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[[चित्र:M.R. Jayakar, Tej Bahadur Sapru and Dr. Babasaheb Ambedkar at Yerwada jail, in Poona, on 24 September 1932, the day the Poona Pact was signed.jpg|thumb|right|230px|24 सप्टेंबर 1932 को [[यरवदा केंद्रीय कारागार]] में एम आर जयकर, तेज बहादुर व डॉ॰ आम्बेडकर (दाए से दुसरे)]]
 
'''पूना पैक्ट''' अथवा '''पूना समझौता''' [[भीमराव आम्बेडकर]] एवं [[महात्मा गांधी]] के मध्य [[पुणे]] की [[यरवदा केंद्रीय कारागार|यरवदा सेंट्रल जेल]] में 24 सितम्बर, 1932 को हुआ था।<ref name="caste_indianpolitics">{{cite book | title=Caste in Indian Politics| last=Kothari| first=R.| date=2004| page=46| publisher=Orient Blackswan| id=ISBN 81-250-0637-0, ISBN 978-81-250-0637-4}}</ref> अंग्रेज सरकार ने इस समझौते को [[सांप्रदायिक अधिनिर्णय]] (कॉम्युनल एवार्ड) में संशोधन के रूप में अनुमति प्रदान की।
 
समझौते में दलित वर्ग के लिए पृथक निर्वाचक मंडल को त्याग दिया गया लेकिन दलित वर्ग के लिए आरक्षित सीटों की संख्या प्रांतीय विधानमंडलों में 71 से बढ़ाकर 147 और केन्द्रीय विधायिका में कुल सीटों की 18% कर दीं गयीं।
 
==पृष्ठभूमि==
द्वितीय [[गोलमेज सम्मेलन]] में हुए विचार विमर्श के फल स्वरूप कम्युनल अवार्ड की घोषणा की गई। जिसके तहत बाबासाहेब द्वारा उठाई गयी राजनीतिक प्रतिनिधित्व की माँग को मानते हुए दलित वर्ग को दो वोटों का अधिकार मिला। एक वोट से दलित अपना प्रतिनिधि चुनेंगे तथा दूसरी वोट से सामान्य वर्ग का प्रतिनिधि चुनेंगे। इस प्रकार दलित प्रतिनिधि केवल दलितों की ही वोट से चुना जाना था। दूसरे शब्दों में उम्मीदवार भी दलित वर्ग का तथा मतदाता भी केवल दलित वर्ग के ही।