विज्ञान संचार

वैज्ञानिक चीज़ों के बारे में आम लोगों को जागरुक करना

विज्ञान संचार (Science communication) का सामान्य अर्थ संचार-माध्यमों के द्वारा गैर-वैज्ञानिक समाज को विज्ञान के विविध पहलुओं एवं विषयों के बारे में सूचना देना है। कभी-कभी यह काम व्यावसायिक वैज्ञानिकों द्वारा भी किया जाता है (तब इसे 'विज्ञान का लोकीकरण' कहा जाता है।)। विज्ञान संचार अपने-आप में एक पेशेवर क्षेत्र बन चुका है।

हिन्दी में विज्ञान लोकीकरण संपादित करें

हिन्दी में विज्ञान लोकीकरण करने वाले प्रमुख व्यक्ति ये हैं-

हिन्दी एवं भारतीय भाषाओं में विज्ञान सम्बन्धी लेखन का इतिहास संपादित करें

हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में पिछले डेढ़ सौ वर्षों से विज्ञान सम्बन्धी लेखन धीमी गति से किन्तु सतत जारी है।

  • १८७३ -- त्रिकोणमिति की रूपरेखा -- लक्ष्मीशंकर मिश्र
  • १९४२ -- भारतीय विज्ञन परिषद, इलाहाबाद ने विज्ञान परिषद प्रयाग के साथ मिलकर दो भागों में 'अंग्रेजी-हिन्दी वैज्ञानिक कोश' का प्रकाशन किया।
  • १९४९ -- रासायनिक तत्त्व विश्लेषण -- गोरक्ष प्रसाद श्रीवास्तव (हिन्दी प्रकाशन मण्डल, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय)
  • १९५५ -- प्रकाश विज्ञान -- डॉ निहाल करण सेठी
  • १९६८ -- वैज्ञानिक शब्दावली : इतिहास और सिद्धान्त -- ओम प्रकाश शर्मा
  • २००९ -- विज्ञान प्रकाश -- लोक-विज्ञान परिषद द्वारा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी शोध पत्रिका का प्रकाशन आरम्भ

इन्हें भी देखें संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें