यह पृष्ठ विकिपीडिया:निर्वाचित लेख परख का पुरालेख-१ है।

विशेषताएँ

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अच्छा लिखा लेख, बहुत महत्त्वपूर्ण विषय, कई चित्र, विकिपीडिया के नियमों के अनुसार रूपरेखा -- दाढ़ीकेश २०:१०, ७ अप्रैल २००७ (UTC)

इस लेख को सिर्फ स्रोत और संदर्भों की जरूरत है। -- दाढ़ीकेश २०:१०, ७ अप्रैल २००७ (UTC) भारत लेख को सुधार कर निर्वाचन स्तर तक पहुँचाना चाहिए।--Munita Prasadवार्ता ०३:२९, १४ दिसंबर २००९ (UTC)

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  • बाकी बचे अनुभागों का अनुवाद
  • लाल कड़ियों को नीला करना

-- दाढ़ीकेश २०:१०, ७ अप्रैल २००७ (UTC)

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अच्छा लिखा लेख, पूरे जीवन और कार्य का सम्पूरण वृत्तान्त, कई चित्र, विकिपीडिया के नियमों के अनुसार रूपरेखा -- दाढ़ीकेश २०:१०, ७ अप्रैल २००७ (UTC)

मेरे विचार में यह निर्वाचित होने के काफी करीब है। जब भी पूर्णिमा जी को लगता है कि लेख एक स्थिर अवस्था में पहुँच गया है, इसे निर्वाचित घोषित किया जा सकता है। -- दाढ़ीकेश २०:१०, ७ अप्रैल २००७ (UTC)

कृपया अगले निर्वाचित लेख के लिए रक्षाबंधन पर अपने विचार प्रकट करें ताकि इसमें जो कमियाँ हैं उन्हें दूर किया जा सके। --पूर्णिमा वर्मन ०८:५९, १५ अगस्त २००७ (UTC)

मै समझता हू कि वैश्विक विषय पर यह हिन्दी विकिपीडिया पर पहला पन्ना है, पर्यटन भूगोल एक प्राचीन विषय है । लेकिन इसे पर्यटन और भूगोल मे बांट कर रखा गया । हम हिन्दी विकी पर इसे एक एक रूप देना चाहते हैं । आपके सुझाव एवं शिकायते आमंत्रित है-राजीवमास १३:५५, २६ दिसम्बर २००७ (UTC)

जुलाई माह के लिए प्रस्तावित
--आशीष भटनागरसंदेश १२:४५, ८ जून २००९ (UTC)

उपरोक्त लेख को काफी सुधारा गया है। संदर्भ भी लगाए गए हैं। साँचे सुधारे गए हैं। अन्य कई वर्तनी और वाक्य सुधार भी किए गए हैं। यह लेख प्रस्तावित है। कृपया राय दें।

समर्थन, थोड़े सन्दर्भ और जोड़ने होंगे --सुमित सिन्हावार्ता १६:५८, ९ जून २००९ (UTC)
    २१ संदर्भ हो गए हैं, साथ ही एक अनुभाग भी बढ़ाया गया है, हिन्दू धर्म पर प्रभाव। इससे लेख की जानकारी मात्रा और कुल लंबाई में भी बढ़ोत्तरी हुई है।--आशीष भटनागरसंदेश १९:३०, ९ जून २००९ (UTC)
    समर्थन!! कृपया इस अंग्रेजी विकी के पृष्ठ को देखे , अगर इसे जोड़ दिया जाये तो लेख की गुणवंता और बढ जायेगी। --गुंजन वर्मासंदेश ०४:१०, १० जून २००९ (UTC)
    मेरी तरफ़ से समर्थन । --अमित प्रभाकर १७:३७, १० जून २००९ (UTC)
एक राय है। लेख पडते समय मन और विचार अकबर कालीन हो जाते है और मजा आने लगता है किन्तु फिल्मो से समबन्धित पोस्टर देख कर अचानक मन उचट जाता । क्या हम अलग से बाहरी लिंक में उसका जिक्र नही कर सकते ?? बाकी तो फुल समर्थन है ही -राजीवमास ०५:१६, ११ जून २००९ (UTC) (संकलित:वार्ता:अकबर से)
अकबर के अंग्रेज़ी लेख में यह शीर्षक उपस्थित है, इस कारण से ही शायद गुंजन जी ने इसे जोड़ा है। साथ ही यह भी, कि सूचना तो अकबर लेख से संबंधित है ही। पोस्टर का जहां तक सवाल है, तो उसे हटाया जा सकता है, वैसे वो भी उन्हीं की (अकबरकालीन) फिल्म के दर्शन कराता है। --आशीष भटनागरसंदेश ०९:५८, ११ जून २००९ (UTC)
   विरोध आपने एक ऐसे विषय को प्रमुख लेख बनाने के लिए चुना है जो विवादित है। कृपया लेख के मानदंडों को देखें संख्या 4-5 को ध्यान से पढ़ें। अकबर ऐतिहासिक दृष्टि से विवादास्पद व्यक्ति हैं। उनकी धर्म निरपेक्षता या महानता के पक्ष में जितनी किताबें मिलेंगी उससे अधिक विपक्ष में। इस प्रकार के लेखों को निर्वाचित उम्मीदवार के लिए नहीं चुना जाना चाहिए। समर्थन देते समय भी प्रमुख लेख की आवश्यकताओं का ध्यान रखना चाहिए। अकबर की पटरानी जोधाबाई थी इसको तो आशुतोष गोवारीकर तक सिद्ध नहीं कर पाए हार कर उनको कहना पड़ा कि कहानी काल्पनिक है और इसके तथ्य इतिहास से नहीं लिए गए हैं। लेकिन यहाँ पता नहीं किस आधार पर जोधाबाई का चित्र लगाकर इस लेख को आज का आलेख में प्रदर्शित कर दिया है। जाहिर है यह लेख बिना अध्ययन और पर्याप्त जानकारी के लिखा गया है। यह प्रमुख लेख के नियम संख्या 3 का भी उलंघन करता है। इस तरह हिंदी विकिपीडिया की प्रमाणिकता को तो धक्का लगता ही है, यह भी प्रकट करता है कि निर्वाचित या प्रमुख लेख के प्रति जिस गंभीरता या अध्ययन की आवश्यकता है वह लेखक में नहीं है। "वह निश्चय ही एक महान सम्राट था।" इस प्रकार के वाक्य साँचों में डालकर मुखपृष्ठ पर लाना लेखक की निरपेक्षता और प्रबंधकीय योग्यता पर प्रश्न चिह्न लगाते हैं। इसे तुरंत हटाया जाना चाहिए। यह विकि के नियमों और गरिमा के विरुद्ध है। बेहतर हो कि प्रमुख लेख के लिए लेखक उन विषयों का चयन करें जिनका स्वयं उन्होंने अध्ययन किया हो और जिनके विषय में वे ठीक से जानते हों। आखिर हर किसी ने किसी न किसी विषय का अध्ययन तो किया ही है उस विषय पर और मेहनत कर के हिंदी में अच्छे लेख क्यों नहीं बनाते हैं? कुछ इधर से कॉपी कर के चिपकाया, कुछ उधर से, कुछ जैसा तैसा अनुवाद किया और बन गया लेख। ऐसा तो प्रमुख लेख के लिए नहीं होना चाहिए। काम करने का उत्साह ठीक है पर उसके लिए ठीक योग्यता भी विकसित करनी चाहिए।--पूर्णिमा वर्मन ०४:५८, १३ जून २००९ (UTC)
   विरोध लेखों में विशेषकर ऐसे लेखों में जो विवादास्पद हें, से बचना चाहिए। निर्वाचित लेख या आज का आलेख बनाने के लिए ऐसे लेखों का दिया जाना ठीक नहीं है। जैसे- ताजमहल, अकबर, आर्यों का भारत में आगमन आदि विषय अभी तक भारत में विवादित हैं, जब तक यह विवादित रहें तब तक इन पर कुछ लिखना एक नए विवाद को जन्म देना है। लेखक एक संवेदनशील व्यक्ति होता है और प्रत्येक लेखक के लिए यह अनिवार्य है कि वह लेखकीय उद्देश्य का परिपालन करे।
--डा० जगदीश व्योम ०५:१६, १३ जून २००९ (UTC)
अकबर निश्चय ही भारतीय इतिहास में एक महान सम्राट था, इस विषय में कोई विवाद नहीं है। हां अधिकांश महान व्यक्तियों के बारे में विवाद उठते रहते हैं, जैसे श्रीमती इंदिरा गाँधी जी ने संजय गाँधी को मरवाया, गाँधी जी, पं.नेहरू, यहां तक की भगवान राम और श्रीकृष्ण, तथा उन दोनों की जन्म भूमियाँ। इस प्रकार से तो हम किसी भी महान व्यक्ति पर लेख ही नहीं निर्वाचित कर पाएंगे। इन विषयों पर लेख लिखने का अर्थ है, कि उनके विषय को विस्तृत कर बताना। उस ही प्रकार उनसे जुड़े विवाद, यदि कोई ज्ञान में हैं भी तो, उन्हें भी उल्लेख किया जा सकता है। इस कारण से ही अंग्रेज़ी में गाँधी जी का लेख निर्वाचित है। यह तो सर्वथा गलत है, कि महान व्यक्तियों को विवादित बता कर उन पर लिखे लेख निर्वाचित ना किए जाएं। या मात्र लेखक की आलोचना ही उद्देश्य है, तो क्या कहने? विषय कोई भी विवादित नहीं होता, विवाद उस विषय से जुड़े होते हैं। तो हमें विषय की जानकारी के साथ ही ज्ञात विवादों पर भी संभव प्रकाश डालना चाहिए। अन्य कोई विवाद जो पता चले, वो समय समय पर जोड़े जा सकते हैं, जैसे कि बाद में उपलब्ध सूचनाएं निर्वाचित लेख में जोड़ी जा सकती हैं।
ताजमहल, अकबर, आर्यों का भारत में आगमन आदि विषय अभी तक भारत में विवादित हैं, जब तक यह विवादित रहें तब तक इन पर कुछ लिखना एक नए विवाद को जन्म देना है। → यह विचार भी हमें प्रमुख विषयों पर लेख लिखने से रोकता है। हम यदि कुछ बात बिना संदर्भ के लिखें, तब तो शयद गलत हो, किंतु संदर्भ सहित विवाद को भी लिखा है, जो कि उस विषय से जुड़ा हो, तो इसमें गलत ही क्या है। ताजमहल इत्यादि विषय भारत की शान हैं। उस से जुड़ा कोई विवाद इस बात से बड़ा नहीं हो सकता है, कि ताजमहल विश्व में भारत को ऊंचा स्थान दिलाता है। तब क्या तुच्छ विवादों के चलते हम उस बात को भूल जाएं। जिस अकबर का नाम विश्व इतिहास में लिया जाता हो, वो क्या इन छोटे मोटे विवादों से ढंक जाएगा? हां, जोधाबाई का चित्र हटाया जा सकता है। और जहां तक निष्पक्षता की बात है, लेख में हिन्दू धर्म के प्रति लगाव के साथ ही हिन्दू मंदिर को मस्जिद में बदलवाना, जज़िया हटाने के साथ ही वापस लगवाना, भी लिखे हैं। जहां तक जुलाई माह के निर्वाचन का प्रश्न है, उसमें जैसे सर्वसम्मति।--आशीष भटनागरसंदेश ०६:३५, १३ जून २००९ (UTC)
अकबर लेख को अंग्रेजी विकि पर एक विवादित लेख कहॉ गया है। यह बात मुझे लेख लिखने से पहले से ही पता था। इसलिये मैने उन विषयो को नही छुआ जो विवादित थे जैसे की Relation with Hindus,Rajput Wives of Akbar,Hindu Temples Saved,Hindu Temples Destroyed,Jihad Against Hindu Kings आदि। जोधा बाई का नाम भी इसलिये नही जोड़ा क्योकि उस समय फ़िल्म जोधा अकबर के उपर विवाद चल रहा था। मेर उद्देश्य केवल अकबर के बारे मे वह जानकारी जुटाना था जो स्कूल की किसी भी इतिहास की पूस्तक मे उपलब्ध हो एवम जिसके उपर कोई विवाद नही हो। मैने इसे आज के आलेख के लिये प्रस्तावित किया था पर जैसा की विकि की प्रकृति है इस लेख को कुछ प्रबंधको का सानिध्य मिला और लेख की रूप रेखा बदल गयी। इन प्रयासो से आज यह लेख हिन्दी विकि पर उपलब्ध अच्छे लेखो मे से एक है। सभी लोगो ने इस पर अथक परिश्रम किया है। अगर विवादित होने के कारण इसे निर्वाचित लेख नही बनाया जा सकता तो कम से कम इसे हिन्दी विकि के प्रमुख या फ़िर अच्छे लेख ऎसी किसी श्रेणी मे रखना चाहिये ताकि नये योगदानकर्ता इसे देख सके, यह उन लोगो के लिये अच्छा उदाहरण रहेगा। हॉ विवादित लेख का साँचा अवश्य लगा दिया जाये। --गुंजन वर्मासंदेश ०७:३४, १३ जून २००९ (UTC)

    अकबर के विषय में जिस प्रकार के विवाद हैं वैसे कोई विवाद इंदिरागांधी या महात्मा गांधी के विषय में नहीं हैं। मैं भी इस बात का समर्थन करती हूँ कि कुछ विषयों को प्रमुख लेख से अलग रखना चाहिए और विकिपीडिया में विवादास्पद विषयों पर आज का आलेख या प्रमुख लेख नहीं लिखना चाहिए। प्रमुख लेख लिखने के लिए विषयों की कमी नहीं है, विज्ञान, भूगोल, साहित्य, संस्कृति आदि अन्य अनेक विषयों पर लेख लिखे जा सकते हैं। --Munita Prasadवार्ता ०८:३७, १६ जून २००९ (UTC)

    निश्चय ही अकबर अन्य की तुलना में अधिक सहिष्णु था। वह हिन्दुस्तान को लूटकर भाग जाना नहीं चाहता था बल्कि यहीं रहकर लम्बे समय तक राज्य करना चाहता था। लेकिन उसे बार बार महान कहना भारतीय इतिहास की कमजोरी है। तमाम ऐसे लोग आज हैं जो यह कहते हैं कि यदि अकबर महान था तो पूरे जीवन अकबर से जूझने वाले राणाप्रताप क्या थे ? और इस प्रश्न का कोई उत्तर हमारे पास नहीं है। देश और काल के अनुसार व्यक्ति महान और गद्दार होता है..... इन अति संवेदनशील और भावनात्मक पहलुओं को ध्यान में रखना बहुत आवश्यक है। यदि इस लेख को देना ही हॅ तो महान जॅसे शब्द निकाल दें। --आलोचक १०:१४, १६ जून २००९ (UTC)

अकबर को महान बहुत सोच समझ कर ही कहा गया होगा। भारत में इतनी मजबूरी नहीं आई है अभी तक। एक बात तो यह है, कि हम लेख को निर्वाचित करते हैं, ना कि व्यक्तित्व को। यनि अकबर लेख क्या निर्वाचन स्तर का है? इस पर विचार करें, ना कि अकबर स्वयं निर्वाचन स्तर का है या नहीं? दूसरा उसने जितने बडे भूभाग पर राज्य किया, क्या कोई अन्य है, जिसने इतने बडए भारतीय भूभाग पर एकछत्र राज्य किया, और इतने लंबे समय तक? यदि है तो एकमार अशोक, तभी दोनों को महान का विशेषण दिया गया है। इसलिए महान कोई मजबूरी नहीं थी। महाराणा प्रताप एक क्षेत्रीय व्यक्तित्व थे, जिन्हें राष्ट्रीय नेता नहीं माना जा सकता है, हां राजस्थान के लिए वे महान राणा प्रताप थे। किंतु भारत के लिए अधिकतम महाराणा प्रताप थे। हां शीवाजी अवश्य ए क्षेत्रीय नेता के ऊपर उठे थे। किंतु उन्होंने सभी ने अपने राज्यों की रक्शःआ हेतु संघर्ष किए थे। भारत के हिते हेतु गाँधी जी ने कार्य किया था, ज कि गुजरात से ऊपर उठे थे।
इन कारणों से अकबर को महान कहना अनुचित तो नहीं होगा। साथ ही निर्वाचन के लिए भी उपयुक्त लगेगा। कृपया असमर्थन पक्षधर लोग एक बार फिर सोचें।--आशीष भटनागरसंदेश १०:४३, १८ जून २००९ (UTC)