रामप्पा मंदिर

तेलंगाना राज्य के मुलुगु जिले के पालमपेट गांव की घाटी में स्थित एक हिन्दू मंदिर

रामप्पा मंदिर, जिसे रुद्रेश्वर (भगवान शिव) मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, दक्षिण भारत में तेलंगाना राज्य में स्थित एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है। यह वारंगल से 66 कि.मी, मुलुगुसे 15 कि.मी,हैदराबाद से 209 कि.मी की दूरी पर स्थित है। यह मुलुगु जिले के वेंकटपुर मंडल के पालमपेट गांव की घाटी में स्थित है। हालांकि अब यह एक छोटा सा गांव है लेकिन 13वीं और 14वीं शताब्दी के काल में इसका एक गौरवशाली इतिहास रहा है। मंदिर के परिसर में उपस्थित एक शिलालेख के अनुसार इसका निर्माण वर्ष 1213 ईस्वी में काकतीय शासक गणपति देव के शासनकाल के दौरान उनके एक सेनापति रेचारला रुद्र देव ने करवाया था।[1]

रामप्पा मंदिर
रुद्रेश्वर मंदिर
धर्म संबंधी जानकारी
सम्बद्धताहिन्दु मंदिर
देवतारामलिंगेश्वर स्वामी
त्यौहारमहाशिवरात्रि
अवस्थिति जानकारी
अवस्थितिपालमपेट गाँव
ज़िलामुलुगु
राज्यतेलंगाना
देशभारत
रामप्पा मंदिर is located in तेलंगाना
रामप्पा मंदिर
तेलंगाना में अवस्थिति
भौगोलिक निर्देशांकनिर्देशांक: 18°15′33″N 79°56′36″E / 18.25917°N 79.94333°E / 18.25917; 79.94333
वास्तु विवरण
वास्तुकाररामप्पा
प्रकारकाकतीय शैली, भूमिजा/वेसर शैली
निर्मातारेचरला रूद्र देव
निर्माण पूर्ण13वीं शताब्दी
अभिमुखपूर्वोन्मुख
आधिकारिक नाम: काकतीय रूद्रेश्वर (रामप्पा) मंदिर, तेलंगाना
मापदण्डसांस्कृतिक: (i)(iii)
संसूचित2021 (44वां सत्र)
सन्दर्भ संख्या1570

मंदिर एक शिवालय है, जहां भगवान रामलिंगेश्वर की पूजा की जाती है। कथित तौर पर, मार्को पोलो ने काकतीय साम्राज्य की अपनी यात्रा के दौरान इस मंदिर को "मंदिरों की आकाशगंगा का सबसे चमकीला तारा" कहा था।[2] रामप्पा मंदिर 6 फुट ऊंचे तारे के आकार के चबूतरे पर भव्य रूप से खड़ा है। गर्भगृह के सामने के कक्ष में कई नक्काशीदार स्तंभ हैं जिनकी अवस्थिति इस प्रकार रखी गई है कि यह मिलकर प्रकाश और अंतरिक्ष को अद्भुत रूप से जोड़ने का प्रभाव उत्पन्न करते हैं। मंदिर का नाम इसके मूर्तिकार रामप्पा के नाम पर रखा गया है, और शायद यह भारत का एकमात्र मंदिर है जिसका नाम उस शिल्पकार के नाम पर रखा गया है जिसने इसे बनाया था।{{cn}}

मंदिर की मुख्य संरचना का निर्माण तो लाल बलुआ पत्थर से किया गया है, लेकिन बाहर के स्तंभों को लौह, मैग्नीशियम और सिलिका से समृद्ध काले बेसाल्ट के बड़े पत्थरों से बनाया गया है। मंदिर पर पौराणिक जानवरों और महिला नर्तकियों या संगीतकारों की आकृतियों को उकेरा गया है, और यह "काकतीय कला की उत्कृष्ट कृतियाँ हैं, जो अपनी महीन नक्काशी, कामुक मुद्राओं और लम्बे शरीर और सिर के लिए विख्यात हैं"।

मंदिर को 2019 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की प्रस्तावित "अस्थायी सूची" में "द ग्लोरियस काकतीय मंदिर और गेटवे (गौरवशाली काकतीय मंदिर और प्रवेश द्वार)" के रूप में शामिल किया गया था।[3] प्रस्ताव को 10 सितंबर 2020 को यूनेस्को के समक्ष प्रस्तुत किया गया। 25 जुलाई 2021 को, मंदिर को "काकतीय रुद्रेश्वर (रामप्पा) मंदिर, तेलंगाना" के रूप में विश्व विरासत स्थल के रूप में शामिल किया गया।[4] यह मदिर भारत का 39वां विश्व धरोहर स्थल है

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "The Shiva temples at Palampet". मूल से 18 अक्तूबर 2006 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2006-09-11.
  2. Dobbie, Aline (2006). India: The Elephant's Blessing (अंग्रेज़ी में). Melrose Press. पृ॰ 36. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-905226-85-6.
  3. UNESCO "The Glorious Kakatiya Temples and Gateways", Tentative List
  4. UNESCO (2021-07-25). "Cultural sites in China, India, Iran and Spain inscribed on UNESCO's World Heritage List". UNESCO. अभिगमन तिथि 2021-07-25.