शुक्रताल प्राचीन पवित्र तीर्थस्थल है। यह मुजफ्फरनगर के समीप स्थित है। यहाँ संस्कृत महाविद्यालय है। यह स्थान हिन्दुओं का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल माना जाता है। गंगा नदी के तट पर स्थित शुक्रताल जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कहा जाता है कि इस जगह पर अभिमन्यु के पुत्र और अर्जुन के पौत्र राजा परीक्षित - जिनको शाप मिला था कि उन्हें एक सप्ताह के अंदर तक्षक नाग द्वारा डस लिया जायेगा - ने महऋषि शुकदेव के श्रीमुख से भगवत कथा का श्रवण किया था। इसके समीप स्थित वट वृक्ष के नीचे एक मंदिर का निर्माण किया गया था। इस वृक्ष के नीचे बैठकर ही शुकदेव जी भागवत कथा सुनाया करते थे। ये वट वृक्ष यहाँ अभी भी विद्यमान है और आश्चर्य की बात है कि इस वृक्ष पर कभी पतझड़ नहीं आती। शुकदेव मंदिर के भीतर एक यज्ञशाला भी है। राजा परीक्षि‍त महऋषि जी से भागवत की कथा सुना करते थे। इसके अतिरिक्त यहां पर पर भगवान गणेश की 35 फीट ऊंची प्रतिमा भी स्‍थापित है। इसके साथ ही इस जगह पर अक्षय वट और भगवान हनुमान जी की 72 फीट ऊंची प्रतिमा बनी हुई है। श्री शिव भगवन की 108 फ़ीट ऊंची तथा माता दुर्गा की भी 80 फ़ीट ऊंची प्रतिमा यहाँ स्थापित की गई हैं।

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