मुद्राक्षर या टाइप (type) हाथों द्वारा किये गए अक्षरयोजन (typesetting) में धातु या अन्य चीज़ के बने उस टुकड़े को कहते हैं जिसपर एक छापने वाला अक्षर बना हो। काग़ज़ों पर छापने के आरंभिक दौर में इन्ही मुद्राक्षरों को एक सांचे में लगाकर शब्द और वाक्य बनाए जाते थे।[1] छापने की प्रेस में ऐसे साँचो के ज़रिये पूरे पन्ने डाले जाते थे। जब पन्ने छापते थे तो केवल इन मुद्राक्षरों के उभरे मुखों पर ही स्याही लगाई जाती थी जो फिर पन्नों पर छपे हुए अक्षरों के रूप में दिखती थी।[2]

लोहे का 'H' मुद्राक्षर - (a) मुख (b) जिस्म (c) पॉइंट आकार (1) कन्धा (2) निक (3) नाली या ग्रूव (4) पाऊँ
एक सांचे में लगे मुद्राक्षरों से पूरे शब्द, वाक्य और पन्ने बनते हैं

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. अरविंद सहज समांतर कोश: शब्दकोश भी-थिसारस भी, अरविंद कुमार, कुसुम कुमार, पृष्ठ 379, राजकमल प्रकाशन प्रा. ली., २००६, ISBN 978-81-267-1103-1, ... टाइप (सं) मुद्रा, मुद्राक्षर ...
  2. American dictionary of printing and bookmaking: containing a history of these arts in Europe and America Archived 2017-09-15 at the वेबैक मशीन, Wesley Washington Pasko, pp. 551, H. Lockwood, 1894, ... The face is the only portion which is coated with ink, and the only part which shows on a printed page ...