प्राध्यापक विजयशंकर व्यास (जन्म : २१ अगस्त १९३१) एक कृषि-अर्थशास्त्री हैं जिन्हें अर्थशास्त्र में उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने सन् 2005 पद्मभूषण से सम्मानित किया। राजस्थान में ग्रामीण अर्थशास्त्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पद्म्भुषण का सम्मान प्राप्त करने वाले एकमात्र अर्थशास्त्री है।

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प्रो विजयशंकर व्यास का जन्म २१ अगस्त १९३१ को बीकानेर में हुआ। प्राथमिक एवं स्नातक की शिक्षा बीकानेर में प्राप्र्त की। उच्च शिक्षा के लिए मुंबई गये जहां अर्थशास्त्र में एम ए तथा बाद में पी एच डी की उपाधि प्राप्त् की। अध्यद्यन का मुख्य विषय कृषि अर्थशास्त्र था। उच्च अध्ययन के बाद मुम्बईं अध्यापन कार्य प्रारम्भ किया।

प्रो॰ व्यास द्वारा ग्रामीण विषयों के व्यापक अध्ययन की परियोजनाएँ उस समय प्रारम्भ की गयी जब उन्होंने सरदार बल्लभाई पटेल विश्वविधालय, बल्लभ विद्यानगर के अर्थशास्त्र विभाग में प्रोफेसर का कार्य भार संभाला। बल्लभ विधानगर में "एग्रोइकनामिक रिसर्च सेंटर" गुजरात, राजस्थान की स्थापना हुई जिसके प्रमुख प्रो॰ व्यास को बनाया गया। एग्रोइकनामिक रिसर्च सेंटर के अन्तर्गत राजस्थान एव्ं गुजरात के ग्रामीण विकास एवं गांव की समस्याओ के विभिन्न मुददो पर् अनेको अध्ययन किये गये। इन अध्ययन् का महत्व राज्य एवं राष्टीय स्तर पर् स्वीकार किया गया। एग्रोइकनामिक रिसर्च सेंटर के कार्य के दौरान् गांव् की समस्याओ की गहराई में जाने का अवसर मिला और् इस विषय में तग्यता प्राप्त की। परिणामस्वरूप प्रो॰ व्यास को इस विषय में राष्टीय स्तर पर स्वीकृति मिली।

कुमारप्पा ग्रामस्वराज्य संस्थान की स्थापना के बाद भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (I.C.S.S.R.) के सहयोग से ली गयी अध्ययन परियोजनाओ में प्रो॰ व्यास एवं बल्लभ विधानगर के अध्येताओं पूरा सहयोग मिला। बाद में प्रो॰ व्यास भारतीय प्रबन्ध संस्थान, अहमदाबाद (I.I.M.-A) से जुडे गये तथा अध्यापन एवं वर्षो तक निदेशक की जिम्मेदारी निभाई। यहाँ कार्य करते हुए कृषि अर्थशास्त्र के अध्ययन एवं अध्यापन के उनके योगदान को अन्तरराष्टीय स्तर पर मान्यता मिली। भारतीय प्रबन्ध संस्थान् में उनके कार्यकाल में प्रबन्धन शिक्षा में कृषि एवं ग्रामीण विषय को शामिल करने में इनकी प्रमुख भूमिका है। यही कारण हे कि भारतीय प्रबन्ध संस्थान्, I.I.M.-A में कृषि ग्रामीण विषय विकास संबंधी विषयों का विस्तार् हुआ है।

भारतीय प्रबन्ध संस्थान् के उपरांत उनकी सेवायें अन्तरराष्टीय स्तर पर ली जाने लगी। वर्षो तक प्रो॰ व्यास ने विश्व बेंक में कृषि एवं ग्रामीण विकास विभाग में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में सेवायें दी। इस दौरान उन्हें विश्व के अनेक देशों की ग्रामीण व्यवस्था एवं कृषि की स्थिति को समझने का अनुभव मिला और इस अवसर क उपयोग उन्होंने सलाहकार के रूप में किया। विश्व के ग्रामीण परिवेश को देखते हुए अफ्रीकी देशों की दयनीय सिथति सर्वविदित है, इन देशों के अध्ययन उस पर आधारित विकास योजनाओ के निर्माण में इन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसी प्रकार चीन जेसे देश में हुए ग्रामीण विकास का अध्ययन-विश्लेषण में इनके योगदान को सराहा एवं स्वीकार किया गया। विश्व स्तर पर इनके योगदान कि स्विकर्ती को आगे बढाते हुए अनेक अन्तरराष्ट्रीय संस्थाओं मैं इनकी सहभागिता बढी। जिन सन्स्थाओ से प्रो व्यास का जुडाव रहा उनमै मुख्य है, एशियाई विकास बैक (मनीला) के दुसरे कृषि सर्वे दल के प्रमुख, अन्तरराष्टीय खाद्य नीति शोध संस्थान आदि।

राष्टीय स्तर पर कृषि एवं ग्रामीण विकास की संस्थाओं में उनका योगदान उल्लेखनीय है। इस दृष्टि से भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा गठित नाबार्ड के लिए ग्रामीण साख की राष्टीय कमेटी के प्रमुख रहे। आज भी रिजर्व बैंक के राष्टीय बोर्ड में सदस्य हैं। राजस्थान एवं गुजरात में तो अनेक समितियों एवं सस्थाओं के प्रमुख एवं सदस्य के रूप में मार्गदर्शन प्रो॰ व्यास का राजस्थान में आने की भी एक संयोग है। व्यास का राजस्थान के विकास कार्य में महत्वपूर्ण योगदान है। कृषि, पशुपालन एवं जल संसाधनो के विकास में उनका चिंतन स्पषट एवं व्यावहारिकता से जुडा हुआ है। वर्तमान स्थिति को स्वीकार करते हुए सीधा एवं सरल सुझाव देना उनका स्वभाव है।

वे अपने ७५ वर्ष की जीवन यात्रा में जो कुछ सीखा-समझा उसे उदारता पुर्वक दुसरों को देने के लिए हमेशा तत्पर हैं। उनका ज्ञान, उनकी सहलाह लोक हित में सामान्य जन के लिए कैसे हितकारीहो, कल्याणकारी हो यही उनके चिंन्तन एवं कार्य की दिशा है।