लिण्डाल उर्विक (Lyndall Fownes Urwick ; 3 मार्च 1891 - 5 दिसम्बर 1983) ब्रिटेन के प्रबंधन सलाहकार एवं व्यवसाय-चिन्तक थे।

परिचय संपादित करें

लिंडाल का जन्म ब्रिटेन में 1891 में हुआ था। उनकी पढ़ाई लिखाई आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में हुई थी। प्रथम महायुद्ध के समय उर्विक ब्रिटिश सेना में लेटिनेंट कर्नल के रूप में कार्यरत थे। बाद में अर्तराष्ट्रीय प्रबन्ध संस्थान, जेनेवा में इन्होंने निदेशक के रूप में कार्य किया।

योगदान संपादित करें

इनका योगदान निम्नलिखित है : –

संगठन के सिद्धांत संपादित करें

ऊर्विक ने अपनी रचना The elements of Admisthetion में 29 सिद्धांतों की चर्चा की हैं जो निम्न हैं :

1. अनुसंधान

2. पूर्वानुमान

3. योजना

4. संगति

5. संगठन

6. समन्वय

7. व्यवस्था

8. निर्देशन

9. नियंत्रण

10. समन्वय

11. सत्ता

12. परिमापन प्रक्रिया

13. कार्य विभाजन

14. नेतृत्व

15. प्रत्यायोजन

16. कार्यात्मक परिभाषा

17. दृढता

18. प्रयोगात्मकता

19. विश्लेषणात्मकता

20. सामान्य हित

21. केन्द्रीकरण

22. कर्मचारी भर्ती

23. सहयोग

24. चयन और नियुक्ति

25. पुरस्कार व प्रतिबन्ध

26. पहल क्षमता

27. न्याय

28. अनुशासन

29. स्थामित्व

नेतृत्व की अवधारणा संपादित करें

इस अवधारणा को स्पष्ट करते हुए उर्विक ने कहा है कि

नेतृत्व व्यक्तियों के व्यवहार का ऐसा गुण है, जिसके द्वारा अन्य व्यक्ति नेता का निर्देशन स्वीकार करते है। उर्विक ने नेतृत्व के चार कार्यों की चर्चा की है –
(1) प्रतिनिधित्व करना
(2) पहल करना
(3) उधम का प्रशासन करना
(4) विश्लेषण करना

नेतृत्व की चार कार्यों की चर्चा के पश्चात् उर्विक ने नेतृत्व की छ: योग्यताएँ बताई है :

(1) आत्मविश्वास
(2) व्यक्तित्व
(3) जीवशक्ति
(4) सामान्य बुद्धिमता
(5) संप्रेषण क्षमता
(6) निर्णायक क्षमता

प्रशासन और प्रबन्ध संपादित करें

उर्विक ने प्रशासन और प्रबन्ध जैसी महत्वपूर्ण अवधारणा पर अपने स्पष्ट विचार दिया है। इन्होंने जहाँ प्रशासन को बौद्विक, वैज्ञानिक एवं कौशलात्मक आयामों पर आधारित किया है वहीं प्रबन्ध के अन्तर्गत भी यांत्रिक कलात्मक वैज्ञानिक और मानवीय आयामों को सम्मिलित किया है। उर्विक का मानना है कि प्रशासन को सिद्धान्तों एवं अवधारणाओं पर आधारित होना चाहिए। प्रशासन के अन्तर्गत सिद्धान्तों एवं अवधारणाओं का महत्व है, क्योंकि प्रशासन ज्ञान का समूह है।

उर्विक ने प्रशासन के साथ प्रबन्ध की अवधारणा को स्पष्ट किया है। उन्होंने प्रबन्ध को चार मान्यताओं से सम्बन्ध किया है :

  • (1) प्रबन्ध कार्य विज्ञान से सम्बन्ध है।
  • (2) प्रबन्ध कार्यशील व्यक्तियों से सम्बन्ध है।
  • (3) प्रबन्ध कार्योंकेसमूहीकरण एवं सहसम्बन्ध से सम्बन्ध है।
  • (4) प्रबन्ध अभिप्रेरणा एवं निर्देशन से सम्बन्ध है।

सन्दर्भ संपादित करें