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डुमराँव पहले [[भोजपुर]] रियासत का एक प्रसिद्ध [[गाँव]] हुआ करता था। अब यह गाँव न रहकर बक्सर ज़िले का एक प्रसिद्ध [[शहर]] और [[तहसील]] बन चुका है जिसकी अपनी [[नगरपालिका]] है। [[हिन्दुस्तान]] के मशहूर शहनाई वादक [[बिस्मिल्ला ख़ाँ|उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ाँ]] का जन्म इसी शहर के ठठेरी बाजार में 21 मार्च 1916 को हुआ था।
 
आरा-बक्सर राजमार्ग (NH- 84) से मात्र डेढ किलोमीटर दूर स्थित इस शहर की ज़मीन खेती के लिहाज से बेहद उपजाऊ है। यहाँ के दस्तकारों के हाथ की बनी चटाइयाँ और दरी काफी मशहूर हैं। यहां के बने सिंधोरे (vermilion pot) जो खरवार जाति (अनुसूचित जनजाति)के लोगों द्वारा बनाया जाता है,की देश के अलावे विदेशों तक मांग होती है। राजगढ़ स्थित 'बांके बिहारी मन्दिर', 'काली जी का मन्दिर' व 'डुमरेजनी माई का मन्दिर' यहाँ के प्रसिद्ध [[पर्यटन स्थल]] हैं। बरतानिया जमाने के बने हुए वास्तुकला के अनेक स्थान भी दर्शनीय हैं जिन्हें देखने विदेशी पर्यटक प्राय: यहाँ आते रहते हैं। 1764 इस्वी में बक्सर के युद्ध में अंग्रेजों की मदद करने के कारण एक स्थानीय किसान विक्रमादित्य सिंह को सन् 1770 इस्वी में इस्ट इंडिया कंपनी के द्वारा डुमरांव क्षेत्र की जमींदारी मिली और डुमरांव जमींदारी अस्तित्व में आया। विक्रमादित्य सिंह सन् 1805 इस्वी तक डुमरांव के जमींदार बने रहे और उसके बाद अंग्रेजों के प्रति वफादार रहने के कारण उनके वंशजो को भी पीढी दर पीढी क्षेत्र में लगान वसूलने का अधिकार प्राप्त होता रहा। बिहार का यह जमींदार परिवार सन् 1857 इस्वी के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी अंग्रेजी सरकार के प्रति वफादार बना रहा और स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ अंग्रेजों का साथ दिया था। इस जमींदार परिवार के लोग स्वयं को परमार राजाओ का वंशज होने का दावा करते हैं।
 
== भूगोल ==