माइकेल्सन व्यतिकरणमापी

प्रोफेसर ए. ए. माइकेल्सन के प्रारंभिक व्यतिकरणमापी मे दाहिनी ओर से एक प्रकाशकिरण दर्पण M पर आती है। M दर्पण का आधा भाग रजतित (silvered) होता है। जिससे केवल आधा प्रकाश परावर्तित होकर दर्पण M1 पर जाता है और शेष आधा प्रकाश अरजतित भाग से पारगमित होकर सीधा दर्पण M2 पर आपतित होता है तथा अपने पथ पर परावर्तित हो जाता है। दर्पण M1 तथा M2 एक दूसरे पर लंब होते हैं। दर्पण M1 तथा M2 से परावर्तित होनेवाली प्रकाश की किरणपुंजें पुन: दर्पण M पर आपतित होती है और प्रेक्षक इन दोनों किरणों के द्वारा बनी व्यतिकरण फ्रंजों को देखता है।

प्रकाशीय मेज पर व्यवस्थित एक माइकेल्सन व्यतिकरणमापी
माइकेल्सन व्यतिकरणमापी में प्रकाश का पथ

माइकेल्सन ने अपने व्यतिकरणमापी की सहायता से प्रकाश का वेग तथा प्रकाश की तरंग लंबाई मापी तथा सर्वप्रथम तारों का कोणीय व्यास ज्ञात किया। बीटेलजूज़ (Betelguese) प्रथम तारा है, जिसका कोणीय व्यास (0.049) ज्ञात किया गया था। दूरदर्शक से युक्त माइकेल्सन व्यतिकरणमापी से अत्यधिक दूर स्थित तारों तथा मंद तारों की मापें ज्ञात करना संभव हो गया है। तारों से प्राप्त होनेवाली प्रकाशतरंगों से व्यतिकरण द्वारा तारों की दिशा, दूरी तथा विस्तार का निर्धारण किया जाता है।

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