शार्ङ्गदेव (1210–1247) भारत के संगीतशास्त्री थे जिन्होने संगीतरत्नाकर नामक महत्वपूर्ण ग्रंथ की रचना की। इस ग्रंथ में संगीत व नृत्य का विस्तार से वर्णन है।

शार्ङ्गदेव यादव राजा सिंघण (1210–1247) के दरबारी थे। उनके पूर्वज कश्मीर के थे। उनके पितामह कश्मीर से देवगिरि (महाराष्ट्र) आकर बस गये थे।

संगीतरत्नाकार पर १४५६-७७ के बीच विजयनगर के राजा प्रतापदेव के आदेश पर काल्लिनाथ ने टीका लिखी। यह ग्रन्थ ६०० वर्षों से संगीत-शास्त्रियों का पथ प्रदर्शक रहा है। शारंगदेव पर दक्षिणी संगीत का विशेष प्रभाव पड़ा था। उनके ग्रन्थ से पता चलता है कि उनके पूर्ववर्ती संगीतज्ञ दक्षिण में बहुत थे। संगीतरत्नाकार में संगीत पद्धति की जो स्थापना की गई है, उसे अब बहुत कम लोग समझते मानते हैं। शारंगदेव का मुख्य मेल `मुखारी' है यह दक्षिणी संगीत का मुख्य मेल है।