के दशक में 86 प्रतिशत तथा 1971-81 के दशक में 113 प्रतिशत की वृद्धि हुई। सन् 1981-91 के दशक में 89 प्रतिशत एवं सन् 1991-2001 के दशक में 77 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

चित्रदीर्घा संपादित करें

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "Inde du Nord - Madhya Pradesh et Chhattisgarh Archived 2019-07-03 at the वेबैक मशीन," Lonely Planet, 2016, ISBN 9782816159172
  2. "Pratiyogita Darpan Archived 2019-07-02 at the वेबैक मशीन," July 2007
  3. "Shri Uwassaggaharam Parshwa Tirth, Nagpura | District DURG, Government of Chhattisgarh | India" (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-06-06.