श्रीधर या मुरलीधर(रीतिग्रंथकार कवि)

रीतिकाल के रीतिग्रंथकार कवि हैं।

रीति काल को श्रंगार काल भी कहा जाता है क्योंकि इस काल में श्रंगार रस की प्रधानता रही थी|