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==धर्मांतरण पर डॉ॰ आंबेडकर के विचार==
[[डॉ॰ भीमराव आंबेडकर]] ऐसा धर्म मानते थे जो स्वतंत्र्य, समानता और भाईचारे की शिक्षा देता हो। अगर कोई धर्म अपने ही अनुयायि को घ्रणा की नजर से देखता है तो वो धर्म धर्म नहीं! डॉ॰ आंबेडकर ने [[हिन्दू धर्म]] में रहकर देश के करोड़ो दलित, पिछडे एवं शोषित लोगों को समानता और स्वतंत्र्य का अधिकार दिलाना चाहिए। इस लिए वे करोड़ो समर्थकों के साथ धर्मांतर कर [[बौद्ध]] बने। उनकी नजर में यह धर्मांतर धर्मांतर नहीं बल्कि गुलामी की जंजिरे तोडने जैसा है। '''धर्मांतर क्यो?''' नामक पुस्तक भी उन्होंने लिखी है, जिसमें उन्होंने धर्मांतर संबंधी विस्तार से विचार रखे है। डॉ॰ आंबेडकर की नजर में सभी नागरिक समान है, अगर यह सरल शिक्षा धर्म में नहीं तो वह धर्म त्यागना ही बेहतर रास्ता है, ऐसा उनका मानना है।
 
 
== धर्मांतरण पर गांधीजी के विचार ==